छोटी जलविद्युत परियोजनाओं से होगा गांवों का विकास
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सूक्ष्म, अतिलघु व लघु जलविद्युत परियोजनाओं की नीति से उत्तराखंड के गांवों के आर्थिक सशक्तिकरण की शुरूआत होगी। इससे सरक ...और पढ़ें

देहरादून। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सूक्ष्म, अतिलघु व लघु जलविद्युत परियोजनाओं की नीति से उत्तराखंड के गांवों के आर्थिक सशक्तिकरण की शुरूआत होगी। इससे सरकारी मदद पर आधारित गांवों की अर्थव्यवस्था आर्थिक स्वालंबन की ओर अग्रसर होगी। राज्य सरकार ने जलवि़द्युत उत्पादन में सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पंचायतों की भूमिका को बढ़ाते हुए नीतिगत ढांचा प्रदान किया है।
इंस्टीट्यूट आॅफ इंजीनियर, उत्तराखंड स्टेट सेंटर में ‘उत्तराराखंड राज्य में सूक्ष्म, अतिलघु, लघु जलविद्युत परियोजनाओं की नीति एवं विकास’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सूक्ष्म, अतिलघु, लघु जलविद्युत परियोजनाओं की नीति ग्राम पंचायतों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए सरकार की एक अनोखी पहल है। केवल प्रारम्भिक हिचक को दूर किया जाना है। पानी गांव का है, संसाधन गांव के हैं। इसमें 90 प्रतिशत तक सब्सिडी है। ग्राम पंचायतों के लिए एक व्यावसायिक, तकनीकी व पूंजी निवेश करने वाले पार्टनर (चयनित विकासकर्ता) को साथ लेना होगा। सीएम ने कहा कि उरेड़ा, यूजेवीएनएल, केएमवीएन व जीएमवीएन भी पार्टनर हो सकते हैं। ग्रामीण लीडरशिप को इस रचनात्मक काम को करने के लिए आगे आना चाहिए। शुरूआत में कुछ गांवों में सफलतापूर्वक इसका क्रियान्वयन कर दिया जाए, तो बाकी लोग अपने आप आगे आएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दो मेगावाट तक की परियोजनाओं को पूरी तरह से ग्राम पंचायतों के लिए आरक्षित किया गया है। दो से पांच मेगावाट में भी प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने निदेशक, उरेड़ा को निर्देश दिए कि हरिद्वार व उधमसिंहनगर में ग्राम पंचायतों की भागीदारी से सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए कार्ययोजना तैयार करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्राम पंचायतें चाल-खाल क माध्यम से जल संरक्षण, सामूहिक रूप से चारा प्रजाति के वृक्ष, जड़ी बूटी, अखरोट, फलोत्पादन की पहल करें। राज्य सरकार इसमें पूरी तरह से सहयोग करेगी। प्रदेश में जमीन का नया बंदोबस्त किया जाएगा। प्रारम्भ में पौड़ी व अल्मोड़ा में पायलट आधार पर इसका काम किया जाएगा। सीएम ने कहा कि अधिकारों का विकेंद्रीकरण करके विकास में ग्राम पंचायतों की भागीदारी बढ़ानी होगी। पंचायतीराज मंत्री प्रीतम सिंह के यह बताया कि उनके पूर्व के मंत्रित्वकाल में 14 विषय ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित किए गए थे। बाद में उन्हें धीरे-धीरे वापस ले लिया गया।इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विषय पर केबिनेट में चर्चा करके आवश्यक निर्णय लिया जाएगा।
सचिव ऊर्जा डॉ. उमाकांत पंवार ने बताया कि वर्तमान मई माह के अंत तक सूक्ष्म, अतिलघु, लघु जलविद्युत परियोजनाओं की नीति के तहत पिथौरागढ़ जिले के बरम, बिरही व जिम्मीगाड़, जबकि देहरादून जिले के पुरकुल व नाड़ा में सूक्ष्म जलविद्युत परियोजनाएं आवंटित कर दी जाएंगी। इसी प्रकार इस वित्तीय वर्ष के अंत तक 36 परियोजनाएं ग्राम पंचायतों को आवंटित कर दी जाएंगी। उन्होंने बताया कि इस नीति के तहत जलविद्युत परियोजनाएं स्थापित करने के लिए 90 फीसदी अनुदान की व्यवस्था है। श्रमिक दक्षता के लिए जलविद्युत निगम व उरेडा ब्लाॅक स्तर तक जाकर प्रशिक्षण देगा। दो मेगावाट तक की माइक्रो हाईडिल परियोजनाएं स्थानीय ग्राम पंचायतों के लिए आरक्षित की गई हैं जबकि दो से पां मेगावाट तक की परियोजनाएं उत्तराखंड के पंचायतीराज संस्थानों, कम्यूनिटी आधारित संस्थाओं, औद्योगिक संस्थानों व संयुक्त उपक्रमों के लिए आरक्षित की गई हैं। चयनित पार्टनर को इनसे प्राप्त राजस्व का 1-1 प्रतिशत जिला पंचायत, ब्लाॅक पंचायत, ग्राम पंचायत व क्षेत्रीय विकास के लिए देना होगा।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने इंस्टीट्यूट आॅफ इंजीनियर, उत्तराखंड स्टेट सेंटर में मृदा एवं कंकरीट परीक्षण प्रयोगशाला का उद्घाटन भी किया। इस अवसर पर उरेड़ा के निदेशक आशीष जोशी, इंस्टीट्यूट आॅफ इंजीनियर्स के नरेंद्र सिंह, सीएम डिमरी व प्रदेश की जिला पंचायतों, ब्लाॅक पंचायतों व ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

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