दलित व आदिवासियों के बजट में कटौती नहीं कर सकेंगे बाबू
सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों को आदिवासी और दलितों के लिए बजटीय आवंटन के संबंध में स्पष्ट निर्देश दिया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चुनाव आचार संहिता लागू होने के चलते सरकार आम बजट 2017-18 में लोकलुभावन घोषणाएं करने से भले ही परहेज करे लेकिन दलितों और आदिवासियों का पूरा ख्याल इसमें रखा जाएगा। खासकर इन वर्गो से जुड़ी योजनाओं के बजटीय आवंटन में खासी वृद्धि की जा सकती है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी मंत्रालय के बजट में एससी व एसटी वर्ग के लिए आवंटन का हिस्सा कम न हो।
सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों को आदिवासी और दलितों के लिए बजटीय आवंटन के संबंध में स्पष्ट निर्देश दिया है। एससी और एसटी वर्गो के लिए पर्याप्त बजट राशि सुनिश्चित करने के लिए एससी व एसटी सब प्लान बेहद महत्वपूर्ण हैं, इसीलिए मंत्रालयों को साफ कहा गया है कि आम बजट 2017-18 में उनके कुल आवंटन में इन वर्गो के आवंटन की हिस्सेदारी कम नहीं होनी चाहिए।
दरअसल आम बजट से पर्याप्त धनराशि दलितों और आदिवासियों के विकास के लिए खर्च की जाए और उनकी आबादी के अनुपात में बजटीय आवंटन सुनिश्चित किया जाए, इसके लिए सरकार ने एससी व एससी सब प्लान की व्यवस्था की है। पहले योजनागत आवंटन का एक हिस्सा एससी व एसटी सब प्लान के तौर पर आवंटित किया जाता था लेकिन आगामी बजट से योजनागत और गैर योजनागत का अंतर खत्म हो जाएगा जिसके बाद यह जरूरी है कि किसी भी मंत्रालय में इन वर्गो के बजट में कमी न आए।
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सूत्रों ने कहा कि यही वजह है कि वित्त मंत्रालय ने दूसरे मंत्रालयों को निर्देश देकर कहा है कि वित्त वर्ष 2015-16 और 2016-17 के आम बजट में एससी व एसटी वर्गो के लिए जिस अनुपात में धनराशि आवंटित की गयी थी, वह आम बजट 2017-18 में कम नहीं होना चाहिए।
सूत्रों ने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के संबंध में यह निर्देश खास तौर से लागू किया जाएगा। हालांकि ढांचागत व्यय के संबंध में यह नियम लागू नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने वित्त वर्ष 2011-12 से विशेष योजना के रूप में अनूसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति उप योजना के रूप में योजनागत आवंटन की शुरुआत की थी। वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को आम बजट 2017-18 पेश करेंगे।
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