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    नीतीश ने खारिज की किसी के साथ चुनावी गठबंधन की संभावना

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    Updated: Tue, 07 Jan 2014 10:25 AM (IST)

    पटना [जाब्यू]। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में किसी दल से गठबंधन की संभावना से साफ इन्कार किया है। उन्होंने कहा, हम तो एकसाथ आठ फ्रंट [मोर्चा] पर लड़ रहे हैं। अपनी तैयारी कर रहे हैं। हमारी पार्टी की ओर से निरंतर गतिविधियां जारी हैं। बारह संकल्प रैली होनी है। अब तक चार हो चुकी है। सोमवार को जनता द

    पटना [जाब्यू]। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में किसी दल से गठबंधन की संभावना से साफ इन्कार किया है। उन्होंने कहा, हम तो एकसाथ आठ फ्रंट [मोर्चा] पर लड़ रहे हैं। अपनी तैयारी कर रहे हैं। हमारी पार्टी की ओर से निरंतर गतिविधियां जारी हैं। बारह संकल्प रैली होनी है। अब तक चार हो चुकी है।

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    सोमवार को जनता दरबार के बाद संवाददाताओं से बात बातचीत करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने हमारी विशेष राज्य का दर्जा की मांग को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यह कदम राजनीतिक कारणों से उठाया गया है। इसलिए अब हम इसे राजनीतिक एजेंडा बनाकर चुनाव में जाएंगे। पहले यह हमारी आर्थिक लड़ाई थी जिसे हम लड़ रहे थे।

    पढ़ें : नीतीश के खाते में बेटे से कम रुपये

    उन्होंने प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह द्वारा राहुल गांधी को प्रधानमंत्री प्रत्याशी के योग्य कहे जाने पर इसे कांग्रेस का अंदरूनी मसला बताया। कहा कि भाजपा में पीएम प्रत्याशी को लेकर जो कुछ हुआ, उससे हम गठबंधन से अलग हुए। अब भाजपा में कुछ होता है तो उससे क्या मतलब? उनके मुताबिक प्रधानमंत्री ऐसा होना चाहिए जो सबको साथ लेकर चले। वह न्याय के साथ समावेशी विकास करे। उन्होंने गैरकांग्रेस-गैरभाजपा का विकल्प देने के सवाल पर कोई टिप्पणी नहीं की। यह जरूर कहा कि झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से चुनावी मसले पर आपसी सहमति बनी है लेकिन सीटों के बंटवारे को लेकर अभी कोई बात नहीं हुई है।

    जदयू से लोजपा के गठबंधन पर उन्होंने कहा कि चुनाव का वक्त है। ऐसे में कौन कहां जाएगा, इस पर फिलहाल कुछ भी कहना अनुचित है। मुख्यमंत्री से पूछा गया कि क्या 'आप' अब पुरानी पार्टियों के लिए क्या खतरा है? इस पर उन्होंने कहा कि देश में संगठन एवं पार्टी बनाने का अधिकार हर किसी को है। संवैधानिक दायरे में रहकर हर पार्टी काम करने के लिए स्वतंत्र है। 'लालबत्ती' के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पर मेरी कोई राय नहीं है। मीडिया में एक दौर चलता है, उससे खुद को अलग रखना ही बेहतर है।

    उन्होंने अमौसी नरसंहार [खगड़िया] में पटना उच्च न्यायालय द्वारा सभी आरोपियों की रिहाई पर कहा कि वे न्यायिक प्रक्रिया पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकते। न्यायालय के फैसले का अध्ययन कर राच्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी। इसी प्रक्रिया नरसंहार संबंधी अन्य फैसलों में अपनायी जा रही है।

    बंगाल सरकार के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं :

    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पश्चिम बंगाल में बिहार की एक बच्ची के साथ दुखद घटना [सामूहिक दुष्कर्म] घटी। इस मामले में राच्य सरकार ने अपने दायित्व का निवर्हन करते हुए पीड़ित परिजन को केवल मदद देने का प्रयास किया है। दूसरे राच्य की शासन व्यवस्था में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया है और न ही ऐसी कोई सरकार की मंशा रही है। प्रवासी श्रमिकों के लिए एक योजना है, उसी के तहत पीड़ित परिवार को सहायता प्रदान की गई। मुख्यमंत्री राहत कोष से एक लाख रुपये की राशि प्रदान की गई, जो राच्य के 'सेंटीमेंट' का ख्याल रखकर चिंता प्रकट की और सहायता भेजी। मगर राच्य सरकार के इस 'अप्रोच' को सही परिपेक्ष्य में नहीं समझा गया। आखिर संवेदना भी कोई चीज होती है। ऐसी घटना पर अन्य राच्य के लोग भी यही करते हैं।

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