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    NIA ने उड़ी हमले की जांच शुरू की, अमेरिकी एजेंसी भी करेगी जांच में मदद

    By Atul GuptaEdited By:
    Updated: Tue, 20 Sep 2016 08:38 PM (IST)

    आतंकियों के पास पाकिस्तान में बने हथियारों के साथ-साथ जापानी आइ-कॉम कंपनी के दो मोबाइल सेट और दो जीपीएस उपकरण मिला था।

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। एनआइए ने उड़ी आतंकी हमले की जांच शुरू कर दी है। घटनास्थल पर मौजूद एनआइए की टीम सेना से आतंकवादियों के पास बरामद हथियार, जीपीएस उपकरण और अन्य सामान को अपने कब्जे में लेने की तैयारी में है। आतंकी हमले की जांच में सबूत जुटाने के लिए अमेरिकी एजेंसियों की मदद भी ली जाएगी। उड़ी हमले के सबूतों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने में किया जाएगा। यही कारण है कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों की बैठक में विदेश सचिव एस जयशंकर भी मौजूद थे।

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    वैसे तो एनआइए की टीम हमले के अगले दिन श्रीनगर पहुंच गई थी, लेकिन जांच हाथ में लेने के लिए उसे गृहमंत्रालय की हरी झंडी का इंतजार था। गृहमंत्रालय की ओर से अधिसूचना जारी होते ही एनआइए ने अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज मामले की जांच शुरू कर दी है। एनआइए ने डीआइजी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में छह सदस्यीय को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। एफआइआर दर्ज करने के तत्काल बाद एनआइए की टीम उड़ी घटनास्थल पर पहुंच गई। घटनास्थल पर पहुंच कर टीम ने आतंकियों के फोटोग्राफ और डीएनए सैंपल को कब्जे में ले लिया है। साथ ही आतंकियों के पास से बरामद उपकरणों को सेना को देने को कह दिया है।

    दरअसल आतंकियों के पास पाकिस्तान में बने हथियारों के साथ-साथ जापानी आइ-कॉम कंपनी के दो मोबाइल सेट और दो जीपीएस उपकरण मिला था। आई-कॉम मोबाइल सेट पाकिस्तानी सेना उपयोग करती है। दो महीने पहले कश्मीर से गिरफ्तार लश्करे तैयबा के आतंकी बहादुर अली के पास से भी यही मोबाइल सेट बरामद हुआ था। अब उड़ी में जैश ए मोहम्मद के आतंकियों के पास भी यही बरामद हो रहा है। इससे साफ संकेत मिलता है कि आतंकी जिस भी संगठन का हो, पाकिस्तानी सेना ही उसे भारत के भीतर हमले के लिए अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध कराती है। जापानी कंपनी आइ-कॉम को यह बताने को कहा जाएगा कि इस खास नंबर के मोबाइल फोन उसने किसे सप्लाई किया था, इससे पाकिस्तान की पोल खुल सकती है।

    आतंकियों के पास मिले दो जीपीएस उपकरण में एक आग में काफी हद तक जल गया है, लेकिन दूसरा जीपीएस उपकरण सही सलामत है। एनआइए इसे फारेंसिक जांच के लिए अमेरिका भेजने की तैयारी में है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि आतंकी कहां से चले थे और किस रास्ते से होकर सेना के कैंप तक पहुंचे थे। जीपीएस का रूट मैप पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा सबूत साबित हो सकता है।

    उड़ी हमले से जुड़े सबूत के सहारे भारत पूरी दुनिया में पाकिस्तान को बेनकाब करने की तैयारी में है। यही कारण है कि राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में खुफिया ब्यूरो के प्रमुख, रॉ प्रमुख और एनएसए के साथ-साथ विदेश सचिव को भी बुलाया गया था। बताया जाता है कि बैठक में उड़ी हमले के दौरान मिले सबूतों पर विस्तार से चर्चा हुई और विदेश मंत्रालय को इसके आधार पर पाकिस्तान को दुनिया में अलग-थलग करने की रणनीति बनाने को कहा गया है।

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