Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिल्ली में रहना है तो देना पड़ेगा 'पर्यावरण' मुआवजा

    By Rajesh NiranjanEdited By:
    Updated: Sat, 09 May 2015 01:36 PM (IST)

    यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के मद्देनजर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने शुक्रवार को कहा कि राजधानी के लोगों को अपने घरों से निकलने वाले सीवेज पर क ...और पढ़ें

    Hero Image

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के मद्देनजर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने शुक्रवार को कहा कि राजधानी के लोगों को अपने घरों से निकलने वाले सीवेज पर कम से कम 100 रुपये पर्यावरण मुआवजा देना होगा। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ ने कहा कि प्रॉपर्टी टैक्स या पानी के बिल में जो भी अधिक होगा, उसके बराबर पर्यावरण मुआवजा भरना पड़ेगा। अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोग या फिर वह जो पानी का बिल नहीं देते हैं, वे 100 से 500 रुपये पर्यावरण मुआवजा अदा करेंगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एनजीटी ने दिल्ली सरकार, दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) व तीनों नगर निगमों (पूर्वी, उत्तरी व दक्षिणी), कैंटोनमेंट बोर्ड, बिजली कंपनियों को निर्देश दिया कि प्रदूषक भुगतान सिद्धांत के तहत दिल्ली की सीमा में रहने वाले सभी लोगों से पर्यावरण मुआवजा लें।

    पीठ ने कहा कि यह मुआवजा सभी लोगों से लिया जाएगा, चाहे उनके घरों में सीवर हो या फिर अवैध कॉलोनी में रहते हों। यह मुआवजा बिजली बिल, पानी बिल, प्रॉपर्टी टैक्स के साथ लिया जाए और दिल्ली सरकार के पास जमा कराया जाए। पीठ ने डीजेबी को 'मैली से निर्मल यमुना रिवाइटलाइजेशन प्लान 2017' के तहत पर्यावरण मुआवजे पर 45 दिन के भीतर कार्ययोजना बनाकर एनजीटी में जमा करने का निर्देश दिया है।

    एनजीटी ने कहा कि यह प्लान 2016 से पहले लागू करना है। एनजीटी ने सख्ती से कहा कि योजना तैयार करने के लिए समयसीमा नहीं बढ़ाई जाएगी। यदि योजना में कुछ कमी हुई तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होगा। यमुना में कुल प्रदूषण का 76 फीसद दिल्ली से उत्पन्न होता है। इसका मुख्य कारण फैक्ट्रियों से निकलने वाला कचरा व सीवर का पानी है। कई नाले सीधे यमुना में गिर रहे हैं।

    नाले में कूड़ा फेंका तो देना होगा 5 हजार जुर्माना

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। यमुना के बाद अब नालों में भी कूड़ा फेंकने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने रोक लगा दी है। शुक्रवार को एनजीटी ने कहा कि नगर निगम कर्मचारी समेत कोई भी व्यक्ति नाले में कूड़ा फेंकता मिले तो उस पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाए।

    एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ ने नगर निगम को निर्देश दिया कि दिल्ली के सभी नालों से सीवेज व कचरे को साफ किया जाए। यमुना को पुराने स्वरूप में लाने के मद्देनजर एनजीटी ने नगर निगम, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) समेत अन्य सिविक एजेंसियां को नालों के पास अतिक्रमण, अवैध निर्माण, बूचडख़ानों व कपड़े धोने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया। एनजीटी ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डीपीसीबी) से कहा कि वह दो माह के भीतर कॉमन इपल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) के बारे में रिपोर्ट तैयार कर सौंपे। यह भी बताया जाए कि क्या ये प्लांट पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं? प्लांट फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्टों को साफ करने लायक हैं या नहीं? वहीं, दिल्ली राज्य औद्योगिक एंव बुनियादी ढांचा विकास निगम (डीएसआइआइडीसी) यह सुनिश्चित करे कि फैक्ट्रियों से निकलने वाला अपशिष्ट नालों में न डाला जाए, इसे प्लांट तक सीधे पहुंचाया जाए।

    पूरी क्षमता से चलें एसटीपी

    एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) से कहा कि वह यह सुनिश्चित करे कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) अपनी क्षमता के अनुरूप सुचारू रूप से चलें। नजफगढ़, दिल्ली गेट ड्रेन से यमुना 63 फीसद प्रदूषित होती है। पांच जजों की पीठ ने डीजेबी, डीडीए, राजस्व विभाग समेत अन्य सिविक एजेंसियों को चार सप्ताह के भीतर उस जमीन का कब्जा लेने के लिए कहा है, जहां नए एसटीपी बनाए जाने हैं। डीडीए के पास 281 कॉलोनियां व 10.80 लाख रिहायशी फ्लैट हैं, जिनसे बड़े स्तर पर सीवेज निकलता है।

    एनजीटी ने फिर लगाई फटकार, वायु प्रदूषण पर उदासीन हैं सरकारें

    दिल्ली-एनसीआर में कूड़ा जलाया तो देना होगा 5 हजार का जुर्माना