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कभी न जान पाएंगे किसने लगाई बैंकों में सेंध

हकीकत यह है कि जिस देश से और जिस माध्यम से भारतीय बैंकों को निशाना बनाया गया है उसकी पहचान होने के बावजूद साइबर हमला करने वाले इन गिरोहों तक पहुंचना आसान नहीं होगा।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Thu, 20 Oct 2016 10:07 PM (IST)Updated: Fri, 21 Oct 2016 01:01 AM (IST)
कभी न जान पाएंगे किसने लगाई बैंकों में सेंध

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली । भारतीय बैंकों पर अभी तक का सबसे बड़ा साइबर हमला हुआ है लेकिन शायद ही इन अपराधियों तक भारतीय एजेंसियां पहुंच पाएंगी। हकीकत यह है कि जिस देश से और जिस माध्यम से भारतीय बैंकों को निशाना बनाया गया है उसकी पहचान होने के बावजूद साइबर हमला करने वाले इन गिरोहों तक पहुंचना आसान नहीं होगा।

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भारतीय बैंकों की मुख्य चिंता इस बात की है कि सुनियोजित तरीके से उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। अगर किसी भी तरीके से इन गिरोहों तक सरकारी एजेंसियां पहुंच भी जाती हैं तो ग्राहकों को हुए नुकसान की भरपाई करना या उन्हें सजा दिलाना दुरूह कार्य होगा। जबकि देश के तमाम बैंक अभी तक साइबर हमले से बचने को लेकर कोई पुख्ता सुरक्षा कवच नहीं तैयार कर पाये हैं।

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एसबीआइ, एक्सिस बैंक, आइसीआइसीआइ, एचडीएफसी जैसे दिग्गज बैंकों के अधिकारी मानते हैं उनके पास दुनिया के बेहतरीन सुरक्षा इंतजाम है लेकिन साइबर अटैक से कोई भी व्यवस्था सौ फीसद सुरक्षित नहीं है। दूसरी तरफ छोटे आकार के बैंक हैं जो सुरक्षा कवच में बड़ा छेद कर रहे हैं। हालात यह है कि कई बैंकों ने अभी तक अपने ग्राहकों को चिप और स्टि्रप आधारित डेबिट कार्ड नहीं दिए है।

सभी बैंको को आरबीआइ ने कहा है कि उन्हें सितंबर, 2017 तक चिप और स्टि्रप आधारित डेबिट व क्रेडिट कार्ड जारी करे। कुछ बैंकों ने आरबीआइ से आग्रह किया है कि उन्हें और ज्यादा समय दिया जाए। केंद्रीय बैंक ने इन्हें और वक्त देने से मना कर दिया है।

इस साइबर हमले से प्रभावित देश के एक निजी बैंक के प्रमुख अधिकारी के मुताबिक संदेह उस गिरोह पर है जो बैंकों या बैंक ग्राहकों के कुछ लक्षित समूहों की जानकारी चोरी करते हैं। इसके लिए दूसरे देश के ढांचे से किसी तीसरे बैंक पर हमला करते हैं और जब तक सूचना सार्वजनिक हो तब तक वे वहां से बोरिया बिस्तर समेट चुके होते हैं। अभी जो घटना सामने आई है वह एक माह पहले घटित है। भारतीय बैंक अभी सूचना ही जुटा रहे हैं। अभी तक असली अपराधी कहां से कहां पहुंच गये होंगे।

इनके शातिरपन का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका के सबसे बड़े बैंक मोर्गन चेज एंड कंपनी पर वर्ष 2014 में 7.6 करोड़ ग्राहकों की सूचना चुराने वाले गिरोह तक अभी तक अमेरिकी जांच एजेंसियां नहीं पहुंच पाई हैं। हाल ही में भारत के एक निजी बैंक के सिस्टम पर रूस के साइबर अपराधियों ने हमला किया था और कई सूचनाएं चुरा भी ली थी। लेकिन इसका पता बैंक को तभी लगा जब रूस की एक कंपनी ने भारतीय बैंक को सूचना दी।

असल चिंता इस बात की है कि साइबर अपराधियों की नजर भारतीय बैंकिंग व्यवस्था पर है। साइबर अपराधियों ने पहली बार इतने बड़े पैमाने पर भारतीय बैंकों को लक्ष्य बना कर हमला किया है। नेशनल पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआइ) ने बताया है कि इस हमले से 32 लाख डेबिट कार्ड ग्राहकों से जुड़ी सूचनाओं की चोरी होने के आसार हैं। अभी तक 19 बैंकों के 641 ग्राहकों के खाते से 1.3 करोड़ रुपये की निकासी या खरीदारी की सूचना प्राप्त हुई है। सभी मास्टर कार्ड या वीजा कार्ड के साथ यह धांधली हुई है। रूपे कार्ड के साथ धांधली की कोई खबर नहीं मिली है। इसकी फोरेंसिक जांच करवाई जा रही है और एनपीसीआइ संबंधित संगठनों व अधिकारियों के साथ संपर्क में है।

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