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मोदी की जीत 'हथकंडो' वाली, इससे बेहतर है हार : सोनिया

उन्होंने कहा कि गलत तरीके से जीत हासिल करने से बेहतर है हार। नेहरू की विरासत और वैश्विक नजरिये पर विज्ञान भवन में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए सोनिया ने लोकसभा चुनाव में हार पर भी सफाई भी दी।

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Mon, 17 Nov 2014 05:31 AM (IST)Updated: Mon, 17 Nov 2014 02:21 PM (IST)
मोदी की जीत 'हथकंडो' वाली, इससे बेहतर है हार :  सोनिया

नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू जयंती पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करती कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि पंडित नेहरू 'मैन ऑफ इंडिया' थे। नेहरू आधुनिक भारत के निर्माता थे और उनके विचारों की प्रासंगिकता आज भी कायम है।

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सोनिया गांधी ने कहा कि नेहरू ने देश को आधुनिकता व समाज सुधार का रास्ता दिखाया। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता के बिना भारत देश की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। यह विचारों से भी ऊपर की चीज है। भारत जैसे अनेकता में एकता वाले देश के लिए यह एक महत्वपूर्ण चीज है।

नेहरू को कोट करते हुए सोनिया ने नरेंद्र मोदी जीत को गलत करार देते हुए हथकंडों की जीत बताया। उन्होंने कहा कि गलत तरीके से जीत हासिल करने से बेहतर है हार। नेहरू की विरासत और वैश्विक नजरिये पर विज्ञान भवन में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए सोनिया ने लोकसभा चुनाव में हार पर भी सफाई भी दी।

सत्ता गंवाने के बाद मोदी सरकार के मुकाबले खड़े होने की कोशिश कर रही कांग्रेस सोमवार से देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को लेकर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रही है। इस आयोजना को लेकर राजधानी नई दिल्ली में विदेशी नेताओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। इस सम्मेलन के जरिये देश की राजनीति साधने की कोशिश कर रही कांग्रेस ने राजग व इसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा लगभग सभी दलों के नेताओं को बुलाया है।

एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश

संसद के शीतकालीन सत्र से पहले सरकार पर दबाव बनाने व धर्मनिरपेक्ष गठबंधन के स्वाभाविक नेता के तौर पर खुद को पेश कर रही कांग्रेस इस सम्मेलन के बहाने कई निशाने एक ही तीर से साधने की रणनीति पर काम कर रही है। राष्ट्रीय राजनीति में हाशिए पर खड़ी कांग्रेस इस सम्मेलन के जरिये मोदी के विदेश दौरों की सफलता के सामने अपनी चुनौती दमदारी से रखने की इच्छुक दिख रही है।

नेहरू दृष्टि के साथ राहुल को जोडऩे की रणनीति

नेहरू की अंतरराष्ट्रीय दृष्टि के साथ अपने उपाध्यक्ष राहुल गांधी को जोड़ते हुए कांग्रेस उन्हें भी अंतरराष्ट्रीय मंच मुहैया करना चाह रही है। राहुल इन मौके पर क्या बोलेंगे? इसको लेकर पार्टी बेहद गोपनीयता बरत रही है। हालांकि मिल रही जानकारी के मुताबिक राहुल की यह स्पीच उनके जयपुर भाषण की तरह दिल से लेकिन अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बड़े विजन के साथ होगी। दो दिन के इस सम्मेलन में पहला दिन समावेशी लोकतंत्र और लोक सशक्तीकरण पर चर्चा के लिए समर्पित रहेगा। जबकि समापन दिवस नेहरू की विश्व दृष्टि और 21वीं सदी में लोकतांत्रिक अंतरराष्ट्रीय संबंध पर विचार-विमर्श पर केंद्रित होगा।

कई विदेशी नेता दिल्ली पहुंचे

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, घाना के पूर्व राष्ट्रपति जॉन कुफोर, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा, नाइजीरिया के पूर्व राष्ट्रपति ओबासांजो, भूटान की राजमाता महारानी दोरजी वाग्मो वांगचुक, अरब लीग के पूर्व महासचिव आमरे मूसा और पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता अस्मा जहांगीर समेत कई विदेशी हस्तियां रविवार को ही दिल्ली पहुंच चुकी हैं। इसके अलावा करीब 12 देशों की राजनीतिक पार्टियों ने भी अपने प्रतिनिधि मंडल भेजने की घोषणा की है। कांग्रेस के अनुसार ब्रिटेन की लेबर पार्टी, रूस, चीन और वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टियां, बांग्लादेश की अवामी लीग, नेपाली कांग्रेस, मलेशिया के यूएमएनओ का प्रतिनिधिमंडल सम्मेलन में शिरकत करेगा। इसके साथ ही सोशलिस्ट इंटरनेशनल का भी प्रतिनिधिमंडल सम्मेलन में शामिल होगा।

कांग्रेस को झटका

नेहरू को लेकर कांग्रेस के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन से पहले पार्टी को झटका लगा है। सम्मेलन के बहाने विपक्षी एकता को मजबूत करने के पार्टी प्रयासों को माकपा व जदयू ने दांव दे दिया है। हालांकि जदयू सहित अधिकतर दल कांग्रेस के सम्मेलन में आ तो रहे हैं, लेकिन इन दलों ने संसद में कांग्रेस के पीछे खड़े होने के बजाय अपनी एकता आजमाने का फैसला किया है। माकपा महासचिव प्रकाश करात ने इसे समय की मांग करार देते हुए जदयू को समर्थन देने का एलान किया है।

प्रकाश करात ने कहा कि उनकी पार्टी धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एक करने के लिए जदयू का संसद में समर्थन करेगी। इससे पहले सरकार को चुनौती देने के लिए कमर कस रही जदयू ने संकेत दिया कि पुरानी पार्टी से अलग हुए विभिन्न दलों के सांसद संसद के आगामी शीतसत्र में एक साझा नेता चुन सकते हैं। पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि 'हम इस व्यवस्था पर गौर कर रहे हैं, सत्र शुरू होने पर हम कोई निर्णय ले लेंगे।'

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