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    गोरक्षा के लिए बहुत कुछ होना बाकी: राजनाथ सिंह

    By Gunateet OjhaEdited By:
    Updated: Mon, 07 Nov 2016 05:46 AM (IST)

    राजनाथ सिंह ने कहा कि गोरक्षा का मामला आस्था, संस्कृति व आध्यात्मिक भावना से जुड़ा होने के साथ उसके आर्थिक, सामाजिक व वैज्ञानिक पहलू के कारण अधिक महत्व ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि गो रक्षा के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। हमने बांग्लादेशी सीमा से होने वाली गोतस्करी को रोका है पर अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। वह रविवार को जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में बलिदान गोभक्त श्रद्धांजलि समारोह में बोल रहे थे।

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    यह समारोह 7 नवंबर 1966 को संसद के बाहर प्रदर्शन के दौरान शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में देश भर से आए साधू संतों के अलावा गोभक्त मुव्वर कुरैशी के नेतृत्व में गुजरात से आए सैकड़ों मुस्लिम युवाओं ने भी हिस्सा लिया।

    राजनाथ सिंह ने कहा कि गोरक्षा का मामला आस्था, संस्कृति व आध्यात्मिक भावना से जुड़ा होने के साथ उसके आर्थिक, सामाजिक व वैज्ञानिक पहलू के कारण अधिक महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि गाय में पाए जाने वाले 80 प्रतिशत जीन्स वही हैं जो मनुष्य में पाए जाते हैं।

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि आज के समय में कानून से अधिक महत्वपूर्ण गोरक्षा हित समाज का संकल्प लेना है। कृषि को रसायन से मुक्त कर भूमि को सुजलाम सुफलाम बनाने का विश्वास गो माता ही दिला सकती हैं।

    गो पालन लाभ हानि के हिसाब से नहीं बल्कि कामधेनु के भाव से किया जाता है। विहिप महामंत्री चंपत राय ने उपस्थित जनसमूह को मन, वचन और कर्म से गोरक्षा, गोसंवर्धन व गोसेवा का संकल्प दिलाया।

    मुहम्मद फैज खान ने कहा कि कुरान से लेकर मुहम्मद साहब तक सभी ने गाय के दूध को अमृत व गोमांस को जहर की संज्ञा दी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुंबई से आए स्वामी विश्वेश्वरानंद ने की जबकि मंच संचालक वृन्दावन के स्वामी ज्ञानानंद जी ने किया।

    समारोह में अखिल भारतीय धर्माचार्य सभा के महामंत्री स्वामी परमात्मानंद जी, जैन मुनी लोकेश मुनी जी, राजेन्द्र मुनी जी व विवेक मुनी जी, सिख संत भूपेन्द्र सिंह जी, मलूक पीठ वृन्दावन के राजेंद्रदास जी, आर्ट ऑफ लिविंग के स्वामी परमतेज जी, गौड़ीय मठ के महायोगी जी और सुधांशु जी महाराज सहित कई लोग उपस्थित थे।

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