मोदी की ताजपोशी का गवाह बनेंगे शरीफ
भारत के 15वें प्रधानमंत्री की शपथ पहली बार पाकिस्तान समेत दक्षिण एशियाई मुल्कों के प्रमुखों की मौजूदगी में होगी। मनोनीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्योते पर तीन दिनों के मंथन के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने शनिवार सुबह अपने आने की मंजूरी नई दिल्ली भेज दी। सोमवार को भारत आ रहे शरीफ 27 मई को मोदी से द्विपक्षीय मुलाकत करेंगे। शपथ समारोह के बहाने होने वाली दोनों प्रधानमंत्रियों की भेंट के दौरान भारत-पाक के बीच किसी बड़े फैसले की उम्मीद भले न हो लेकिन
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। भारत के 15वें प्रधानमंत्री की शपथ पहली बार पाकिस्तान समेत दक्षिण एशियाई मुल्कों के प्रमुखों की मौजूदगी में होगी। मनोनीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्योते पर तीन दिनों के मंथन के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने शनिवार सुबह अपने आने की मंजूरी नई दिल्ली भेज दी। सोमवार को भारत आ रहे शरीफ 27 मई को मोदी से द्विपक्षीय मुलाकत करेंगे। शपथ समारोह के बहाने होने वाली दोनों प्रधानमंत्रियों की भेंट के दौरान भारत-पाक के बीच किसी बड़े फैसले की उम्मीद भले न हो लेकिन इससे संबंध सुधार की दिशा और दायरे जरूर तय होंगे। वही, शपथ समारोह में भाग लेने के लिए बांग्लादेशी संसद के अध्यक्ष एसएस चौधरी व भूटान के प्रधानमंत्री तोबग्या रविवार को दिल्ली पहुंचेंगे।
तीन दशक बाद यह पहला मौका है जब दोनों देशों में एक दलीय बहुमत की सरकारों के मुखिया हाथ मिलाएंगे। मोदी के न्योते के सहारे घरेलू मोर्चे पर भी सत्ता के सवालों को दरकिनार कर अपना दबदबा दिखाते हुए शरीफ राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज, विशेष सलाहकार तारिक फातमी, विदेश सचिव एजाज चौधरी समेत अफसरों की टीम लेकर आ रहे हैं।
इस मौके के बहाने शरीफ की कोशिश भारत के साथ दोस्ती के फैसलों में अपनी सत्ता दिखाने की होगी। अहम है कि हेरात में भारतीय दूतावास पर हुए हमले और शरीफ की ओर से बरकरार चुप्पी के बीच पाक प्रधानमंत्री की बेटी ने शुक्रवार देर रात सोशल नेटवर्किंग साइट पर लिखे संदेश में बानगी दे दी थी। मरियम शरीफ ने ट्वीट कर कहा था कि भारत के साथ संबंधों की बेहतरी अहम है।
इससे पहले नवाज शरीफ के भाई और पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ ने सेना प्रमुख जनरल राहिल शरीफ से भेंट की। आधे घंटे की मुलाकात में शाहबाज ने राहिल को नवाज शरीफ के भारत दौरे की महत्ता से अवगत कराया था।
अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली वाजपेयी सरकार के साथ 1999 में अपने संबंध सुधार प्रयासों का अक्सर हवाला देने वाले शरीफ भारत के साथ दोस्ती की पहल करते दिखना चाहेंगे। वहीं पाक में कट्टरपंथियों और सेना को संदेश देने के लिए कश्मीर जैसे मुद्दों को उठाकर पुराने मुद्दों के प्रति आस्था दिखाने का प्रयास भी उनकी ओर से संभव है। शरीफ भारत में अलगाववादी हुर्रियत नेताओं से मुलाकात करेंगे या नहीं यह अभी तय नहीं है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, शरीफ 26 मई को भारत पहुंचेंगे और मोदी के शपथ समारोह में भाग लेंगे। इसके बाद 27 मई की सुबह शरीफ की मुलाकात मोदी से होगी। शरीफ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर मंगलवार दोपहर वतन लौट जाएंगे।
हैरानी नहीं होगी कि हेरात में भारतीय दूतावास पर हुए आतंकी हमले के साये में शरीफ और मोदी की छोटी मुलाकात में भी आतंकवाद एक अहम मुद्दे के रूप में मेज पर जरूर हो। मोदी और शरीफ दोनों ही अंतरराष्ट्रीय जगत के साथ ही घरेलू अवाम के आगे भी संदेश देने का प्रयास करेंगे। ऐसे में केंद्र की सत्ता में अपनी पारी शुरू करने जा रहे मोदी जाहिर तौर पर दोहराना चाहेंगे कि आतंकवाद और बातचीत का साथ चलना मुश्किल है।
हालांकि मोदी के शपथ ग्रहण समारोह को भारत-पाक द्विपक्षीय मुद्दों का मंच बनाने से जरूर बचना चाह रहा है। वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने भी कहा, पड़ोसी मुल्कों अफगानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, भूटान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव और मॉरीशस के प्रमुखों को प्रधानमंत्री के शपथ समारोह में आने का न्योता देना पूरी दुनिया के आगे भारतीय लोकतंत्र व उसकी ताकत को पेश करना है। इसे मुल्कों के द्विपक्षीय चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। नई सरकार के गठन के साथ ही जनतंत्र के इस उत्सव में पड़ोसी मुल्कों के नेताओं की मौजूदगी के सहारे भारत का प्रयास लोकतांत्रिक मूल्यों और पूरे क्षेत्र को जोड़कर चलने की सोच को आगे करना है। भारतीय विदेश मंत्रालय भी सार्क मुल्कों के मेहमान नेताओं के साथ नए प्रधानमंत्री की मुलाकातों को फिलहाल मेजबानी शिष्टाचार बता रहा है।
किसने, क्या-कहा:
''नवाज शरीफ को शपथ समारोह में बुलाया जाना एक अच्छी शुरुआत है। हम लोगों ने इसकी उम्मीद तक नहीं की थी। यह सकारात्मक पहल है। इससे निकट भविष्य में दोनों देशों के बीच विभिन्न मुद्दे सुलझने की उम्मीद बंधी है''
-मौलाना जलालुद्दीन उमरी, अध्यक्ष, जमात-ए-इस्लामी हिंद
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''इस पहल से दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत होंगे। यह एक नई शुरुआत है। पाकिस्तान के साथ खराब रिश्ते दोनों ही देशों के हित में नहीं। केवल बातचीत के जरिए ही रिश्ते सुधर सकते हैं''
-एसक्यूआर इलियास, सदस्य, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
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''पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को निमंत्रण भेजा जाना एक अच्छा कदम है। अब पाकिस्तान को भारत की चिंताओं को दूर करना चाहिए। जिससे दोनों देशों के बीच स्वस्थ संबंधों का विकास हो और क्षेत्रीय शांति को बढ़ावा मिले''
-कमाल फारूकी, पूर्व अध्यक्ष, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग
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''हम सिर्फ उम्मीद कर सकते हैं कि पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधरेंगे। पाकिस्तान के साथ इस तरह की पहले भी कोशिश की जा चुकी है। इस बार भी ज्यादा उत्साहित नहीं होना चाहिए। लेकिन मोदी की ओर से की गई इस पहल की तारीफ होनी चाहिए''
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