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    इतालवी होने के कारण निर्मम हैं सोनिया: नटवर सिंह

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    Updated: Fri, 01 Aug 2014 07:54 AM (IST)

    नटवर सिंह ने अपनी किताब के बारे में एक टीवी चैनल से चर्चा करते हुए सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे को भी उठा दिया। उन्होंने कहा कि सोनिया के स्वभाव में इसलिए निर्ममता है, क्योंकि वह इटली की हैं। उनके मुताबिक कोई भारतीय वैसा व्यवहार नहीं कर सकता जैसा सोनिया ने मेरे साथ किया और वह भी तब जब मैं 45

    नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। नटवर सिंह ने अपनी किताब के बारे में एक टीवी चैनल से चर्चा करते हुए सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे को भी उठा दिया। उन्होंने कहा कि सोनिया के स्वभाव में इसलिए निर्ममता है, क्योंकि वह इटली की हैं। उनके मुताबिक कोई भारतीय वैसा व्यवहार नहीं कर सकता जैसा सोनिया ने मेरे साथ किया और वह भी तब जब मैं 45 साल तक परिवार के प्रति निष्ठावान रहा। उन्होंने मेरे साथ वैसा बर्ताव नहीं किया जैसा राजीव गांधी की पत्नी को करना चाहिए था। भारत में ऐसा नहीं होता। सोनिया की शख्सियत का एक पहलू ऐसा है जो निर्मम है। जब उनसे पूछा गया कि क्या यह उनके इटली का होने के कारण है तो उनका जवाब था-इसके सिवा और क्या हो सकता है? जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ऐसे नहीं थे। बातचीत में उन्होंने यह भी कहा कि राजीव गांधी प्रधानमंत्री के रूप में डेढ़ साल मूर्खो की टीम पर निर्भर रहे।

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    2008 में कांग्रेस छोड़ने वाले 83 साल के पूर्व राजनयिक और विदेश मंत्री रह चुके नटवर सिंह को 2005 में विदेश मंत्री से तब इस्तीफा देना पड़ा था जब इराक के तेल के बदले खाद्यान्न घोटाले की जांच करने वाली वोल्कर समिति में उनका नाम आया था। उन्होंने कहा कि वर्ष 1987 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षक बल बगैर किसी स्पष्ट मकसद के भेज दिया था। श्रीलंका की उनकी वह नीति उनकी हत्या के बाद ही समाप्त हुई। आइपीकेएफ की विफलता को लेकर नटवर राजीव गांधी के बचाव में दिखे। उन्होंने कहा कि उसके लिए केवल उन्हें ही नहीं जिम्मेदार ठहराया जा सकता। सरकार में शामिल हर शख्स जिम्मेदार था। राजीव गांधी भी किसी पर विश्वास करते थे। सिंह ने दावा किया कि आइपीकेएफ को श्रीलंका भेजने का फैसला राजीव गांधी ने खुद लिया था। इस बारे में उन्होंने कैबिनेट या शीर्ष अधिकारियों से विमर्श नहीं किया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के शुरुआती डेढ़ साल राजीव पूरी तरह से अहं से भरे मूर्खो के दल पर निर्भर थे। एक के समाजवादी होने का दावा किया जाता है जबकि दूसरा अयोग्य राजनीतिक व्यक्ति था और तीसरा हस्तक्षेप कर परेशान करने वाला था। उन्होंने दो की पहचान गोपी अरोड़ा और अरुण नेहरू के तौर पर बताई। दोनों की मौत हो चुकी है। तीसरे का नाम बताने से उन्होंने इन्कार कर दिया क्योंकि वह बहुत बूढ़े हो चुके हैं और अब यह मामला उतना महत्वपूर्ण नहीं है। सिंह ने यह भी दावा किया कि 'ऑपरेशन ब्रासटैक्स' (राजस्थान में हुआ युद्धाभ्यास) जिसकी वजह से पाकिस्तान के साथ युद्ध की स्थिति पैदा हो गई थी वह योजना तत्कालीन रक्षा राज्यमंत्री अरुण सिंह और तत्कालीन सेना प्रमुख के सुंदरजी ने राजीव गांधी को अंधेरे में रखकर बनाई थी।

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