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नरसिम्हा राव देना चाहते थे नेताजी को मरणोपरांत 'भारत रत्न'

गोपनीय फाइल के हुए ऑन लाइन खुलासे से पता चला है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव नेताजी सुभाष चंद्र बोस को मरणोपरांत भारत रत्न देने का प्रस्ताव किया था।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 28 May 2016 06:34 AM (IST)Updated: Sat, 28 May 2016 06:48 AM (IST)

नई दिल्ली, प्रेट्र : पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को मरणोपरांत भारत रत्न देने का प्रस्ताव किया था। यहां तक कि इस संबंध में प्रेस विज्ञप्ति तक जारी कर दी गई थी। इससे संकेत मिलता है कि तत्कालीन सरकार ने नेताजी की मौत को स्वीकार कर लिया था।

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सांस्कृतिक सचिव एनके सिन्हा ने शुक्रवार को नेताजी से जुड़ीं 1968 से 2008 के बीच की 25 गोपनीय फाइलों को ऑनलाइन जारी किया। इनमें पांच फाइलें प्रधानमंत्री कार्यालय, चार फाइलें गृह मंत्रालय और 16 फाइलें विदेश मंत्रालय से संबंधित हैं। इनके मुताबिक, तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने 10 अक्टूबर, 1991 को तत्कालीन राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन को इस आशय का एक पत्र लिखा था।

इसमें उन्होंने यह भी लिखा था कि यह सम्मान उन्हें एक विशेष अलंकरण समारोह में प्रदान किया जा सकता है। 19 जनवरी, 1992 को वेंकटरमन को लिखे एक अन्य पत्र में राव ने सुझाव दिया कि नेताजी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने की घोषणा 23 जनवरी को की जा सकती है क्योंकि इसी तारीख को उनका जन्मदिन होता है।

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प्रधानमंत्री के सूचनार्थ एक आंतरिक नोट के मुताबिक, 22 जनवरी, 1992 को राष्ट्रपति भवन ने नेताजी को मरणोपरांत भारत रत्न देने संबंधी प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी थी। लेकिन नेताजी के परिजनों ने यह कहते हुए सम्मान ग्रहण करने से इन्कार कर दिया कि इसे नेताजी की स्मृति को कमजोर करने की कोशिश के रूप में देखा जाएगा।

इस नोट के मुताबिक, तत्कालीन गृह मंत्री ने कहा था, 'मैं राष्ट्रपति से मिला था। उन्होंने कहा कि भारत रत्न सम्मान को वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है। इसे अभिलेखागार में नहीं भेजा जाएगा। इसे गृह मंत्रालय में रखा जा सकता है। इस बात का कोई जिक्र नहीं किया जाएगा कि नामों को कब पुकारा गया। कुछ करने की जरूरत नहीं है।'

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बता दें कि नेताजी की 119वीं जयंती पर इस साल 23 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे संबंधित सौ फाइलों का सेट जारी किया था। इसके बाद मार्च और अप्रैल में संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने 50 और 25 फाइलों का सेट जारी किया।

युद्ध अपराधी की सूची में नहीं है नेताजी का नाम

जारी की गई फाइलों में विदेश मंत्रालय के एक निदेशक का 21 फरवरी, 2002 को जस्टिस एमके मुखर्जी आयोग को लिखा पत्र भी है। इसमें उन दस्तावेजों की सत्यापित वास्तविक प्रतियों का जिक्र किया गया है जिसे टोक्यो स्थित भारतीय दूतावास ने इस बात की पुष्टि के तौर पर भेजा था कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम युद्ध अपराधियों की किसी सूची में शामिल नहीं है।


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