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    अपनी जीवनी पढ़ाने के खिलाफ हैं नमो

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    Updated: Fri, 30 May 2014 07:11 PM (IST)

    खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा शासित राज्यों के उत्साह पर पानी फेर दिया है। दरअसल, उन्होंने इन राज्यों को अपनी जीवनी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने से रोक दिया है। ऐसी तैयारी की चर्चा मीडिया में आने के बाद पहले तो मोदी ने खुद गुजरात के शिक्षा मंत्री को फोन कर इन्कार कर दिया। इसके बाद ट्वीट कर दूसरे राज्यों को भी अपनी इच्छा का साफ संकेत दे दिया। गुजरात के साथ-साथ मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार भी नरेंद्र मोदी के संघर्ष को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की तैयारी कर रही थीं।

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा शासित राज्यों के उत्साह पर पानी फेर दिया है। दरअसल, उन्होंने इन राज्यों को अपनी जीवनी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने से रोक दिया है। ऐसी तैयारी की चर्चा मीडिया में आने के बाद पहले तो मोदी ने खुद गुजरात के शिक्षा मंत्री को फोन कर इन्कार कर दिया। इसके बाद ट्वीट कर दूसरे राज्यों को भी अपनी इच्छा का साफ संकेत दे दिया। गुजरात के साथ-साथ मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार भी नरेंद्र मोदी के संघर्ष को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की तैयारी कर रही थीं। मोदी के रुख को देखने के बाद इन राज्य सरकारों ने भी उनकी जीवनी पाठ्यक्रम में शामिल करने के फैसले को वापस ले लिया है।

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    अपनी जीवनी पाठ्यक्रम में शामिल करने से दो-टूक मना करते हुए मोदी ने ट्वीट किया, 'मेरा दृढ़ विश्वास है कि जीवित लोगों की जीवनी स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल नहीं होनी चाहिए। युवा मस्तिष्क को देश का निर्माण करने वाले महापुरुषों के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए, ताकि उनके अनुकरण की प्रेरणा मिल सके।' गुजरात सरकार ने प्रधानमंत्री के नाखुशी जाहिर करने के बाद राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में नरेंद्र मोदी की जीवनी शामिल करने का विचार छोड़ दिया है। गुजरात के शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ास्मा ने कहा कि सुबह सात बजे प्रधानमंत्री का फोन आने के बाद उनकी जीवनी पढ़ाए जाने का विचार त्याग दिया गया है। मोदी के ट्वीट के बाद राजस्थान के शिक्षा मंत्री काली चरण सर्राफ ने कहा कि खुद प्रधानमंत्री के मना करने के बाद यह योजना अपने आप समाप्त हो जाती है, लेकिन दूसरे महापुरुषों के जीवन वृतांत को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर काम चलता रहेगा।

    'मेरा दृढ़ विश्वास है कि जीवित लोगों की जीवनी स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल नहीं होनी चाहिए।'

    -नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

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