मुंबई में बाढ़ से निपटने पर काम नहीं हुआ : हाईकोर्ट
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'हम प्रकृति पर नियंत्रण तो नहीं पा सकते। लेकिन मुंबई में जो कुछ हुआ है पहली बार नहीं है।
मुंबई, प्रेट्र। बांबे हाई कोर्ट ने मुंबई में बाढ़ से निपटने की दिशा में कुछ भी नहीं किए जाने पर असंतोष जताया है। हाई कोर्ट ने कहा कि हम प्रकृति पर नियंत्रण तो नहीं पा सकते हैं लेकिन पिछले पांच वर्षो से मानसून के दौरान यह शहर बाढ़ का सामना करता चला आ रहा है। इस स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।
अधिवक्ता अटल बिहारी दुबे द्वारा दायर पीआइएल पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लुर और जस्टिस एनएम जामदान ने यह टिप्पणी की। कुछ साल पहले दायर याचिका में अधिवक्ता ने शहर में दूसरी डोपलर रडार प्रणाली स्थापित करने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि बाढ़ से लोगों को होने वाली परेशानियों से बचाने के उपाय किए जाने चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'हम प्रकृति पर नियंत्रण तो नहीं पा सकते। लेकिन मुंबई में जो कुछ हुआ है पहली बार नहीं है। हम एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सके हैं।' वर्ष 2016 में महाराष्ट्र सरकार और बृहन्मुंबई महापालिका निगम (बीएमसी) ने हाई कोर्ट को स्थल तय कर लिए जाने की सूचना दी थी। दोनों ने बताया था कि डोपलर रडार स्थापित करने के लिए मुंबई के गोरेगांव में जगह तय कर ली गई है। एक दिन पहले याची के वकील ने बताया था कि आज तक इस मामले में कुछ भी नहीं हुआ है।
हल्के मामलों में भी वरिष्ठ वकील क्यों रखता है बीएमसी
कई महत्वपूर्ण मामलों में बीएमसी के वकीलों के ढीले रवैये से नाराज बांबे हाई कोर्ट ने बीएमसी से कारण बताने को कहा है। अदालत ने बीएमसी से यह बताने को कहा है कि सक्षम वकीलों की जगह वरिष्ठ अधिवक्ता की सेवा क्यों ली जा रही है। हाई कोर्ट ने बीएमसी के आयुक्त अजय मेहता को सात सितंबर तक शपथ पत्र दायर करने को कहा है।
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