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    राजनीति में नहीं आएंगे मुलायम के छोटे पुत्र प्रतीक यादव

    By Edited By:
    Updated: Thu, 07 Aug 2014 12:50 PM (IST)

    समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के छोटे पुत्र प्रतीक यादव ने अपने राजनीति में आने की अटकलों को विराम लगा दिया है। लखनऊ में आज एक निजी कार्यक्रम में उन्होंने साफ कहा कि मुझे राजनीति रास नहीं आती है। प्रतीक यादव के इस ऐलान से उनके राजनीति में आने की चर्चा पर ब्रेक लग गया है। लंबे समय से प्रतीक यादव क

    लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के छोटे पुत्र प्रतीक यादव ने अपने राजनीति में आने की अटकलों को विराम लगा दिया है। लखनऊ में आज एक निजी कार्यक्रम में उन्होंने साफ कहा कि मुझे राजनीति रास नहीं आती है।

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    प्रतीक यादव के इस एलान से उनके राजनीति में आने की चर्चा पर ब्रेक लग गया है। लंबे समय से प्रतीक यादव को सक्रिय राजनीति में लाने की खबरें हवा में हैं। कभी उनको मैनपुरी तो कभी आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सपा प्रत्याशी के रूप में उतारने की बातें होती हैं। इन सभी को प्रतीक यादव ने आज एक सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि मेरी राजनीति में जरा भी रुचि नहीं हैं। मैं राजनीति में आना भी नहीं चाहता हूं। फिलहाल प्रतीक ने अपने को एक एनजीओ के काम में सक्रिय कर रखा है।

    लोकसभा चुनाव ने पहले चर्चा जोरों पर थी कि प्रतीक यादव आजमगढ़ से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी होंगे। यहां से मुलायम सिंह यादव ने मैदान में उतरकर सारी संभावनाओं को खारिज कर दिया। इसके बाद मैनपुरी से प्रतीक यादव को लोकसभा के उप चुनाव में मैदान में उतारने की चर्चा ने जोर पकड़ा। यहां से भी सपा ने इनके ही परिवार के तेज प्रताप यादव 'तेजू' को मैदान में उतार दिया।

    इससे पहले मुलायम सिंह यादव ने 1999 में दो संभल तथा कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ा था। बाद में उन्होंने कन्नौज को छोड़ दिया था जहां से अखिलेश यादव को चुनाव लड़ाया गया। माना जा रहा था कि मैनपुरी से भी इस बार ऐसा ही होगा। जहां से इस्तीफा देकर मुलायम सिंह यादव छोटे पुत्र प्रतीक यादव को लोकसभा का उपचुनाव लड़ाकर सक्रिय राजनीति में प्रवेश दिला सकते हैं।

    बताया जाता है कि सपा मुखिया के छोटे पुत्र प्रतीक यादव भी राजनीति में आना चाह रहे थे और उनकी योजना आजमगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ने की थी। राजनीतिक अनुभव न होने के कारण पिता मुलायम छोटे पुत्र प्रतीक को इतने महत्वपूर्ण चुनाव में सीधे उतारने से बच रहे थे। उनकी सोच है कि छोटे बेटे को पहले राजनीतिक मंचों का अनुभव दिया जाए और तब चुनाव लड़ाया जाए, लेकिन प्रतीक के इन्कार करने से सपा सुप्रीमो पीछे हट गए हैं।

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