Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दबाव के आगे झुके मुफ्ती, बोले- आगे नहीं होगी कोई रिहाई

    By manoj yadavEdited By:
    Updated: Wed, 11 Mar 2015 10:24 AM (IST)

    अलगाववादी मसर्रत आलम की रिहाई के बाद केंद्र सरकार के सख्त रुख का असर दिखने लगा है। केंद्र राजनीतिक कैदियों की रिहाई रोकने के लिए मुफ्ती मुहम्मद सईद सरकार पर दबाव बनाने में सफल रहा है।

    नई दिल्ली, [जागरण ब्यूरो]। अलगाववादी मसर्रत आलम की रिहाई के बाद केंद्र सरकार के सख्त रुख का असर दिखने लगा है। केंद्र राजनीतिक कैदियों की रिहाई रोकने के लिए मुफ्ती मुहम्मद सईद सरकार पर दबाव बनाने में सफल रहा है। जम्मू-कश्मीर के गृह सचिव सुरेश कुमार ने मंगलवार को आश्वासन दिया कि आगे से किसी आतंकी या राजनीतिक कैदी को रिहा नहीं किया जाएगा। इसी बीच यह खबर आ रही है कि मुफ्ती सरकार ने मसर्रत आलम की रिहाई से संबंधित रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि मसर्रत की रिहाई की फाइल राज्यपाल तक नहीं पहुंची थी और न ही इस संबंध में केंद्र को सूचित किया गया था। मसर्रत के बाद दूसरे कई आतंकी व राजनीतिक कैदियों की रिहाई की अटकलों के बीच पूरे दिन गृह मंत्रालय में बैठकों का दौर जारी रहा। मंत्रालय के अधिकारी जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों को घाटी की सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव को समझाने में लगे रहे।

    राजनाथ की सख्त चेतावनी

    केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सार्वजनिक रूप से कहा कि गठबंधन और सरकार उनकी प्राथमिकता नहीं है। अ‌र्द्धसैनिक बल सीआइएसएफ के मंच से राजनाथ ने कहा, 'हमारी प्राथमिकता गठबंधन बचाना नहीं, देश की सुरक्षा है। हर किसी को हमारी इस मंशा का अहसास हो जाना चाहिए।'

    राजनाथ ने इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद ने मसर्रत की रिहाई के बारे में उनसे बात की थी। 'दैनिक जागरण' ने सोमवार को ही जानकारी दी थी कि मसर्रत की रिहाई से खफा केंद्र सरकार और भाजपा मुफ्ती को आगाह करेगी कि इस तरह के फैसलों से राज्य सरकार पर मुश्किलें आ सकती हैं।

    उप मुख्यमंत्री दिल्ली तलब

    भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद को आगाह कर दिया कि साझा कार्यक्रम से भटकने की कोशिश हुई तो मुश्किलें खड़ी होंगी। शाह ने अपने उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह को भी दिल्ली बुलाकर सरकार के कामकाज पर नजर रखने का निर्देश दे दिया है।

    भाजपा के मुताबिक, गठबंधन सरकार चलानी है तो इसकी बड़ी जिम्मेदारी पीडीपी और मुफ्ती को निभानी होगी। मंगलवार की शाम शाह ने निर्मल सिंह और जम्मू-कश्मीर के प्रदेश अध्यक्ष जुगल किशोर समेत कुछ नेताओं की बैठक बुलाई। बताते हैं कि शाह ने भी उन्हें स्पष्ट कर दिया कि राज्य में भाजपा दबाव में नहीं दिखनी चाहिए। बल्कि मुफ्ती पर यह दबाव बरकरार रखना चाहिए कि वह साझा कार्यक्रमों पर काम शुरू करें।

    वक्त देना चाहती है भाजपा

    भाजपा गठबंधन सरकार को थोड़ा वक्त देना चाहती है। दरअसल कोशिश यह है कि विवादों से हटकर कश्मीरी पंडितों को पुनर्वास, शरणार्थियों के कश्मीर में बसने के अधिकार, परिसीमन आयोग के गठन जैसे काम को आगे बढ़ाया जाए। विकास की योजनाएं परवान चढ़े ताकि भाजपा पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की कवायद को तर्कसंगत रूप से सही ठहरा सके।

    पढ़ेंःअब मुजाहिदीन के पूर्व कमांडर डॉ. फख्तू की रिहाई की अटकलें तेज

    पढ़ेंः मसर्रत पर महाभारत, पीएम बोले- ऐसी कोई हरकत बर्दाश्त नहीं