ज्यादातर कर्मचारी करते थे जासूसी
मंत्रालयों में जासूसी मामले में गिरफ्तार किए गए सभी 14 आरोपियों से पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ है।
नई दिल्ली । मंत्रालयों में जासूसी मामले में गिरफ्तार किए गए सभी 14 आरोपियों से पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ है। आरोपियों का कहना है कि निचले स्तर पर कार्यरत ज्यादातर कर्मचारी दस्तावेज लीक करने में जुटे हुए थे। इस धंधे में उन्हें बहुत अच्छी कमाई हो जाती थी। इसके अलावा मंत्रालयों में जहां-तहां ऊर्जा कंपनियों के कर्मचारी घूमते रहते थे।
इस बीच धरपकड़ से बड़ी संख्या में मंत्रालयों के कर्मचारियों ने लंबा अवकाश लेकर मोबाइल फोन बंद कर फरार हो गए हैं। अब तक गिरफ्तार सभी आरोपियों की निशानदेही पर बरामद हर दस्तावेजों की क्राइम ब्रांच बारीकी से जांच कर रही है। पुलिस यह पता लगाने में जुट गई है कि कौन-कौन दस्तावेज कितने महत्वपूर्ण थे। मल्टी टास्किंग कर्मचारी (एमटीएस) व पूर्व कर्मचारी कितने महत्वपूर्ण दस्तावेजों की चोरी करते थे। चोरी किस तरह करते थे और उसे कैसे बाहर निकाल कर बेचते थे। दस्तावेजों की जांच की वजह से क्राइम ब्रांच ने फिलहाल आरोपियों की धर-पकड़ करना बंद कर दिया है।
सात के खिलाफ सुबूत नहीं
क्राइम ब्रांच के पास रिमांड पर फिलहाल एक आरोपी लोकेश शर्मा ही है, जो अलग ग्रुप में दस्तावेज चोरी कर वरिष्ठ पत्रकार शांतनु सैकिया, प्रयास जैन व ऊर्जा कंपनियों को बेचता था। पुलिस ने जिन सात कर्मचारियों लालबाबू, रंजीत, अमित, कमल, किशोर, सुरेंद्र व एक अन्य को हिरासत में लिया है, उनके बारे में दस्तावेज चोरी करने व बेचने की जानकारी मिली है। लेकिन उनके खिलाफ पुलिस को सुबूत नहीं मिल रहा है। फिलहाल उनसे पूछताछ जारी है।
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