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    एक अप्रैल से नहीं होगा 2 लाख से ज्यादा का कैश लेन-देन

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Wed, 22 Mar 2017 10:08 AM (IST)

    एक जुलाई 2017 से अगर कोई व्यक्ति अपना 'आधार' नंबर आयकर विभाग को नहीं देता है तो उसका पैन नंबर रद्द हो जाएगा।

    एक अप्रैल से नहीं होगा 2 लाख से ज्यादा का कैश लेन-देन

    नई दिल्ली, [हरिकिशन शर्मा]। नोटबंदी के बाद सरकार ने कालेधन पर अंकुश लगाने को एक और कठोर कदम उठाया है। सरकार ने 'वित्त विधेयक 2017' में संशोधन का प्रस्ताव किया है जिसके पारित होने पर आगामी एक अप्रैल से दो लाख रुपये से अधिक का नकद लेन-देन अवैध माना जाएगा।

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    सरकार ने पहले यह सीमा तीन लाख रुपये तय करने का प्रस्ताव किया था, जिसे अब घटाकर दो लाख रुपये कर दिया गया है। वहीं एक जुलाई 2017 से अगर कोई व्यक्ति अपना 'आधार' नंबर आयकर विभाग को नहीं देता है तो उसका पैन नंबर रद्द हो जाएगा। जुलाई से पैन नंबर बनवाने और आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए भी 'आधार' नंबर जरूरी होगा।

    वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त विधेयक 2017 में 40 आधिकारिक संशोधन मंगलवार को लोक सभा में पेश किए। इनके जरिए आयकर कानून में इस आशय के बदलाव के साथ-साथ कई अन्य कानूनों में भी संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। वित्त विधेयक के जरिए कई कानूनों एक साथ संशोधन करने के सरकार के कदम का विपक्ष ने विरोध किया। हालांकि जेटली ने जब संसदीय परंपराओं, संवैधानिक व विधायी साक्ष्यों का हवाला दिया तो लोक सभा सुमित्रा महाजन ने विपक्षी सदस्यों की दलीलों को दरकिनार कर विधेयक पर चर्चा शुरु करवाई।

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    बाद में राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने ट्विटर पर कहा कि सरकार ने वित्त विधेयक 2017 में आधिकारिक संशोधन पेश करते हुए सरकार ने नकद लेन-देन की सीमा तीन लाख रुपये से घटाकर दो लाख रुपये कर दी है। अगर कोई व्यक्ति इस सीमा से अधिक राशि का नकद लेन-देन करता है तो उसे गैर-कानूनी माना जाएगा। इस प्रावधान का उल्लंघन करने पर उस व्यक्ति पर इस राशि के बराबर जुर्माना भरना पड़ेगा।

    वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक फरवरी को पेश हुए आम बजट में कैश पर अंकुश लगाने के इरादे से वित्त विधेयक 2017 के जरिए आयकर कानून में धारा 269एसटी जोड़ने का प्रस्ताव किया था। उस समय में इसमें नकद लेन-देन की सीमा तीन लाख रुपये तय की गयी थी।

    वित्त विधेयक 2017 में सरकार ने एक और महत्वपूर्ण संशोधन का प्रस्ताव किया है। यह संशोधन पैन बनवाने तथा आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए 'आधार' नंबर अनिवार्य बनाने के संबंध में है। एक जुलाई से पैन नंबर के आवेदन और आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए 'आधार' नंबर जरूरी हो जाएगा। सरकार के इस उपाय का असर यह होगा कि जो लोग फिलहाल कई पैन नंबर लेकर आयकर विभाग से अपनी वास्तविक आय छुपाते हैं, अब उन पर अंकुश लग सकेगा।

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    इससे कालेधन के खिलाफ मुहिम तेज होगी। हालांकि जिन लोगों के पास आधार नंबर नहीं है वे 'आधार' नंबर के लिए आवेदन करने के बाद आवेदन संख्या अपने पैन नंबर के आवेदन में दे सकेंगे। साथ ही अगर कोई व्यक्ति अपना 'आधार' नंबर आयकर विभाग को सूचित नहीं करता है तो उसका पैन नंबर रद्द हो जाएगा तथा सरकार उसके खिलाफ आयकर कानून के तहत कार्रवाई कर सकती है। सरकार ने इस संबंध में आयकर कानून 1961 में एक नयी धारा 139एए जोड़ने का प्रस्ताव वित्त विधेयक 2017 में किया है।