इस साल मराठवाड़ा में 100 से अधिक किसानों ने की आत्महत्या
2016 में 3,052 किसानों ने आत्महत्या की जिसमें 1,053 मामले औरंगाबाद के रहे जोकि माराठवाड़ा क्षेत्र में आता है। वहीं साल 2017 में 117 मामले दर्ज किए गए।
नई दिल्ली(जेएनएन)। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ये दावा करते रहते हैं कि महाराष्ट्र में कृषि संकट को बचाने के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है, लेकिन इसके बावजूद अगर आंकड़ों पर नजर डाले तो साल 2017 के पहले ही दो महीनों में मराठवाड़ा में करीब 117 किसानों ने सूखे के चलते आत्महत्या कर ली।
भारी बारिश और कृषि उत्पादकता में तेजी के बावजूद किसानों की आत्महत्या के मामले और बढ़ रहे हैं। आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले बीड से सामने आए, यहां 23 किसानों ने फसल खराब होने के चलते मौत को गले लगा लिया। वहीं ग्रामीण मंत्री पंकजा मुंडे के गृहनगर नांदेड़ में 22 किसानों ने आत्महत्या की , उस्मानाबाद में 19, औरंगाबाद में 18, जालना में 14, परभानी और हिंगोली में 8-8 और लातूर में 5 किसानों ने आत्महत्या की। इसमें से 117 मामलों में, मृतकों के 46 परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान की गई थी। लेकिन 13 परिवारों ने राहत लेने से इंकार कर दिया और 58 प्रस्ताव पर अभी भी काम चल रहा है।
राज्य स्तर के प्रमुख किशोर तिवारी ने बताया, 'किसानों के लिए सरकार ने कई तरह के उपाय किए हैं लेकिन परिणाम दिखाई नहीं देता है। हमे किसानों की आत्महत्या को रोकने के लिए अपनी रणनीति का दोबारा से प्रारूप तैयार करना होगा। बाजार के हस्तक्षेप के साथ हमें कृषि उत्पाद के लिए फायदेमंद मूल्य भी उपलब्ध कराने चाहिए। किसानों के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने और स्वास्थ्य देखभाल के लिए वित्तीय सहायता के लिए एक योजना तैयार की जानी चाहिए।'
2016 में टार, टमाटर, प्याज और अधिकांश सब्जियां का उत्पादन दोगुनी हुआ और तीन गुणा भी बढ़ा, लेकिन किसानों को इनके कम दाम मिले।
आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 में 3,052 किसानों ने आत्महत्या की जिसमें 1,053 मामले औरंगाबाद के रहे जोकि माराठवाड़ा क्षेत्र में आता है। वहीं साल 2017 में 117 मामले दर्ज किए गए।
विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा, 'पिछले ढाई सालों मे 9,000 किसानों ने आत्महत्या की है। हम फडणवीस सरकार से मांग करते हैं कि किसानों की आत्महत्या को रोकने के लिए उनका कर्ज माफ करें।'
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