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    मोदी सरकार का पहला आम बजट आज, टैक्स में छूट की उम्मीद

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    Updated: Thu, 10 Jul 2014 07:43 AM (IST)

    नरेंद्र मोदी सरकार का पहला बजट देश में आर्थिक सुधारों के नए युग का सूत्रपात कर सकता है। विरासत में मिली बेहद खस्ताहाल अर्थव्यवस्था, बिगड़ता बजटीय घाटा और अंदर तक चुभती महंगाई से निबटने के लिए सरकार सुधारों के रूप में कुछ कड़े कदम भी उठा सकती है।

    नई दिल्ली, [जयप्रकाश रंजन]। नरेंद्र मोदी सरकार का पहला बजट देश में आर्थिक सुधारों के नए युग का सूत्रपात कर सकता है। विरासत में मिली बेहद खस्ताहाल अर्थव्यवस्था, बिगड़ता बजटीय घाटा और अंदर तक चुभती महंगाई से निबटने के लिए सरकार सुधारों के रूप में कुछ कड़े कदम भी उठा सकती है। हालांकि इस दवा के साथ मध्यवर्ग को साफ सुथरी कर प्रणाली का तोहफा दिया जा सकता है। वहीं, उद्योग जगत के लिए निवेश का माहौल बेहतर करने के अलावा कारोबार की राह आसान की जा सकती है।

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    बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में बीते वित्त वर्ष 2013-14 की आर्थिक समीक्षा पेश की। इसमें गुरुवार को पेश होने वाले आम बजट को लेकर कुछ अहम संकेतक दिए गए हैं। समीक्षा से संकेत मिल रहे हैं कि वित्त मंत्री अरुण जेटली कुछ बड़े आर्थिक सुधारों की घोषणा कर सकते हैं। आर्थिक विकास दर को फिर से सात से आठ फीसद करने लिए के लिए केंद्र सरकार अगले दो वर्षो तक अपने खर्चे की कड़ी निगरानी कर सकती है। राजकोषीय घाटे को फिर से 2.5 फीसद के स्तर पर लाने के लिए वित्तीय प्रबंधन के नए रोडमैप लाने की भी उम्मीद है। इस उद्देश्य से वित्त मंत्री सब्सिडी पर कैंची चलाने के नए तरीके का भी एलान कर सकते हैं। संभव है कि सीधे बैंक खाते में सब्सिडी देने की योजना नए सिरे से परवान चढ़े।

    इसी तरह से सरकार आय कर कानूनों को पूरी तरह से बदलने की घोषणा कर सकती है। मौजूदा आय कर कानूनों की जगह प्रत्यक्ष कर संहिता यानी डीटीसी को लागू करने का एलान वित्त मंत्री कर सकते हैं। काफी समय से लटके वस्तु एवं सेवा कर [जीएसटी] को समयबद्ध तरीके से लागू करने की घोषणा भी संभव है। पिछले हफ्ते राज्यों के साथ बैठक में जीएसटी की राह आसान हुई है। कारोबारी जगत की बेहद पुरानी मांग को तवज्जो देते हुए वित्त मंत्री उन्हें इंस्पेक्टर राज से मुक्ति दिलाने के लिए कुछ अहम घोषणा कर सकते हैं। इसी तरह से औद्योगिक परियोजनाओं को तेजी से पर्यावरण संबंधी मंजूरी दिलाने के नए तरीके की घोषणा संभव है।

    अन्य सुधारों में श्रम, वित्तीय क्षेत्र और खाद्य बाजार में भी कुछ नए एलान हो सकते हैं। श्रम सुधारों और वित्तीय क्षेत्र में सुधार की पुरानी मांग को मोदी सरकार इस बार हरी झंडी दिखा सकती है। महंगाई से जूझती सरकार खाद्यान्न बाजार में सुधारों के नए कार्यक्रम का एलान करने जा रही है। जन वितरण प्रणाली यानी पीडीएस में सुधार का बहुप्रतीक्षित कदम भी उठाया जा सकता है। इसी तरह से ढांचागत क्षेत्र में नए निवेश को बढ़ावा देने के साथ-साथ मैन्यूफैक्च¨रग में निवेश का माहौल बनाने के उपायों का एलान हो सकता है। शेयर बाजार को मजबूत बनाने संबंधी कुछ घोषणाएं होंगी। सरकारी कोयला कंपनी कोल इंडिया में पुनर्गठन की घोषणा भी बजट में होने की संभावना है। रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए मैन्यूफैक्च¨रग क्षेत्र पर खास तवज्जो दिए जाने के भी आसार हैं।

    समीक्षा के जरिये सरकार ने मंशा जताई है कि मनरेगा, सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन [एनआरएचएम] जैसी सामाजिक स्कीमों के मौजूदा स्वरूप से वह खुश नहीं है। इनमें बड़े बदलाव की जरूरत है। माना जा रहा है कि वित्त मंत्री सभी सामाजिक स्कीमों को लागू करने की नई सोच दर्शा सकते हैं, लेकिन महिलाओं और बच्चों के विकास के लिए आवंटन को और बढ़ाया जा सकता है।

    समीक्षा में बजट के संकेत

    1. सब्सिडी पर चलेगी कैंची, वित्तीय घाटे को कम करने के होंगे उपाय

    2. कर व्यवस्था को सुधारने व पारदर्शी बनाने के लिए उठेंगे कदम

    3. मौजूदा आय कर कानून के स्थान पर आएगा नया प्रत्यक्ष कर कानून

    4. वस्तु एवं सेवा कर लागू करने के लिए तय होगी समय सीमा

    5. राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में बदलाव, तय होगा घाटे का नया लक्ष्य

    6. निर्धारित समय सीमा की भीतर पूरी की जाएंगी ढांचागत परियोजनाएं

    7. इंस्पेक्टर राज के खात्मे के लिए हो सकती है अहम घोषणाएं

    8. परियोजनाओं को पर्यावरण मंजूरी की राह की जाएगी आसान

    9. महिला और बाल विकास को शुरू हो सकते हैं नए कार्यक्रम

    10. खाद्यान्न प्रबंधन की नई नीति, पीडीएस सुधार पर एलान संभव

    11. मनरेगा, एनआरएचएम जैसी स्कीमों में हो सकते हैं बड़े बदलाव

    12. वित्तीय क्षेत्र में सुधार लाने के लिए पेश होगा नया एजेंडा

    13. श्रम सुधारों के लिए सरकार तेजी से बढ़ा सकती है कदम

    14. सीधे बैंक खाते में सब्सिडी देने की योजना आगे बढ़ेगी

    15. विदेशी मुद्रा प्रबंधन के लिए नए कानून बनाना संभव

    पढ़ें: तेज विकास के लिए नीतिगत बदलावों पर होगा सरकार का जोर