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    नक्सलियों को उनके गढ़ में चुनौती देंगे मोदी

    By Sudhir JhaEdited By:
    Updated: Fri, 01 May 2015 08:42 PM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही नक्सलियों को उनके ही गढ़ में जाकर ललकारेंगे। इसी महीने प्रधानमंत्री छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में रैली को संबोधित करेंगे। स्थानीय लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए इस दौरान वे कई बड़ी विकास योजनाओं की घोषणा भी कर सकते हैं। सुरक्षा कारणों से फिलहाल आधिकारिक

    नई दिल्ली, नीलू रंजन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही नक्सलियों को उनके ही गढ़ में जाकर ललकारेंगे। इसी महीने प्रधानमंत्री छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में रैली को संबोधित करेंगे। स्थानीय लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए इस दौरान वे कई बड़ी विकास योजनाओं की घोषणा भी कर सकते हैं। सुरक्षा कारणों से फिलहाल आधिकारिक रूप से इस रैली की घोषणा नहीं की जा रही है।

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    नौ के बाद दौरा कभी भी

    गृह मंत्रालय के नक्सल प्रबंधन विभाग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रैली की तैयारी खुद प्रधानमंत्री कार्यालय से हो रहा है और उनसे जो भी इनपुट मांगा गया था, उन्होंने भेज दिया है। माना जा रहा है कि नौ मई के बाद किसी भी दिन दंतेवाड़ा में प्रधानमंत्री की रैली हो सकती है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रैली की तारीख की घोषणा बाद में होगी।

    जंगलों में छिपे हैं नक्सलियों के बड़े नेता

    दंतेवाड़ा में किसी भी प्रधानमंत्री की यह पहली रैली होगा। यह इसलिए भी अहम है क्योंकि यहीं जंगलों में नक्सलियों के सभी बड़ी नेता छिपे हुए हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा बलों के बढ़ते प्रभाव के कारण नक्सलियों का इलाका सिकुड़ रहा है और मोदी सरकार बनने के बाद बड़ी संख्या में नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं। वैसे अधिकांश आत्मसमर्पण छोटे व मंझले स्तर के नक्सली नेता कर रहे हैं, लेकिन इससे नक्सलियों के बीच बढ़ती असंतोष व असुरक्षा का पता चलता है।

    ममता ने भी जंगल महल में की थी रैली

    उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की रैली और नई विकास योजनाओं की घोषणा से नक्सलियों को आम जनता से अलग-थलग करने में सफलता मिल सकती है। पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री बनने के बाद ममता बनर्जी ने इसी तरह नक्सल प्रभावित जंगल महल में रैली की थी, जिसके बाद वहां से नक्सलियों का सफाया हो गया था।

    चुनौती देने का फैसला

    गौरतलब है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी ऐसे साहसी कदम उठाकर अपने विरोधियों को चौंकाते रहे हैं। सीमा पार गोलीबारी और कश्मीर में बाढ़ की विभीषिका के तत्काल बाद प्रधानमंत्री ने दीवाली का त्योहार सीमा की चौकियों पर तैनात जवानों के साथ मनाने का फैसला किया था। अब उन्होंने नक्सलियों के गढ़ में घुसकर उन्हें चुनौती देने का फैसला किया है।

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