और मजबूत होकर उभरे मोदी
विधानसभा चुनाव के नतीजों ने भाजपा का उत्साह ही नहीं बढ़ाया बल्कि विश्वास भी मजबूत कर दिया है। दरअसल चुनाव नतीजों ने आम चुनाव से पहले पार्टी के उस फैसले पर मुहर लगा दी जिसे लेकर सबसे ज्यादा विवाद और उहापोह था। चार अहम राज्यों की जनता ने भाजपा के लिए क्लीन स्वीप का संदेश देकर परोक्ष रूप से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का भी
नई दिल्ली, आशुतोष झा। विधानसभा चुनाव के नतीजों ने भाजपा का उत्साह ही नहीं बढ़ाया बल्कि विश्वास भी मजबूत कर दिया है। दरअसल चुनाव नतीजों ने आम चुनाव से पहले पार्टी के उस फैसले पर मुहर लगा दी जिसे लेकर सबसे ज्यादा विवाद और उहापोह था। चार अहम राज्यों की जनता ने भाजपा के लिए क्लीन स्वीप का संदेश देकर परोक्ष रूप से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का भी समर्थन कर दिया है और उन्हें प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाए जाने के फैसले पर मुहर लगा दी है। जाहिर है अब पार्टी इस मोदी लहर को तूफान में बदलने की कोशिश करेगी।
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भाजपा के लिए यह बाहर की जीत के साथ अंदरूनी लड़ाई की भी जीत है। यह किसी से छिपा नहीं है कि मोदी को पीएम उम्मीदवार घोषित करने से लेकर राज्यों में उनके चुनाव प्रचार तक पर दबे-छिपे कई सवाल उठाए जाते रहे थे। पार्टी के अंदर ही यह आशंका भी जताई जाती रही थी मोदी के नाम की घोषणा विधानसभा चुनावों पर प्रतिकूल असर डाल सकती है। बावजूद इसके पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने जब मोदी के नाम की घोषणा की तो शीर्ष नेतृत्व में मनभेद और तीखे होकर उभरे थे। जाहिर है कि ऐसे में चार राज्यों में सिर्फ फेरबदल का नतीजा पार्टी के अंदर संघर्ष को और गहराता। चार राज्यों के नतीजों के साथ भाजपा ने इस लड़ाई से पार पा लिया है और यह तय हो गया है कि 'नमो फैक्टर' अब और मजबूत होगा। खुद राजनाथ ने यह स्वीकारने में देर नहीं लगाई कि यह जीत मोदी की भी जीत है। दरअसल मोदी की जीत साबित कर खुद राजनाथ ने यह श्रेय ले लिया है कि उनके फैसले पर जनता ने मुहर लगा दी है।
मोदी ने चारों राज्यों में गहन चुनाव प्रचार किया था। उन्होंने करीब चार दर्जन सभाएं की थीं। राजस्थान इकाई के आग्रह पर तो उन्होंने वहां 20 से अधिक रैलियां की थीं। भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंककर राजनीति में प्रवेश करने वाली आम आदमी पार्टी की आंधी ने हालांकि दिल्ली में भाजपा की आसान जीत को रोक दिया लेकिन पार्टी के लिए यह संदेश उत्साहवर्द्धक है कि आप को वोट डालने वाले मतदाताओं की लोकसभा में पहली पसंद मोदी हैं। दिल्ली के बिखरे जनादेश ने भाजपा को बहुमत के नजदीक लाकर खड़ा कर दिया। खुद आप के नेता और चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव का भी मानना है कि विधानभा चुनाव में किसी पार्टी को वोट डालने वाले दो में से एक लोग लोकसभा में भी उसी दल को वोट डालते हैं। आम चुनाव में भाजपा राजस्थान और दिल्ली से बड़ी उम्मीदें लगाए बैठी है।
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