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    दूरदर्शन के लिए मुसीबत बना मोदी का साक्षात्कार

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    Updated: Sat, 03 May 2014 05:03 PM (IST)

    दूरदर्शन न्यूज को दिए नरेंद्र मोदी के साक्षात्कार को लेकर शुरू हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री उम्मीदवार से यह इंटरव्यू करने वाले चैनल के वरिष्ठ पत्रकार को अब सरकारी अधिकारियों की ओर से निशाना बनाया जा रहा है, जबकि इसी मामले के बहाने सूचना व प्रसारण मंत्रालय व दूरद

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दूरदर्शन न्यूज को दिए नरेंद्र मोदी के साक्षात्कार को लेकर शुरू हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री उम्मीदवार से यह इंटरव्यू करने वाले चैनल के वरिष्ठ पत्रकार को अब सरकारी अधिकारियों की ओर से निशाना बनाया जा रहा है, जबकि इसी मामले के बहाने सूचना व प्रसारण मंत्रालय व दूरदर्शन के वरिष्ठ अधिकारी अपनी पुरानी अदावत भी पूरी कर लेने की कोशिश में जुट गए हैं।

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    दूरदर्शन सूत्रों के मुताबिक यह विवाद सामने आने के बाद से मोदी का साक्षात्कार करने वाले दूरदर्शन के वरिष्ठ एंकर व विशेष संवाददाता अशोक श्रीवास्तव अधिकारियों के निशाने पर आ गए हैं। चैनल में सूचना व प्रसारण मंत्रालय के समर्थक जो अधिकारी हैं, उनका मानना है कि इस पूरे विवाद को श्रीवास्तव ने ही हवा दी है। चैनल कटे अंश को भी चलाने की तैयारी कर ही रहा था, लेकिन उन्होंने पहले ही मान लिया कि इसे नहीं चलाया जा रहा, जबकि सूत्र बताते हैं कि श्रीवास्तव ने खुलकर आवाज नहीं उठाई होती तो संभवत: यह साक्षात्कार चलाया ही नहीं जाता।

    शनिवार की सुबह साढ़े 9:30 बजे इसकी रिकार्डिग हुई। उसी दिन एक घंटे के अंदर पूरी फीड दिल्ली पहुंच चुकी थी। कायदे से यह शनिवार को ही चल जाना चाहिए था। इतना अहम साक्षात्कार होने के बावजूद चैनल पर इसका एक भी प्रोमो नहीं दिखाया गया, जबकि रविवार की सुबह तक प्रोमो भी तैयार थे। इसी तरह साक्षात्कार की प्रमुख बातों को हेडलाइन के तौर पर न्यूज बुलेटिन में भी शामिल नहीं किया गया। इस बारे में संपर्क किए जाने पर श्रीवास्तव ने सिर्फ यही कहा कि 'मैंने जो कुछ भी किया, एक प्रोफेशनल के तौर पर किया है। मैं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के इंटरव्यू के लिए भी पहले से ही कोशिश कर रहा हूं।'

    सूत्रों के मुताबिक इस पूरे मामले में 'ऊपर' के संपर्क में डीडी न्यूज के महानिदेशक एसएम खान ही थे। मगर अब मंत्रालय इस कोशिश में है कि पूरे मामले में खलनायक प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जवाहर सरकार को बनाया जाए। क्योंकि सरकार और सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी के संबंध बहुत खराब हैं। लेकिन, प्रसार भारती ने इस विवाद से अपने को अलग कर लिया है। उसका कहना है कि इस मामले को डीडी न्यूज के संपादकीय विभाग पर ही छोड़ दिया गया था। ऐसी चिंताएं थीं कि डीडी न्यूज के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के बावजूद दूसरे पक्ष से संतुलित साक्षात्कार नहीं हासिल किया जा सकता। इसलिए 'फ्री हैंड' दिया गया था। प्रसार भारती के सदस्यों को लिखे पत्र में जवाहर सरकार ने माना है कि साक्षात्कार के कई अंश स्पष्ट तौर पर हटा दिए गए। उन्होंने कहा है कि वह पता लगा रहे हैं कि 27 अप्रैल को साक्षात्कार का प्रसारण क्यों नहीं किया गया और कुछ अंशों को क्यों काट दिया गया। गौरतलब है कि दूरदर्शन प्रसार भारती के ही तहत आता है।

    सरकार ने कहा कि यदि दूरदर्शन व आकाशवाणी के महानिदेशकों की नियुक्ति के संबंध में नियम बदलने व बाहरी पेशेवरों को लाने की प्रसार भारती बोर्ड की पहल सफल होती तो एक साक्षात्कार पर इस तरह की आलोचनाएं न झेलनी पड़ती। साक्षात्कार रोकने के बारे में सरकार ने कहा कि डीडी न्यूज ने 27 अप्रैल की दोपहर उन्हें बताया कि टीम काम कर रही है और इसका प्रसारण जल्द होगा। यह साक्षात्कार मूलत: 56 मिनट का था लेकिन डीडी न्यूज ने 34 मिनट का ही दिखाया।

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