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    कश्मीर हिंसा : खालिस्तानियों की राह पर कश्मीरी आतंकी

    By Lalit RaiEdited By:
    Updated: Tue, 12 Jul 2016 03:20 AM (IST)

    बुरहान वानी के सफाए के बाद कश्मीर अशांत है। जानकारों का कहना है कि सरकार अब प्रभावी ढंग से आतंक का सामना करने के लिए कड़े फैसले ले सकती है।

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    नई दिल्ली [नीलू रंजन] । स्थानीय पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोलना बुरहान वानी के लिए महंगा साबित हुआ। बुरहान ने पिछले महीने वीडियो संदेश में स्थानीय पुलिस पर हमले का एलान किया था। आतंकवाद का दौर शुरू होने के बाद पहली बार आतंकियों ने पुलिस को निशाना बनाया है। कश्मीर के हालात पर नजर रखने वाले सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी इसे काफी अहम मानते हैं। उनका मानना है कि स्थानीय पुलिस को निशाना बनाने के बाद आतंकवादियों के लिए घाटी में टिकना आसान नहीं होगा। ऐसा ही पंजाब में हुआ था।

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    एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लगभग तीन दशक के आतंकी हिंसा के दौर में आतंकवादियों ने कभी सीधे तौर स्थानीय पुलिस को निशाना नहीं बनाया। वे हमेशा केंद्रीय अ‌र्द्धसैनिक बलों और सेना पर हमला करते रहते थे। यहां तक कि पत्थरबाजी के दौरान भी इसका ख्याल रखा जाता था। लेकिन बुरहान वानी के नेतृत्व में नए आतंकियों ने इसे तोड़ दिया। पिछले महीने की आठ तारीख को एक वीडियो संदेश जारी कर बुरहान ने कहा था कि आतंकवादियों के पास पुलिसकर्मियों पर हमला करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

    वानी ने कहा था, 'हमने पिछले महीने से कई पुलिसकर्मियों और सैन्यकर्मियों को निशाना बनाया है। पुलिसकर्मी हमारे अपने हैं। लेकिन फिर भी वे हमें हमला करने के लिए बाध्य करते हैं।'सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि स्थानीय पुलिस पर हमला कश्मीरी आतंकियों के लिए उसी तरह भारी पड़ेगा, जैसा कि पंजाब में हुआ था। पंजाब में जब तक खालिस्तानी उग्रवादियों ने सीधे-सीधे स्थानीय पुलिस बल को चुनौती नहीं दी थी, तबतक वे फल-फूल रहे थे। लेकिन जैसे ही उन्होंने पंजाब पुलिस को निशाना बनाना शुरू किया, उनके दिन लद गए। इसके बाद पंजाब पुलिस ने एक-एक उग्रवादी को ढूंढ-ढूंढ कर मार गिराया था।

    वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आम जनता के बीच से आए स्थानीय पुलिस का नेटवर्क बहुत मजबूत होता है। उन्हें आतंकी गतिविधियों की पुख्ता सूचना मिल जाती है, जो केंद्रीय सुरक्षा बलों के लिए आसान नहीं होता है। कश्मीर के घटनाक्रम पर नजर रखने वाले गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बुरहान वानी ने घाटी में स्थानीय आतंकियों की नई पौध तो खड़ी कर दी, लेकिन उनके पास करने के लिए कुछ खास नहीं था। अत्याधुनिक हथियारों से लैस केंद्रीय अ‌र्द्धसैनिक बलों पर हमला उसके लिए आसान नहीं था। यह काम पाकिस्तान से प्रशिक्षित आत्मघाती हमलावर ही कर सकते हैं।

    दूसरी ओर, नए आतंकियों को अपनी उपस्थिति भी दर्ज करानी थी। यही कारण है कि उन्होंने स्थानीय पुलिस उन पर हमला शुरू कर दिया। स्थानीय पुलिस पर हमले को सही साबित करने के लिए बुरहान वानी को खुद वीडियो संदेश भी जारी करना पड़ गया। लेकिन यह रणनीति उसके लिए महंगी साबित हुई।

    स्थानीय पुलिस पर ताजा हमले

    23 मई : श्रीनगर में आतंकी हमलों में तीन पुलिसकर्मी शहीद

    6 जून : पुलवामा आतंकी हमले में दो पुलिसकर्मी शहीद

    12 जून : बोनीगाम काजीगुंड में पुलिस पर हमला, चार पुलिसकर्मी घायल

    -15 जून : शोपियां पुलिस स्टेशन पर ग्रेनेड से हमला