घाटी में शांति के लिए महबूबा चाहती है पाक समेत दोनों पक्षों से वार्ता
जम्मू कश्मीर में उपजी अशांति के लिए पाकिस्तान को खरीखोटी सुनाने वाली राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती चाहती है कि घाटी में शांति के लिए इन दोनों पक्षों से बात हो।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। जम्मू-कश्मीर में कायम असामान्य स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती दुविधा में दिखने लगी हैं। एक दिन पहले तक अलगाववादियों और पाकिस्तान को कड़ा संकेत देने वाली महबूबा अब चाहती हैं कि घाटी में शांति के लिए इन दोनों पक्षों से बात हो। उनका यह ताजा रुख यू टर्न न दिखे, लिहाजा दूसरे ही पल पाकिस्तान की नीतियों की आलोचना करने से भी नहीं चूक रही हैं। उन्होंने पूरे संकट के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहरा दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लगभग एक घंटे तक हुई चर्चा के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से कहा गया कि महबूबा ने समस्या के निदान के लिए पीएम के समक्ष त्रिस्तरीय कार्ययोजना पर काम करने की बात रखी। इसमें वाजपेयी की नीति के मुताबिक एक वार्ताकार समिति की नियुक्ति का भी सुझाव है। यह सब कुछ तब हो रहा है, जब केंद्र सरकार कश्मीर में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की तैयारी में जुटी है।
प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के दौरान महबूबा ने कहा कि कश्मीर में अमन के लिए त्रिस्तरीय फार्मूले पर काम करना चाहिए, जिसमें अलगाववादियों के साथ ही पाकिस्तान से भी बातचीत हो। जबकि सरकार ने पहले ही साफ कर दिया है कि संविधान के दायरे में ही बातचीत होगी। पाकिस्तान से केवल गुलाम कश्मीर पर ही वार्ता होगी। ऐसे में महबूबा मुफ्ती की ताजा मांग केंद्र सरकार को असहज कर सकती है। खासतौर पर तब जबकि पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने भी इसे रंग देते हुए उम्मीद जताई है कि भारत-पाक के बीच वार्ता होगी। लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की वार्ता से इन्कार किया।
महबूबा का असमंजस इतना स्पष्ट दिखा कि वह जहां पाकिस्तान के रुख पर एतराज जताती रहीं, वहीं सभी पक्षों से बातचीत की वकालत भी करती रहीं। बताते हैं कि प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया कि राष्ट्रहित और संविधान को ध्यान में रखते हुए हर मुमकिन कदम उठाया जाएगा। वह कश्मीर में जल्द शांति बहाली चाहते हैं।
पीएम से मिलीं महबूबा, प्रदर्शनकारियों से कहा मुझे एक मौका दीजिए
महबूबा के अनुसार, उन्होंने पीएम से कहा कि ऐसे लोगों की एक समिति बनाई जाए, जो सभी संबंधित पक्षों से खुले दिल से बातचीत करें। इसी बहाने उन्होंने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की कश्मीर नीति की भी याद दिलाई। कहा कि वाजपेयी ने वार्ताकारों के जरिये मसले को सुलझाने की जो नीति बनाई थी, वही समस्या को सुलझाने में कारगर होगी। उन्होंने लगे हाथ अपने स्वर्गीय पिता और पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का बयान भी याद दिला दिया। इसमें सईद ने कहा था कि कश्मीर समस्या का हल उसी प्रधानमंत्री के कार्यकाल में निकल सकता है, जिसे दो-तिहाई बहुमत हासिल हो।
मोदी की तारीफ करते हुए महबूबा ने कहा कि उन्होंने तो पूरा साहस दिखाया और पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ को न सिर्फ अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया, बल्कि खुद लाहौर भी गए। लेकिन बदले में हमें मिला पठानकोट पर हमला। इसी तरह जब पाकिस्तान कश्मीर में हिंसा को बढ़ावा दे रहा है, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बड़ा दिल दिखा कर लाहौर जाने का न्योता स्वीकार किया। लेकिन पाकिस्तान ने इस मौके को भी गंवा दिया।
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