इतालवी नौसैनिकों को मिलेगी कड़े कानून से राहत
इटली के नौसैनिकों पर सुआ [समुद्री परिवहन गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून] के तहत मुकदमा न चलाने पर कानून मंत्रालय व विदेश मंत्रालय एक राय हो गए हैं। इटली भी इस कानून के तहत कार्रवाई का कड़ा विरोध जता रहा है। इस कानून के तहत दोषी के खिलाफ मौत की सजा का प्रावधान है।
नई दिल्ली। इटली के नौसैनिकों पर सुआ [समुद्री परिवहन गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून] के तहत मुकदमा न चलाने पर कानून मंत्रालय व विदेश मंत्रालय एक राय हो गए हैं। इटली भी इस कानून के तहत कार्रवाई का कड़ा विरोध जता रहा है। इस कानून के तहत दोषी के खिलाफ मौत की सजा का प्रावधान है।
सूत्रों के अनुसार कानून मंत्रालय का मत है कि केरल के मछुआरों के हत्यारोपी इटली के दो नौसैनिकों के खिलाफ सुआ के तहत मुकदमा न चलाया जाए। विदेश मंत्रालय पहले ही साफ कर चुका है कि नौसैनिकों पर इस कानून के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती। सूत्रों ने बताया कि कानून मंत्रालय ने शनिवार को गृह मंत्रालय को अपनी राय भेज दी है। मामला अब गृह मंत्रालय के पाले में है।
कानून मंत्रालय की यह राय सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के महज दो दिन पहले आई है। ऐसे में इसे काफी अहम माना जा रहा है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में 18 फरवरी को सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल जीई वाहनवती ने कानून मंत्रालय में मसला विचाराधीन होने की दुहाई देते हुए अदालत से सोमवार तक का समय मांगा था।
इटली ने दी संबंध बिगड़ने की चेतावनी
इटली सरकार व हत्यारोपी नौसैनिकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामला निरस्त करने की मांग की है। साथ ही सुआ के तहत मुकदमा चलाने का भी विरोध किया है। पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि नौसैनिकों पर से सुआ की वे धाराएं हटा ली गई हैं, जिनमें मौत की सजा का प्रावधान था। सरकार के इस भरोसे के बावजूद इटली ने सुआ लगाने को लेकर अपना विरोध जारी रखा है। इटली की मांग है कि नौसैनिकों पर सुआ के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता क्योंकि यह कानून समुद्री डाकुओं के खिलाफ लगाया जाता है और नौसैनिक आतंकी या डाकू नहीं हैं।
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