Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    12 साल से चल रही है यहां वीरप्पन के 3000 करोड़ के खजाने की खोज

    By anand rajEdited By:
    Updated: Fri, 27 May 2016 03:00 PM (IST)

    कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन ने अपने समय में हाथी दांत और चंदन की तस्करी कर करीब 3 हजार करोड़ की दौलत जुटाई थी। पिछले 12 साल अभी भी उसकी तलाश की जा रही है।

    नई दिल्ली। कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन ने अपने समय में हाथी दांत और चंदन की तस्करी कर करीब 3 हजार करोड़ की दौलत जुटाई थी, लेकिन कर्नाटक और तमिलनाडु एसटीएफ ने संयुक्त मिशन चलाकर उसका खात्मा कर दिया। कर्नाटक व तमिलनाडु एसटीएफ ने इसे 'मिशन ककून' नाम दिया था। लेकिन एसटीएफ या सरकार को वीरप्पन का खजाना और हथियारों का जखीरा कभी नहीं मिल सका। उसके इस छिपे हुए खजाने को ढूंढने के लिए कई गांव वाले लगे हुए हैं लेकिन फिलहाल किसी के हाथ सफलता हाथ नहीं लगी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ये भी पढ़ेंः स्कूल में दाखिले की अजीब शर्त, 'पढ़ना है तो सोशल मीडिया छोड़ो'
    एसटीएफ के आधिकारिक जानकारी के अनुसार, 18 अक्टूबर 2004 को खूंखार चंदन तस्कर वीरप्पन को एनकाउंटर में एसटीएफ ने मार गिराया था। इसके साथ ही उसने खजाने की तलाश शुरू कर दी थी। वीरप्पन ने हाथी दांत, चंदन तस्करी व किडनैपिंग के जरिए 2500 से 3000 करोड़ की दौलत जमा कर ली थी। बताया जाता है कि इस खजाने को वीरप्पन ने कर्नाटक व तमिलनाडु की सीमा से लगने वाले सत्यमंगलम के घने जंगलों में गड्ढे खोदकर दबाया था।

    ये भी पढ़ेंः वीरप्पन से जुड़ी सभी खबरों को जानने के लिए यहां क्लिक करें
    जानकारों के अनुसार, इस इलाके में पैसे, जेवरात व अन्य कीमती जीचें जमीन में दबाकर रखने का चलन काफी पुराना है। गांव वाले बैंक या घर में पैसे या कीमती सामान रखने की बजाय यही तरीका अपनाते हैं।
    तमिल मैगजीन नक्कीरन के संपादक आर गोपाल (जिन्होंने वीरप्पन का इंटरव्यू लिया था) बताते हैं कि खूंखार चंदन तस्कर वीरप्पन अपनी कमाई को बड़ी हिफाजत से रखता था। जंगल के बीचोंबीच कई जगह पर बड़े-बड़े गड्ढे खोदे जाते थे और उनके अंदर अनाज के साथ 500 व 1000 के नोटों का बंडल पॉलिथीन में रखकर दबाए गए हैं क्योंकि उनमें कीड़े न लगें। साथ ही साथ वीरप्पन को इस जंगल के चप्पे-चप्पे की जानकारी थी।
    तत्कालीन एसटीएफ प्रमुख के विजय कुमार का मानना है कि वीरप्पन जहां भी पैसे दबाता था, उस जगह पहचान के लिए अपने कोडवर्ड में कोई न कोई निशान जरूर छोड़ता था। इस कोडवर्ड को वीरप्पन या उसके कुछ खास लोग ही जानते थे, लेकिन सभी की मौत होने के बाद यह खजाना जमीन में गड़ा हुआ है। हालांकि, कुछ स्थानीय लोग इसकी तलाश में आज भी जुटे हुए हैं।
    एनकाउंटर के बाद एसटीएफ ने वीरप्पन के खजाने की खोज में बड़ा ऑपरेशन लॉन्च किया था, लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी। खजाने के साथ कई हथियार भी उसने जमीन में दबा रहे थे, जिन्हें वह जरूरत पड़ने पर बाहर निकालता था।

    ये भी पढ़ेंः देश की सभी खबरों के लिए यहां क्लिक करें