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    नोटबंदी की तैयारी व इंतजाम में विफल रही सरकार : मनमोहन

    By Lalit RaiEdited By:
    Updated: Thu, 24 Nov 2016 09:10 PM (IST)

    नोटबंदी पर राज्यसभा में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने केंद्र पर जमकर हमला बोला। अपने सवालों के बौछार में उन्होंने उन्हीं जुमलों का इस्तेमाल किया जो अक्सर पीएम मोदी करते हैं।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने नोटबंदी के बाद पैदा हुए हालात को सरकार की 'घोर प्रबंधकीय विफलता' व संगठित और कानूनी लूट करार दिया है। राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मनमोहन ने आगाह किया अर्थव्यवस्था को नुकसान के साथ जीडीपी में कम से कम दो फीसद की गिरावट आ सकती है।

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    तीन चार दिन के शोर शराबे के बाद गुरुवार को राज्यसभा में चर्चा शुरू हुई तो पहल मनमोहन सिंह ने की। उन्होंने कहा कि वह फैसले के विरोध में नहीं हैं, लेकिन देश के किसानों, असंगठित क्षेत्र तथा लघु उद्योगों पर बहुत बुरा असर पड़ा है। इनकी हालत खराब है। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री उनकी तकलीफों को दूर करने के लिए देरसबेर कुछ व्यावहारिक रास्ते निकालेंगे।

    गौरतलब है कि मनमोहन वित्तमंत्री और रिजर्व बैंक के गवर्नर भी रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी की दिक्कतों को समझना और महसूस करना जरूरी है। उसे रातोंरात थोपी गई मुसीबत का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री को कुछ ऐसे सृजनात्मक प्रस्ताव लेकर आना चाहिए, ताकि आम जनता का भरोसा न टूटने पाए। पचास दिन इंतजार करने की मोदी की अपील को मनमोहन ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि किसी को नहीं मालूम की नोटबंदी का अंतिम परिणाम क्या होगा।

    'माना कि पचास दिन छोटी अवधि है। लेकिन गरीबों और वंचितों के लिए इतनी अवधि का उत्पीड़न भी तबाही ला सकता है। अब तक 60-65 लोगों की जान जा चुकी है। चिंताजनक बात यह है कि जो कुछ किया गया है उससे हमारी मौद्रिक एवं बैंकिंग व्यवस्था पर से लोगों का भरोसा उठ सकता है।'इससे पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने सभापति हामिद अंसारी तथा नेता सदन अरुण जेटली से अनुरोध किया कि चूंकि प्रधानमंत्री सदन में उपस्थित हो गए हैं लिहाजा प्रश्नकाल को स्थगित कर विमुद्रीकरण पर चर्चा फिर से शुरू कराई जानी चाहिए।

    आजाद के अनुरोध को सरकार ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। जेटली ने कहा कि चर्चा तुरंत शुरू होनी चाहिए और प्रधानमंत्री इसमें निश्चित रूप से हिस्सा लेंगे।सुबह जैसे ही सदन की कार्यवाही प्रारंभ हुई, उप सभापति पीजे कुरियन ने विमुद्रीकरण पर 16 नवंबर को स्थगित हुई चर्चा को आगे बढ़ाने की कोशिश की। लेकिन विपक्ष ने प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति को लेकर हंगामा खड़ा कर दिया। इस पर कुरियन को कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।

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    प्रश्नकाल में जब सदन पुन: बैठा तो प्रधानमंत्री मोदी आ चुके थे। इसी के साथ चर्चा का माहौल बन गया। मनमोहन सिंह के बाद सपा के नरेश अग्रवाल और तृणमूल के डेरेक ओ ब्रायन ने विमुद्रीकरण पर सरकार को घेरा। एक बजे के बाद सदन दोपहर के भोजनावकाश के लिए स्थगित हुआ। दो बजे जब कार्यवाही पुन: प्रारंभ हुई तो प्रधानमंत्री सदन में नहीं थे। इस पर विपक्ष ने फिर हंगामा शुरू कर दिया।

    कुरियन ने कहा चर्चा चलती रहनी चाहिए क्योंकि नेता सदन कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री आएंगे। लेकिन विपक्षी सदस्य भड़क गए और वेल में पहुंच कर 'काला धन वापस लाओ' झूठे वादे बंद करो, 'ब्रिंग बैक ब्लैक मनी', 'स्टॉप फाल्स प्रामिसेज' के नारे लगाने लगे।नाराज जेटली ने कहा कि उनकी यह आशंका सच साबित हुई कि विपक्ष चर्चा नहीं चाहता। क्योंकि वह चर्चा से भागने के नए-नए बहाने तलाश रहा है।

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