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    मणिपुर चुनाव प्रचार में तकनीक के सहारे हावी हुई भाजपा

    मणिपुर के कुल क्षेत्रफल का 90 फीसद हिस्सा पहाड़ी है। केवल 10 फीसद हिस्सा मैदानी है। पहाड़ी इलाकों में राज्य की सिर्फ 30 फीसद आबादी रहती है, जबकि 70 फीसद का बोझ मैदानी क्षेत्र पर है।

    By Mohit TanwarEdited By: Updated: Sat, 25 Feb 2017 05:58 PM (IST)
    मणिपुर चुनाव प्रचार में तकनीक के सहारे हावी हुई भाजपा

    ओमप्रकाश तिवारी, इंफाल। मणिपुर में चुनाव प्रचार में आगे निकलने के लिए भाजपा ने केवल अपने केंद्रीय नेताओं का दौरा ही नहीं कराया है। पार्टी तकनीक का भी सहारा ले रही है। प्रचार में भाजपा अपनी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस पर हावी होती जा रही है।

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    मणिपुर के कुल क्षेत्रफल का 90 फीसद हिस्सा पहाड़ी है। केवल 10 फीसद हिस्सा मैदानी है। पहाड़ी इलाकों में राज्य की सिर्फ 30 फीसद आबादी रहती है, जबकि 70 फीसद का बोझ मैदानी क्षेत्र पर है। पहाड़ों में दूर-दूर बसे 15-20 घरों के गांवों में चुनाव प्रचार अभियान चलाना आसान नहीं होता। इस मुश्किल को समझते हुए यहां पहली बार विधानसभा की सभी 60 सीटों पर उतरी भाजपा ने प्रचार में तकनीक का इस्तेमाल करने की योजना बनाई थी। उसकी योजना रंग लाती दिखाई दे रही है।

    भाजपा के पूर्वोत्तर प्रांतों के महासचिव (संगठन) अजय जमवाल ने प्रचार माध्यमों के इस्तेमाल के बारे में जानकारी दी। दूरदराज के इलाके के लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए पार्टी फेसबुक, वाट्सएप के अलावा वीडियो वैन सहारा ले रही है। इसका भरपूर असर होता दिख रहा है।

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    पार्टी ने 20 प्रचार रथ (वीडियो वैन) तैयार कराए हैं। हर प्रचार रथ एक दिन में 10 से 12 स्थानों पर पहुंचकर 20 मिनट की संगीतमय फिल्म दिखाता है। इन फिल्मों में मोदी सरकार की पूर्वोत्तर के लिए बनाई गई योजनाओं की जानकारी दी जाती है। इससे लोग बदलाव के लिए सोचने पर विवश हो रहे हैं।

    भाजपा की सोशल मीडिया टीम का नेतृत्व शुभ्रास्था कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया कैंपेन पहाड़ी इलाकों में लोगों तक पार्टी की नीतियों एवं विरोधी दल की खामियों को पहुंचाने में जुटा है। फेसबुक पर मणिपुर भाजपा पेज पर उनकी टीम पार्टी की नवीनतम गतिविधियों को पोस्ट करती है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए घोटालों को सचित्र पोस्ट किया जाता है। मुख्यमंत्री इबोबी के बेटे ओकराम हेनरी के ड्रग मामले में संलिप्त होने के पोस्ट को करीब 35000 लोगों ने देखा।

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    शुभ्रास्था ने बताया कि फेसबुक पर सोशल मीडिया टीम पोस्ट किए गए मुद्दे को तीन-चार दिनों तक चलाती है। इसके बाद नया मुद्दा डाला जाता है। अब तक वर्तमान सरकार के कार्यकाल में बढ़ी बेरोजगारी, राज्य में पेयजल की कमी, 15 साल में 600 बार हुए रोड ब्लॉक इत्यादि मुद्दे प्रमुख रहे हैं।

    शुभ्रास्था के अनुसार फेसबुक की पहुंच कम लोगों तक ही है। लेकिन वाट्सएप के सहारे उनकी टीम ज्यादा से ज्यादा लोगों तक सभी मुद्दे पहुंचाने में जुटी है।