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    Verdict 2016: 'एकला चलो' की नीति कामयाब, 'मां माटी मानुष' की हुई जीत

    By anand rajEdited By:
    Updated: Thu, 19 May 2016 12:40 PM (IST)

    बीते चुनाव के मुकाबले इस बार ममता बनर्जी के लिए पश्चिम बंगाल में परिस्थितियां इतनी आसान नहीं लग रही थी लेकिन दीदी को भी शायद आसान राजनीति रास नहीं आती। मुश्किलों से पार पाना ही उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खूबी है।

    नई दिल्ली। चुनाव पूर्व तमाम सर्वेक्षणों में जहां पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सीट घटने की बात कही जा रही थी। वहीं अब तक आए रुझानों ने ये दिखा दिया है कि दीदी की 'एकला चलो' की नीति हिट रही है और 'मां माटी औ मानुष' का नारा बुलंद।

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    कई चुनौतियों के बाद भी मिली सफलता

    बीते चुनाव के मुकाबले इस बार ममता बनर्जी के लिए पश्चिम बंगाल में परिस्थितियां इतनी आसान नहीं लग रही थी लेकिन दीदी को भी शायद आसान राजनीति रास नहीं आती। मुश्किलों से पार पाना ही उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खूबी है।

    शारदा स्कैम

    शारदा स्कैम जैसे बड़े घोटाले का दाग लगने और इसमें कई मंत्रियों के जेल जाने के बाद ममता बनर्जी की राजनीतिक राह थोड़ी मुश्किल जरूर हुई लेकिन वह कमजोर नहीं पड़ी। चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में उनकी सीटें घटने की बात कही जाती लेकिन ममता इसे विरोधियों का शिगुफा बताकर खारिज कर देती।

    बड़ा बाजार फ्लाइओवर हादसा

    कोलकाता के सबसे व्यस्त इलाके बड़ा बाजार में फ्लाई ओवर हादसे के बाद ममता बनर्जी पर कई सवाल उठे। पूचा गया कि आखिर पिछले कई सालों से बन रहे इस ओवर ब्रीज को चुनाव पूर्व इतनी तेजी से बनाने के पीछे क्या कारण है। कंपनी को ठेका देने को लेकर भी ममता के फैसले पर सवाल उठाए गए। लेकिन इन सबके बाद भी दीदी ने मतगणना के बाद आए रुझानों से सबका मुुंब बंद कर दिया।

    दीदी के बढ़ते कद से लेफ्टट-कांग्रेस हुए साथ

    दीदी अपनी चुनावी रैलियों में विरोधियों को सीधे मुकाबला करने की चुनौती देती थीं। वे अपने नेताओं और कार्यकर्ता को भी गलती पर फटकार लगाने से नहीं चूकतींं। पार्टी के साथ ही राज्य पर ममता का पूर्ण नियंत्रण रहा। ये बंगाल में दीदी के बढ़ते कद का ही प्रभाव था कि मुख्य विपक्षी लेफ्ट को भी उनसे टक्कर लेने के लिए पहली बार कांग्रेस से गठजोड़ करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

    जबकि ममता बनर्जी एकला चलो की नीति पर बनी रही और इसे भी अपने लिए चुनौती के तौर पर लिया। ममता का मां माटी और मानुष का नारा सीधे आम बंगाली के दिलों में उतर गया और पिछली बार की 184 सीटों के मुकाबले 210 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की।

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