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    महेश शर्मा व खट्टर से नाराज भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Mon, 19 Oct 2015 07:39 AM (IST)

    दादरी की घटना से लेकर पुरस्कार लौटा रहे लेखकों के विषय पर बयानबाजी कर रहे केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा व हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर समेत कुछ ...और पढ़ें

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    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दादरी की घटना से लेकर पुरस्कार लौटा रहे लेखकों के विषय पर बयानबाजी कर रहे केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा व हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर समेत कुछ अन्य नेताओं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह नाराज हैं। शर्मा को जहां खुद प्रधानमंत्री ने कुछ दिन पहले स्पष्ट निर्देश दिया कि बिना तर्क किसी भी मुद्दे पर न बोलें। केंद्र सरकार में मौजूद होने की जिम्मेदारी समझें और उसी लिहाज व मर्यादा में रह कर काम करना सीखें। उनके व्यवहार से सरकार पर आंच आ रही है। वहीं खट्टर, राज्यमंत्री संजीव बालियान, सासंद साक्षी महाराज व संगीत सोम को बुलाकर शाह ने लताड़ लगाई। उन्हें आगाह किया गया है कि भविष्य में संयत रहें और बेवजह बयानबाजी न करें।

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    दादरी में गोमांस को लेकर हुई घटना यूं तो राज्य सरकार से जुड़ी है। लेकिन भाजपा के ही कुछ नेताओं के कारण केंद्र सरकार कठघरे में खड़ी हो गई है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पहली गल्ती महेश शर्मा ने की। विरोध में पुरस्कार लौटा रहे लेखकों पर तर्कपूर्ण टिप्पणी करने की बजाय उन्होंने अपने बयान से ऐसे वर्ग को भी भड़का दिया जो इस मसले पर केंद्र की बजाय राज्य की सपा सरकार और वहां की कानून व्यवस्था को जिम्मेदार मान रहे थे। एक तरीके से उनके बयान के बाद ही यह मुद्दा देश में ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तूल पकड़ने लगा। पार्टी के एक नेता के अनुसार खासकर तब जबकि शर्मा संस्कृति मंत्रालय का भी जिम्मा संभाल रहे हैं ऐसे में उन्हें बयान देते वक्त ज्यादा संयत और तर्कपूर्ण होना चाहिए था।

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    बताते हैं कि खुद प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर शर्मा को आगाह किया है। उन्हें कहा गया है कि जरूरी नहीं है कि हर मुद्दे पर बयान दें। ऐसे बयानों के कारण ही विपक्ष राज्य सरकार से जुड़ा मसला पर केंद्र के पाले में डाल देते हैं। वरना दादरी की घटना उत्तर प्रदेश में हुई, एमएम कालबुर्गी की हत्या कर्नाटक में हुई, एन दाभोलकर की हत्या कांग्रेस काल में महाराष्ट्र में हुई थी। सवाल वहां की कानून व्यवस्था का है। लेकिन भाजपा नेताओं ने इसे केंद्र के पाले में डाल दिया।

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    खट्टर ने भी उसी तरह सीमा लांघी है। लिहाजा शाह ने उन्हें बुलाकर जिम्मेदारी का अहसास कराया। बताते हैं कि उन्हें कहा गया कि इस तरह के बयान से दूर रहें जिससे भावना भड़के। दो दिन पहले खट्टर ने कहा था कि देश में रहना है तो गोमांस खाना बंद करना पड़ेगा। बताते हैं कि इससे पहले हरियाणा के प्रभारी अनिल जैन ने भी उनसे बात की थी और कहा था कि अगर हरियाणा में गोमांस पर प्रतिबंध है तो वहीं की बात करनी चाहिए। जब प्रधानमंत्री की ओर से दादरी पर बयान आ चुका है तो मुख्यमंत्री को इस पर बोलने की जरूरत नहीं है। साक्षी महाराज, संगीत सोम और बालियान को भी शाह ने बयानबाजी के लिए सवाल किया। उन्हें कहा गया है कि भविष्य में ऐसी गलती न दोहराएं। गौरतलब है कि सोम ने कथित तौर पर मुजफ्फरनगर जैसी घटना के लिए आगाह किया था।

    हालांकि साक्षी महाराज का कहना है कि उन्हें कोई लताड़ नहीं लगाई गई। वह अपने संसदीय क्षेत्र की समस्या लेकर आए थे। लेकिन बताते हैं कि उन्हें स्पष्ट शब्दों में बेवजह बयान से बाज आने को कहा गया है।

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