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    भारी विरोध के बाद झुकी महाराष्ट्र सरकार, वापस लिया देशद्रोह का नया सर्कुलर

    By Test3 Test3Edited By:
    Updated: Tue, 27 Oct 2015 09:56 PM (IST)

    विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं के भारी विरोध के बाद महाराष्ट्र सरकार ने देशद्रोह संबंधी विवादास्पद सर्कुलर को वापस ले लिया है। इस सर्कुलर के तहत सरकार ...और पढ़ें

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    मुंबई : विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं के भारी विरोध के बाद महाराष्ट्र सरकार ने देशद्रोह संबंधी विवादास्पद सर्कुलर को वापस ले लिया है। इस सर्कुलर के तहत सरकारी नुमाइंदों की निंदा करनेवाले पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया जा सकता था।

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    राज्य सरकार ने मंगलवार को बांबे हाईकोर्ट को भारतीय दंड विधान की धारा 124-ए के दुरुपयोग संबंधी सर्कुलर को वापस लेने की सूचना दी। राज्य के महाधिवक्ता श्रीहरि अने ने न्यायमूर्ति वीएम कानाडे एवं न्यायमूर्ति शालिनी फनसालकर जोशी की खंडपीठ को बताया कि हाल ही में मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में विवादास्पद सर्कुलर वापस लेने का फैसला किया। न्यायमूर्ति कानाडे ने महाधिवक्ता से जानना चाहा कि यह किन परिस्थितियों में जारी किया गया था।

    इसके जवाब में महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार यह पता लगाएगी कि यह किस प्रकार जारी किया गया। 27 अगस्त को यह जारी किया गया था। सर्कुलर के विरोध में हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई थीं। एक याचिका कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी द्वारा दायर की गई। उन्हें स्वयं इस तरह के एक मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है। दूसरी याचिका वकील नरेंद्र शर्मा द्वारा दायर की गई।

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    बता दें कि यह फरमान राजद्रोह के मामले में नागरिक को आरोपित करने से जुड़े बांबे हाईकोर्ट के दिशानिर्देशों पर ही आधारित है। इसके अनुसार शब्द, चिह्न या ऐसे किसी भी बयान को राजद्रोह माना जाएगा जो सरकारी नुमाइंदे के खिलाफ बोला या किया जाएगा। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) केपी बख्शी का कहना था कि उन्होंने कोर्ट के आदेश के आधार पर सर्कुलर जारी किया। इसके अनुसार केवल सरकारी नुमाइंदों को गलत तरीके से दिखाए जाने पर मनाही है।

    जबकि सोशल मीडिया, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी दलों ने सर्कुलर के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी। उनका कहना था कि सरकारी नुमाइंदे शब्द का बेजा इस्तेमाल किया जा सकता है और राजनेताओं की आलोचना का भी गलत अर्थ निकालकर जेल भेजा जा सकता है।