मोटर विधेयक लोकसभा में पारित, विपक्ष के संशोधन खारिज
सरकार के इरादों को देखते हुए लगता है वह वहां भी इसे येन-केन-प्रकारेण पास करा लेगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दुर्घटना मुआवजा समेत अनेक मुद्दों पर विपक्ष के संशोधनो को खारिज करते हुए सरकार आखिर लोकसभा में मोटर वाहन संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित कराने में कामयाब हो गई। अब इसे केवल राज्यसभा की दीवार पार करना शेष है। सरकार के इरादों को देखते हुए लगता है वह वहां भी इसे येन-केन-प्रकारेण पास करा लेगी।
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ज्यादातर वही बातें दोहराई जो बिल पेश करते वक्त कही थीं। दुर्घटना में मौत की स्थिति में पांच लाख रुपये का मुआवजा तुरंत तथा अधिकतम दस लाख रुपये का मुआवजे देने के प्रावधान पर उनका तर्क था कि पांच लाख से संतुष्ट न होने वाले पीडि़तों के लिए ज्यादा मुआवजा पाने का रास्ता खुला रहेगा।
हालांकि इसके बावजूद कई बातें अब भी अस्पष्ट हैं। माना जा रहा है कि ज्यादातर पीडि़त बीमा कंपनियों के दबाव में झंझट से बचने के लिए पांच लाख मुआवजे पर राजी हो जाएंगे और मोटर एक्सीडेंट ट्रिब्यूनल या अदालत के समक्ष ज्यादा मुआवजे के लिए अपील नहीं करेंगे। अभी ट्रिब्यूनल या अदालतें पीडि़त की आर्थिक स्थिति के अनुसार मुआवजे का निर्धारण करती हैं जो पचास लाख या करोड़-दो करोड़ भी हो सकता है।
इसी आधार पर मुआवजे की अधिकतम सीमा को दस लाख से बढ़ाकर 20 लाख किए जाने के लिए माकपा सांसद शंकर प्रसाद दत्ता ने संशोधन भी पेश किया था। लेकिन वोटिंग में वह 37 के मुकाबले 221 मतों से रद हो गया। गडकरी ने कहा कि मुआवजे को 20 लाख करना संभव नहीं होगा क्योंकि इससे इंश्योरेंस प्रीमियम भी बढ़ जाएगा। लेकिन विशेषज्ञ और कई विपक्षी दल इससे सहमत नहीं हैं और वे राज्यसभा में संशोधन पर अड़ सकते हैं। राज्यसभा में सरकार बहुमत में नहीं है।
विधेयक में यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्मानों के अलावा दुर्घटना पीडि़तों की मदद करने वाले भले मानुसों की सुरक्षा करने व उन्हें पुलिस के उत्पीड़न से बचाने तथा घटिया व त्रुटिपूर्ण वाहन बनाने वाले निर्माताओं की जवाबदेही तय करने जैसे नए प्रावधान हैं। गडकरी के मुताबिक बिल का बुनियादी मकसद मानव जीवन की रक्षा करना है। क्योंकि हर साल पांच लाख सड़क दुर्घटनाओं में डेढ़ लाख लोग मारे जाते हैं। 'जब भाजपा सरकार पांच साल पूरे करे तो सड़क हादसों से मरने वालों की संख्या आधी रह जाए, हम इस दिशा में काम कर रहे हैं।'
बिल में ड्राइविंग लाइसेंस, परमिट, फिटनेस सर्टिफिकेट जैसे प्रपत्रों को पूरी तरह आनलाइन कर पारदर्शी बनाने का प्रयास किया गया है। इसमें पात्र आवेदकों को परेशान करने और समय पर सर्टिफिकेट न देने वाले अफसरों को दंडित करने की व्यवस्था भी की गई है। प्रत्येक व्यक्ति को लाइसेंस प्रदाता अधिकारी के पास जाना पड़ेगा और यदि तीन दिन में लाइसेंस नहीं मिलता है तो आरटीओ के खिलाफ कार्रवाई होगी। लर्नर लाइसेंस घर बैठे आनलाइन मिलेगा।
गडकरी ने कहा कि हादसों पर अंकुश लगाने के लिए उनका मंत्रालय सड़कों के किनारे क्रैश बैरियर लगाने की योजना बना रहा है। देश भर में ट्रामा सेंटर स्थापित करने का प्रस्ताव भी सरकार को प्राप्त हुआ है।
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