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    लोहड़ी पर किसानों को फसल बीमा का तोहफा, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी मंजूरी

    By Test1 Test1Edited By:
    Updated: Wed, 13 Jan 2016 09:22 PM (IST)

    सूर्यदेव के उत्तरायण होने के साथ ही किसानों को मोदी सरकार ने ऐतिहासिक सुरक्षा कवच प्रदान कर दिया है। अन्नदाता को लोहड़ी, मकर संक्रांति, बीहू और पोंगल के मौके पर देश के किसानों को फसल बीमा का सुरक्षा कवच का तोहफा दिया है।

    सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। फसल बीमा की जटिलताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुटकी में सुलझा दिया। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर चली लंबी कवायद के बाद भी मसौदे में कई तरह की खामियां और प्रक्ति्रयागत उलझाव रह गये थे। गेहूं, धान, दलहन व तिलहन की फसलों के लिए अलग-अलग बीमा प्रीमियम की उलझाऊ दरें देख प्रधानमंत्री ने इसे दुरुस्त करने को कहा।

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    लेकिन जब दूसरी बैठक में भी ऐसा नहीं हुआ तो उन्होंने इसे सिर्फ रबी व खरीफ सीजन की फसलों में बांटने का निर्देश देकर मुश्किलें सुलझा दी। फसल बीमा योजना के मसौदे के प्रावधानों को सरल, सहज और रियायती बनाने के लिए प्रस्ताव कई बार लौटाया गया था। तभी तो प्रधानमंत्री कार्यालय के आला अफसरों के साथ समूचा कृषि मंत्रालय पिछले एक सप्ताह से कड़ी मशक्कत कर रहा था। इसके लिए शनिवार व रविवार के साप्ताहिक अवकाश के दिन भी मंत्रालय खोलकर रखा गया था।

    सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की पिछली दो बैठकों में फसल बीमा योजना के मसौदे पर चर्चा तो हुई पर पारित नहीं हो सका। उसके प्रावधानों को ठीक करने की हिदायत के साथ उसे टाल दिया गया। लेकिन पिछली बैठक में कृषि मंत्रालय के प्रस्ताव पर कुछ वरिष्ठ सदस्यों ने इसके राजनीतिक नफा नुकसान का आंकड़ा पेश कर इसे और आसान बनाने की बात कही, जिस पर ज्यादातर लोगों ने हामी भरी। मसौदे के प्रावधानों को लेकर उठे सवालों पर प्रधानमंत्री ने बिना किसी विलंब के प्रीमियम की दर न्यूनतम रखने की बात कहकर फसल बीमा की रास्ता आसान कर दिया। पूर्ववर्ती अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में तत्कालीन कृ षि मंत्री राजनाथ सिंह ने किसानों के हित में पहली बार फसल बीमा योजना की शुरुआत की। अलग-अलग राज्यों में इसे अपने तरीके से टुकड़े-टुकड़े में लागू किया गया, जिसका प्रभाव बहुत व्यापक नहीं हो सका। मौसम आधारित फसल बीमा योजना का लाभ किसानों तक उसकी मंशा के अनुरूप किसानों को नहीं मिल पाया। नई फसल बीमा योजना को तैयार करने में राजनाथ सिंह ने भी अहम भूमिका निभाई है। तभी तो राजनाथ सिंह भी प्रधानमंत्री फसल बीमा पर सरकार के फैसले का ऐलान करने पहुंचे।

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    उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को किसानों का रक्षा कवच करार दिया। किसानों की फसल और उनकी सुरक्षा की गारंटी के लिए केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाले राजग ने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान वायदा किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि किसानों की फसलें भगवान भरोसे नहीं छोड़ी जा सकती हैं। प्राकृतिक आपदा से फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई का बंदोबस्त किया जाएगा। उसी के तहत सरकार के गठन के साथ ही इसकी तैयारियां तेज कर दी गईं थी।

    पूर्व के फसल बीमा की प्रीमियम दरों के साथ सरकारी कैप लगाने के बेहद घटिया प्रावधान से प्रधानमंत्री मोदी हतप्रभ थे। इसमें सिर्फ व सिर्फ बीमा कंपनियों का फायदा हो रहा था। प्रीमियम की दरें 15 से 57 फीसद तक होती रही हैं। मौजूदा बीमा योजना में इसे घटाकर डेढ़ व ढाई फीसद कर दिया गया है। पूर्व के फसल बीमा में प्रीमियम की दर बढ जाने की स्थिति में सरकार ने अपनी हिस्सेदारी कम करने के लिए बीमा राशि में ही कटौती करने का प्रावधान कर रखा था। इस तरह के कई अदूरदर्शी प्रावधानों को प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर तत्काल हटा दिया गया है।

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