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    मौसम की रिपोर्ट से मिलेगा फसल बीमा का लाभ

    By Edited By:
    Updated: Sat, 09 Jan 2016 07:01 PM (IST)

    संतोष कुमार, गुमला : मौसम की मार से किसानों की कमर टूट जाती है। कभी अतिवृष्टि कभी अनावृष्टि से किसान

    संतोष कुमार, गुमला : मौसम की मार से किसानों की कमर टूट जाती है। कभी अतिवृष्टि कभी अनावृष्टि से किसानों को काफी क्षति होती है। सरकार की ओर से मुआवजे की घोषणा की जाती है, लेकिन समय पर इसका लाभ नहीं मिल पाता है। प्रक्रिया में कई महीने बीत जाने के बाद फाइलें धूल फांकती रह जाती हैं। किसान हतोत्साहित होकर बैठ जाते हैं। किसानों को इन समस्याओं से निजात दिलाने के लिए स्वयंसेवी संस्था प्रदान ने महिला विकास मंडल की ओर से गठित महिला मंडल सदस्यों को कृषि बीमा का लाभ दिलाने के लिए जिला के पांच स्थानों पर ऑटोमेटिक मौसम स्टेशन लगाए हैं। यह वेदर मशीन प्रतिदिन पंद्रह किमी रेडियस क्षेत्र के मौसम की रिपोर्ट बीमा कंपनी को उपलब्ध कराती है।

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    प्रदान के टीम लीडर शुभकांत नायक ने बताया कि गुमला व रायडीह प्रखंड के लगभग 900 किसानों के आलू व मटर फसल का बीमा टाटा एआइजी कंपनी की ओर से कराया है। यह बीमा एक फसल यानी दो माह के लिए किया गया है। किसानों को प्रति एक एकड़ भूमि के लिए 500 रुपये प्रीमियम देना पड़ता है। मटर व आलू फसल के लिए एक दिसंबर से 30 जनवरी तक निर्धारित है। इस अवधि में हुए नुकसान का मुआवजा संबंधित कंपनी द्वारा सीधे उनके खाते में स्थानांतरित किया जाएगा।

    इसके लिए गुमला प्रखंड के करौंदा, मुरकुंडा व बड़ा खटंगा व रायडीह प्रखंड के तेलया व कांसीर मरियमटोली गांव में ऑटोमेटिक वेदर फोरकॉस्ट मशीन लगाई गई है। यह अत्याधुनिक मशीन प्रतिदिन एसएमएस के जरिए बारिश, कुहासा, तापमान व मौसम में नमी से संबंधित सूचना बीमा कंपनी को उपलब्ध कराती है। मशीन से अक्षांश व देशांतर भी स्पष्ट होता है। मशीन से उपलब्ध कराए गए मौसम संबंधी आंकड़ों से फसल नुकसान का आकलन प्रतिदिन होता है। समय समाप्ति के बाद मुआवजा राशि उनके खातों में हस्तांतरित होता है।

    उन्होंने बताया कि गुमला व रायडीह में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लिया गया है। धीरे-धीरे इसका विस्तार किया जाएगा। इस संबंध में फोरी सुगीटोली निवासी सनमैत देवी व झरिया उरांव ने बताया कि उन्होंने एक-एक एकड़ भूमि पर लगे आलू व मटर फसल का बीमा कराया है। यह बहुत ही अच्छा पहल है। बीमा की सुविधा मिलने से किसान बेहिचक जोखिम उठा सकते हैं। इससे कृषि क्षेत्र में विकास की संभावना है।