क्या कानून मंत्री को सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट देखने का अधिकार है?
कोयले की कालिख से सरकार और सीबीआइ दोनों का मुंह धुंआ हो गया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों के ही झूठ को पकड़ लिया है। सीबीआई से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि क्या कानून मंत्री को सीबीआई से रिपोर्ट देखने का अधिकार है? क्या कोयला मंत्रालय और पीएमओ के सचिव भी स्टेटस रिपोर्ट देख सकते हैं? ऐसे पांच सवालों का जवा
नई दिल्ली। कोयले की कालिख से सरकार और सीबीआइ दोनों का मुंह धुंआ हो गया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों के ही झूठ को पकड़ लिया है। सीबीआई से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि क्या कानून मंत्री को सीबीआई से रिपोर्ट देखने का अधिकार है? क्या कोयला मंत्रालय और पीएमओ के सचिव भी स्टेटस रिपोर्ट देख सकते हैं? ऐसे पांच सवालों का जवाब सीबीआई 6 मई को देगी।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का दूसरा सवाल.जानने के लिए क्लिक करें
सीबीआई और सरकार से आहत होकर शीर्ष अदालत ने कहा, 'सीबीआइ को मंत्री से कोई निर्देश नहीं लेना है। उसने हमारा विश्वास तोड़ा है। उसकी जांच की विश्वसनीयता संदेह में आ गई है।'
कानून मंत्री अश्विनी कुमार का जाना तय..पढ़ने के लिए क्लिक करें कोर्ट ने कहा कि अगर कोई रिपोर्ट देखने की इच्छा जताता भी है तो सीबीआइ जांचकर्ता है और वह स्वतंत्र होकर निर्णय ले सकती है। जांच एजेंसी को सरकार की कठपुतली बने रहने के बजाय भरोसा हासिल करने के लिए कुछ करना होगा। कोर्ट ने कहा, 'पंद्रह साल पहले विनीत नारायण मामले में सीबीआइ की स्वायत्तता के लिए दिए गए फैसले को लागू किया जाए और उस फैसले में जो पहलू कम स्पष्ट है उस पर भी विचार किया जा सकता है।' उधर अब इस मामले में सरकार घिरती जा रही है। राजनीतिक गलियों में यह माना जा रहा है कि कानून मंत्री इस मामले में जल्द ही इस्तीफा सौंप सकते हैं। कुल मिलाकर कहें तो कानून मंत्री का जाना लगभग तय है।
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