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    नहीं बदलेगा चारा घोटाले का जज

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    Updated: Wed, 14 Aug 2013 12:42 AM (IST)

    चारा घोटाले में आरोपी राजद प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को मंगलवार सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा। कोर्ट ने रांची की विशेष सीब ...और पढ़ें

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    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चारा घोटाले में आरोपी राजद प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को मंगलवार सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा। कोर्ट ने रांची की विशेष सीबीआइ अदालत में चल रहा मुकदमा किसी और जज की अदालत में स्थानांतरित करने की उनकी मांग ठुकरा दी है। यही नहीं, कोर्ट ने लालू और सीबीआइ को ट्रायल कोर्ट में बहस पूरी करने के लिए 20 दिन का समय देते हुए विशेष जज को जल्द फैसला सुनाने का आदेश भी दिया है।

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    मुख्य न्यायाधीश पी. सतशिवम, न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई एवं न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने लालू की मांग ठुकराते हुए कहा कि उन्हें हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने का कोई आधार नजर नहीं आता। हाई कोर्ट ने भी लालू की मांग खारिज कर दी थी जिसके खिलाफ वे सुप्रीम कोर्ट आए थे। लालू का कहना था कि रांची की विशेष सीबीआइ अदालत के न्यायाधीश पीके सिंह नीतीश सरकार के मंत्री पीके साही के रिश्तेदार हैं। साही उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं। लालू ने सुनवाई कर रहे जज पर पक्षपाती होने की आशंका जताते हुए मामला दूसरे जज की अदालत में स्थानांतरित करने की मांग की थी।

    पीठ ने कहा कि मंत्री का दूर का रिश्तेदार होने भर से यह नहीं माना जा सकता कि सुनवाई कर रहे न्यायाधीश याचिकाकर्ता के खिलाफ ही फैसला देंगे। वर्तमान जज नवंबर 2011 से मामले की सुनवाई कर रहे हैं। गवाहों से जिरह और दोनों पक्षों की बहस पूरी हो चुकी है। याचिकाकर्ता ने सुनवाई पूरी होने से पहले आपत्ति क्यों नहीं उठाई। पीठ ने कहा कि उन्हें विशेष न्यायाधीश की सिर्फ इतनी गलती नजर आ रही है कि उन्होंने पक्षकारों को बहस का समय देने के बाद अचानक नोटिस जारी कर कहा कि पक्षकार एक जुलाई से पहले लिखित दलीलें दाखिल कर दें और 15 जुलाई को फैसला सुनाया जाएगा। पीठ ने कहा कि इससे अगर पक्षकारों को असुविधा हुई है तो उन्हें बहस पूरी करने के लिए और समय दिया जाता है। लेकिन इस आधार पर मामला स्थानांतरित नहीं किया जा सकता। मामला 1997 में शुरू हुआ। लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुनाने की स्थिति आई है। अंतिम समय में इसे स्थानांतरित करना ठीक नहीं होगा। झारखंड हाई कोर्ट इस मामले की निगरानी कर रहा है।

    खतरे में पड़ सकता है राजनीतिक भविष्य

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आखिरकार तमाम उतार चढ़ाव और कानूनी दांवपेंचों के बाद लगभग दो दशक पुराना चारा घोटाला अपने अंजाम तक पहुंचता दिख रहा है। सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी के बाद मामले की सुनवाई कर रही रांची की विशेष सीबीआइ अदालत अगर लालू के खिलाफ फैसला देती है तो राजद सुप्रीमो का राजनीतिक भविष्य ही खतरे में पड़ जाएगा।

    सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक ट्रायल जज को बहस पूरी होने के बाद जल्द फैसला देना होगा। इसका मतलब यह है कि फैसला 2014 में होने वाले आम चुनाव से पहले आ जाएगा और उस फैसले का असर लालू के राजनीतिक भविष्य को प्रभावित कर सकता है।

    इस मामले में 1994-95 में चाईबासा की ट्रेजरी से करीब 35 करोड़ रुपये अवैध तरीके से निकाल लिए गये थे। उस समय लालू बिहार के मुख्यमंत्री थे और झारखंड अविभाजित बिहार का हिस्सा था। 1996 में प्राथमिकी दर्ज हुई और 1997 में आरोपपत्र दाखिल हुआ। मामले में लालू को मिलाकर कुल 45 लोग अभियुक्त हैं। विशेष सीबीआइ कोर्ट में कुल 275 सुनवाइयां हुई और करीब तीन सौ गवाहों के बयान दर्ज हुए।

    लालू की निगाहें अब 26 अगस्त पर

    जागरण संवाददाता, रांची। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से चारा घोटाले में फंसे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की मुसीबतें बढ़ गई हैं। मामले में सीबीआइ कोर्ट 26 अगस्त को सुनवाई करेगी। इससे पहले लालू ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सुनवाई कर रहे जज को बदलने की अपील की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया। मामले की सुनवाई रांची सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश पीके सिंह की अदालत में हो रही है। लालू के अधिवक्ता प्रभात कुमार ने बताया कि सुनवाई की तिथि निर्धारित है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार कार्य होगा।

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