नाव हादसे के लिए लालू यादव ने अपनी ही सरकार पर उठाए सवाल
नाव हादसे के लिए लचर व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि इतने बड़े आयोजन के लिए संबंधित विभागों के अधिकारियों को समुचित व्यवस्था भी करनी चाहिए थी।
राज्य ब्यूरो, पटना। राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने कहा है कि पतंगोत्सव सरकार का आयोजन था तो इंतजाम भी उसी तरह का होना चाहिए था। नाव हादसे के लिए लचर व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि इतने बड़े आयोजन के लिए संबंधित विभागों के अधिकारियों को समुचित व्यवस्था भी करनी चाहिए थी।
दोषियों पर सख्त कर्रवाई
लालू ने कहा कि घटना की जांच कराई जा रही है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने पतंगबाजी के आयोजन की पूर्व जानकारी से इन्कार किया और कहा कि उन्हें हादसे के बाद बताया गया कि वहां इस तरह का कोई आयोजन भी था।
दही-चूड़ा का था आयोजन
लालू के आवास पर रविवार को अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के लिए चूड़ा-दही भोज का आयोजन होना था, लेकिन नाव हादसे के कारण इसे रद कर दिया गया। फिर भी सुदूर जिलों के सैकड़ों नेता एवं कार्यकर्ता लालू के आवास पर पहुंचे हुए थे। गमगीन माहौल में लालू ने सबसे मुलाकात की। उन्हें मकर संक्रांति की शुभकामनाएं दीं और भोज रद होने की वजह बताई।
हादसे की बड़ी वजह
मकर संक्रांति के मौके पर गंगा पार सबलपुर दियारे में पतंगबाजी हो रही थी, लोग खुशी-खुशी एंज्वॉय कर रहे थे। लोगों की काफी भीड़ थी। लोग नाव पर सवार होकर इस पार से उस पार आ-जा रहे थे। एक नाव पर कैपेसिटी से ज्यादा लोग सवार थे। किनारे से करीब 30 फीट की दूरी पर वह नाव टूट गई। भीड़ चीखती रह गई। लेकिन महज 20 सेकंड में 25 लोगों की डूबने से मौत हो गई। कई लोग तैरकर बाहर भी आ गए।
हादसे के बाद गुस्से में लोग
गमजदा लोगो में इस बात का आक्रोश था कि सरकार ने पतंगबाजी के लिए गंगा पार खतरनाक स्थल ही क्यो तय किया? मुफ्त जहाज चलने के कारण ही मोहल्ले में खेलते- कूदते बच्चे और फुर्सत में बैठे लोग भी तमाशबीन बनने चले गए। लोगो ने यह भी कहा कि जहाज ने हजारो लोगो को गंगा पार तो पहुंचा दिया, लेकिन वहां से वापस लेने में आनाकानी होने लगी। इतनी अधिक संख्या में गए लोगो का नाव से लौट पाना संभव नही था। जिला प्रशासन की अनदेखी व लापरवाही के कारण ही असमय इतने लोगो की मौत हो गई।
लोगों को गंगा पार ले जाने में जुटी थी एसडीआरएफ
जिस समय दियारा से लौट रहे लोग गंगा नदी मे डूब रहे थे, उस समय एसडीआरएफ की गश्ती टीम लोगो को ढो रही थी। इस बात का खुलासा खुद एसडीआरएफ जवानों ने रविवार को किया। उन्होने कहा कि एक बड़े अधिकारी के आदेश के बाद वे गश्ती का काम छोड़ लोगो को पहुंचाने लगे। जवानो ने बताया कि एसडीआरएफ की टीम सुबह से शाम चार बजे तक गाधी घाट से दियारा तक गश्ती कर रही थी। शाम ढलने के बाद दियारा से वापस लौटने के लिए नावे कम पड़ गई। एक वरीय अधिकारी का आदेश आया कि गश्ती छोड़ दियारे से लोगो को गांधीघाट पर पहुंचाना है। इस फरमान के बाद एसडीआरएफ की टीम गश्ती छोड़ दियारा मे फंसे लोगो को ढोने में जुट गई।
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