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सीमा पर भारत की मुस्‍तैदी से डरने लगे गुलाम कश्‍मीर के राष्‍ट्रपति मसूद खान, छिन सकता है PoK

पाकिस्‍तान से लगती सीमा पर भारत ने ज्‍यों ही अपनी सेना की मुस्‍तैदी बढ़ा दी है त्‍यों ही गुलाम कश्‍मीर के राष्‍ट्रपति को डर का अहसास होने लगा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 02 Jan 2020 01:25 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 01:56 PM (IST)
सीमा पर भारत की मुस्‍तैदी से डरने लगे गुलाम कश्‍मीर के राष्‍ट्रपति मसूद खान, छिन सकता है PoK
सीमा पर भारत की मुस्‍तैदी से डरने लगे गुलाम कश्‍मीर के राष्‍ट्रपति मसूद खान, छिन सकता है PoK

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। नव वर्ष की शुरुआत भारत में जहां सीडीएस की नियुक्ति से मिली ताकत से हुई है वहीं पाकिस्‍तान में इसकी शुरुआत दहशत में हुई है। यह दहशत किसी और से नहीं बल्कि भारत से ही है। साल के पहले ही दिन इस डर का जिक्र किसी और ने नहीं बल्कि गुलाम कश्‍मीर के राष्‍ट्रपति सरदार मसूद खान ने किया है। उन्‍हें यह डर भारतीय सेना की सीमा पर मुस्‍तैदी से है। इसके अलावा माना ये भी जा रहा है कि उन्‍हें ये डर कहीं न कहीं नए सीडीएस की तैनाती से भी है। गुलाम कश्‍मीर के राष्‍ट्रपति मसूद खान का कहना है कि भारतीय सेना ने पाकिस्‍तान से लगती एलओसी (Line of Control) पर घातक हथियार (lethal weapons) तैनात किए हैं। उन्‍होंने इसको पाकिस्‍तान के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा तैयार किया गया सबसे आक्रामक डिजाइन बताया है। गवर्ननर हाउस में मीडिया से बात करते हुए उन्‍होंने कहा कि भारतीय सरकार द्वारा तैयार किए गए इस डिजाइन से पाकिस्‍तान को सबसे अधिक खतरा है। इसके अलावा उन्‍होंने कहा है कि सीमा पर इस तरह के हथियारों की तैनाती से पूरे क्षेत्र की शांति को खतरा है। 

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राष्‍ट्रपति मसूद को है इन चार बड़ी वजहों से डर 

  • इनमें पहली वजह सीडीएस जनरल बिपिन रावत का वो बयान है जिसमें उन्‍होंने कहा था कि सेना गुलाम कश्‍मीर में किसी भी तरह की कार्रवाई के लिए तैयार है बस सरकार के आदेश का इंतजार है। यह बयान उन्‍होंने सेना प्रमुख रहते हुए बीते वर्ष सितंबर में दिया था।
  • दूसरी बड़ी वजह सरकार की तरफ से दिया गया वो बयान है जिसमें गुलाम कश्‍मीर को भारत में शामिल करने की बात कही गई थी।
  • तीसरी वजह पाकिस्‍तान से लगती सीमा पर आकाश मिसाइल की तैनाती की घोषणा भी है। इसकी तैनाती 15 हजार फीट से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में की जाएगी। दस हजार करोड़ की लागत से इसकी दो रेजिमेंट को बनाने को भी सरकार हरी झंडी दे दी गई है। आपको बता दें कि भारत पहले ही स्‍पाइक मिसाइलों की तैनाती सीमा पर कर चुका है। इसके अलावा सीमा पर तैनात राफेल जेट विमानों पर हवा से हवा में मार करने वाली मिटिऑर मिसाइल की तैनाती को भी सरकार मंजूरी दे चुकी है। ये मिसाइल किसी भी मौसम में 120 से 150 किमी तक की दूरी में अचूक निशाना लगा सकती है। 190 किलोग्राम वजनी ये मिसाइल 3.7 मीटर लंबी है और अडवांस राडार सिस्टम से लैस है। इसको BVR यानी बियॉन्ड विजुअल रेंड मिसाइल भी कहा जाता है। 
  • मसूद के डर के चौथे कारण के रूप में भारत सरकार द्वार जम्‍मू कश्‍मीर के नए नक्‍शे को जारी करना है, जिसमें चीन द्वारा अवैध तरीके से कब्‍जाया गया अक्‍साई चिन और पाकिस्‍तान द्वारा कब्‍जाए गए गुलाम कश्‍मीर का हिस्‍सा शामिल है। 

नया नक्‍शा और पाक का जवाब 

भारत सरकार द्वारा जारी किए गए जम्‍मू कश्‍मीर के नए नक्‍शे को भी गुलाम कश्‍मीर के राष्‍ट्रपति ने झूठा करार दिया है। मसूद की प्रेस कॉफ्रेंस में जो डर उनके बयानों में दिखाई दिया उससे कहीं न कहीं ये जाहिर हो रहा है कि गुलाम कश्‍मीर को भारत अपने में शामिल कर सकता है। उनके बयानों में जो डर दिखाई और सुनाई दे रहा है उसकी गूंज दरअसल, भारत में वर्ष 2014 में पीएम मोदी के नेतृत्‍व में बनी सरकार के बाद से ही सुनाई देने लगी थी। इसके बाद लगातार इसका जिक्र मोदी कैबिनेट के दूसरे मंत्रियों ने भी किया है।

यूएनएससी को लिखे खत में छलका दर्द 

आपको बता दें कि पाकिस्‍तान में घुसकर हुई सर्जिकल स्‍ट्राइल को भारत सरकार ने ट्रेलर बताया था। इसके बाद बीते वर्ष बालाकोट एयर स्‍ट्राइक से भी पाकिस्‍तान बौखला गया था। इतना ही नहीं 19 दिसंबर को पाकिस्‍तान ने बार-बार मुंह की खाने के बाद सातवीं बार यूएनएससी को खत लिखा था। इसमें भी सीमा पर मिसाइलों की तैनाती को लेकर पाकिस्‍तान का डर साफतौर पर छलका था। मसूद का कहना है कि भारत की इस कार्रवाई का पूरे विश्‍व पर घातक प्रभाव होगा।मसूद ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में एक बार फिर से भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाया और कहा कि यह सीमा पर भारत जो कदम उठा रहा है वह गुलाम कश्‍मीर के लोगों के लिए किया जा रहा है। 

ओआईसी पर उठे सवाल

मसद का कहना है कि भारत और पाकिस्‍तान दोनों ही परमाणु हथियारों से लैस ताकत हैं। लिहाजा दोनों देशों के बीच उपजा कोई तनाव यदि युद्ध में पि‍रिवर्तित होता है तो यह पूरे क्षेत्र और विश्‍व के लिए बुरा होगा। आपको यहां पर बता दे कि इस प्रेस कांफ्रेंस में उस इस्‍लामिक सहयोग संगठन के बाबत भी सवाल उठे जिसने जम्‍मू कश्‍मीर के मुद्दे पर पाकिस्‍तान का साथ नहीं दिया है। 

ढाई हजार से ज्‍यादा बार सीजफायर उल्‍लंघन

गौरतलब है कि दुनिया को भारत से डर बताने वाला पाकिस्‍तान बीते वर्ष में 2500 से ज्‍यादा बार सीजफायर उल्‍लंधन कर चुका है। जबकि वर्ष 2018 में यही आंकड़ा 1629 था। वहीं इस दौरान 254 आतंकी ढेर किए गए जिसमें बड़ी संख्‍या में पाकिस्‍तानी थी। इतना ही नहीं बालाकोट एयर स्‍ट्राइक के बाद इस इलाके में एक बार फिर से आतंकी कैंप स्‍थापित हो चुके हैं। हालांकि इन्‍हीं आतंकियों की वजह से एफएटीएफ की तलवार बीते दो वर्षों से पाकिस्‍तान पर लटकी हुई है। एफएटीएफ द्वारा आगाह किए जाने के बाद पाकिस्‍तान द्वारा इस ओर उठाए कदम नाकाफी और बेबुनियाद साबित हो रहे हैं। खुद एफएटीएफ इन कदमों को दरकिनार कर चुका है। 

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