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    जानिए, कब और कहां रची गई उड़ी हमले की नापाक साजिश

    By Lalit RaiEdited By:
    Updated: Mon, 19 Sep 2016 10:42 AM (IST)

    उड़ी हमले में मारे गए आतंकियों के पास से जो दस्तावेज बरामद हुए हैं उससे पता चलता है कि वो बड़े पैमाने पर तबाही फैलाने की फिराक में थे।

    नई दिल्ली। उडी़ में सेना मुख्यालय पर आत्मघाती हमले को अब तक का सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है। इस आतंकी हमले की साजिश की परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं, जिससे साफ है कि आतंकी बड़े पैमाने पर नुकसान करने के फिराक में थे।

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    पश्तो भाषा में दस्तावेज बरामद

    मारे गए आतंकियों के पास से पश्तो भाषा में कुछ दस्तावेज बरामद हुए हैं जिसमें इस बात का जिक्र है कि उनकी योजना क्या थी। सेना के उच्च अधिकारियों के मुताबिक आतंकी पहले उन सैनिकों को मारना चाहते थे जिनके पास असलहे नहीं थे। उसके बाद उनकी योजना प्रशासनिक भवन के पास मेडिकल एड यूनिट को तबाह करने की थी और उसके बाद अधिकारियों के आवास में वो खुद को उड़ा लेते।

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    बड़े पैमाने पर नुकसान की फिराक में थे आतंकी

    आतंकियों के पास जिस नक्शे को बरामद किया गया है, उससे पता चलता है कि 12 ब्रिगेड को निशाना बनाने वाले आतंकी प्रतिबंधित संगठन सिपह-ए-सहाबा(पाकिस्तान) से जुड़े हुए थे। सेना के अधिकारियों का कहना है कि यह संगठन मौलाना मसूद अजहर के संगठन जैश के अधीन काम करते हैं। सिपह-ए-सहाबा के आतंकी खुद को प्रॉफेट का रक्षक मानते हैं। जैश का मुखिया सुन्नियों से संबंधित सिपह-ए-सहाबा की समय समय पर प्रशंसा करता रहा है। मसूद अजहर ने एक बार कहा था कि सिपह सही माएने में पाकिस्तानी देवबंद के एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है। सिपह से जुड़े लोग इस्लाम की रक्षा के लिए खुद को समर्पित करने के लिए तैयार रहते हैं।

    3 मिनट,17 ग्रेनेड और 17 जवान शहीद

    सेना के अधिकारियों का कहना है कि जिस वक्त सेना मुख्यालय पर आतंकियों ने हमला किया उस वक्त सैनिक फ्यूल टैंक से डीजल भर रहे थे। उसी दौरान आतंकियों ने तीन मिनट में 17 ग्रेनेड फेंके जिसकी वजह से 150 मीटर के घेरे में भीषण आग लग गई। उस घेरे में बने हुए टेंट आग की चपेट में आ गए, और आराम कर रहे फौजियों को बाहर निकलने का मौका नहीं मिल सका।

    किस तरह मारे गए आतंकी

    सैन्य अधिकारियों का कहना है कि आतंकियों द्वारा ग्रेनेड से हमले के बाद प्रशासनिक भवन के पास धुएं का गुबार उठा, जिसकी वजह से आतंकी मेडिकल एड यूनिट और ऑफिसर्स मेस में जाने की जगह बैरकों की तरफ मुड़ गए। जहां पर आतंकियों से मुठभेड़ हुई। डोगरा रेजीमेंट के एक सैनिक के एक आतंकी ढेर कर दिया। हालांकि जिस वक्त आतंकियों ने बैरक की तरफ रुख किया उस वक्त बैरक खाली थे। लिहाजा आतंकी बगल की दो मंजिला बैरक में घुस कर रक्षात्मक मुद्रा में आ गए । बाद में कमांडो कार्रवाई में तीन आतंकियों को मार गिराया गया ।

    घाटी में सुरक्षाबलों पर हुए कुछ बड़े हमले

    25 जून 2016- पुलवामा जिले के पंपोर में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले में आठ हुए शहीद, 20 घायल

    7 दिसंबर 2015- अनंतनाग जिले के बिजबेहरा में सीआरपीएफ के आठ लोग हुए घायल

    5 दिसंबर 2014- उड़ी सेक्टर के मोहरा आर्डिनेंस कैंप में हमले में सीआरपीएफ के 11 लोग शहीद, 6 घायल

    26 सितंबर 2013- कठुआ और सांबा में आत्मघाती हमले में आठ शहीद दो नागरिक घायल

    24 जून 2013- श्रीनगर के हैदरपोरा में आठ जवान शहीद

    31 मार्च 2013- श्रीनगर में सीआरपीएफ कैंप पर हमले में पांच शहीद

    22 जुलाई 2003- अखनूर में आठ जवान शहीद

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