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    जानिए, विपक्ष ने अब तक कितनी बार राष्ट्रपति से की मोदी सरकार की शिकायत

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Thu, 13 Apr 2017 11:27 AM (IST)

    विपक्ष की अोर से केंद्र सरकार की राष्ट्रपति से शिकायत का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी विपक्ष एकजु्ट होकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से कई बार शिकायत कर चुका है।

    जानिए, विपक्ष ने अब तक कितनी बार राष्ट्रपति से की मोदी सरकार की शिकायत

    नई दिल्ली(जेएनएन)। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में मुख्य विपक्षी दलों के नेताओं ने बुधवार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। शिष्टमंडल ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से छेड़छाड़ का मुद्दा उठाया। साथ ही गोरक्षकों के हमले, असहमति की आवाज को दबाए जाने समेत विभिन्न मुद्दों पर उनके समक्ष अपनी चिंता व्यक्त की।

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    विपक्ष की अोर से केंद्र सरकार की राष्ट्रपति से शिकायत का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी विपक्ष एकजु्ट होकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से कई बार शिकायत कर चुका है। इससे पहले विपक्ष नोटबंदी, सतलज-यमुमा लिंक नहर विवाद, उत्तराखंड सरकार, असहिष्णुता अौर भूमि अधिग्रहण बिल जैसे मुद्दों पर राष्ट्रपति से मिल चुका है।

    विपक्षी नेता सोमवार को ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग से भी मिले थे। इन नेताओं ने विभिन्न विषयों पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भी सौंपा और उनसे अनुरोध किया कि संवैधानिक लोकतंत्र और नागरिकों के बुनियादी अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए। शिष्टमंडल द्वारा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ से संपूर्ण चुनावी प्रक्रिया की शुचिता पर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं। उन्होंने कहा कि देश में भय और असुरक्षा का माहौल उत्पन्न हो गया है और असहमति की आवाज दबाई जा रही है।

     कब-कब मिला राष्ट्रपति से विपक्ष का प्रतिनिधिमंडल
    17 दिसंबर 2016 : 500 और 1000 रुपए के नोट बंद किए जाने से लोगों को हो रही परेशानी की शिकायत करने।
    17 नवंबर 2016 : पंजाब कांग्रेस के नेता सतलज-यमुमा लिंक नहर के मसले पर।
    21 मार्च 2016 : उत्तराखंड में रावत सरकार को लेकर एके एंटोनी के नेतृत्व में।
    16 दिसंबर 2015 : अरुणाचल में कांग्रेस सरकार को सत्ता से बेदखल करने में तत्कालीन राज्यपाल राजखोवा की कथित भूमिका को लेकर।
    4 नवंबर 2015 : देश में असहिष्णुता के मुद्दे पर राष्ट्रपति से संवैधानिक अधिकारों के इस्तेमाल की मांग को लेकर।
    17 मार्च 2015 : भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर।

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