Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पंचतत्व में विलीन हुए कृपाल सिंह, पैतृक गांव में हुआ अंतिम संस्कार

    पाकिस्तान की लाहौर जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में दम तोड़ चुके भारतीय कैदी कृपाल सिंह अंतिम संस्कार कर दिया। आज सुबह ही उनके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव मुस्तफाबाद (गुरदासपुर) लाया गया था।

    By Sachin MishraEdited By: Updated: Wed, 20 Apr 2016 11:07 AM (IST)

    अटारी सीमा [जेएनएन/एएनआई]। संदिग्ध परिस्थितियों में पाकिस्तान की लाहौर जेल में दम तोड़ चुके भारतीय कैदी कृपाल सिंह पंचतत्व में विलीन हो गए। उनके पैतृक गांव गुरदासपुर के मुस्तपाबाद में उनका अंतिम संस्कार किया गया। आज सुबह ही उनका पार्थिव शरीर उनके गांव मुस्तफाबाद (गुरदासपुर) लाया गया था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उनके अंतिम संस्कार के बाद उनके परिजन शोक में डूब गए। इस दौरान सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने कहा कि उन्हें पहले ही शक था कि जैसा सरबजीत सिंह के साथ किया गया था वैसा ही कृपाल सिंह के साथ किया जा सकता है।

    उन्होंने बताया कि सरबजीत की तरह कृपाल सिंह का भी दिल निकाल लिया गया था। हालांकि दलबीर ने कहा कि उन्होंने पहले ही इसकी जानकारी विदेश मंत्रालय को दे दी थी।

    इससे पहले पाकिस्तान अपनी नापाक हरकत से बाज नहीं आया और कृपाल सिंह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के दस दिन बाद उसने मंगलवार को उसका शव भारत भेजा लेकिन दिल व लिवर निकाल कर। यह पर्दाफाश मेडिकल कॉलेज अमृतसर में शव का पोस्टमार्टम करने वाली डॉक्टरों की टीम ने किया है। हालांकि कृपाल के शरीर पर न तो कोई बाहरी चोट का निशान है और न ही भीतरी। मौत की वजह जानने के लिए विसरा लेबोरेट्री में भेज दिया गया है। मई, 2013 में पाकिस्तान ने सरबजीत सिंह का शव भी दिल और दोनों किडनी निकालकर भेजा था।

    देखें तस्वीरें- पैतृक गांव मुस्तफाबाद पहुंचा कृपाल सिंह का पार्थिव शरीर

    कृपाल का शव दस दिनों तक लाहौर के जिन्ना अस्पताल में पड़ा रहा। मंगलवार सुबह अस्पताल में डॉक्टरों की एक टीम ने शव का पोस्टमार्टम किया। इसके बाद एबुंलेंस दोपहर ढाई बजे शव अंतरराष्ट्रीय अटारी सड़क सीमा पर लेकर पहुंची। यहां पाकिस्तान रेंजर्स ने सीमा सुरक्षा बल व प्रशासनिक अधिकारियों को कृपाल सिंह का शव

    सौंपा। इस दौरान कृपाल सिंह का भाई रूप लाल व भतीजा अश्विनी कुमार अधिकारियों के साथ सीमा पर खड़े थे। एंबुलेंस से शव उतार कर जीरो रेखा पर रखा गया तो अश्विनी व रूप लाल ने दर्शन किए। डिप्टी कमिश्नर वरुण रुजम व अन्य अधिकारियों के साथ पंजाब सरकार की ओर से कैबिनेट मंत्री गुलजार सिंह राणिके ने कृपाल को श्रद्धांजलि दी। पोस्टमार्टम के बाद शव भाई व भतीजे को सौंप दिया गया। यहां से शव गुरदासपुर ले जाया गया। अंतिम संस्कार बुधवार को किया जाएगा।

    सरबजीत मामले का गवाह था कृपाल

    भतीजे अश्विनी ने दावा किया कि उसके चाचा कोट लखपत जेल में सरबजीत सिंह पर हुए हमले के चश्मदीद गवाह थे। पाकिस्तान सरकार को आशंका थी कि कृपाल सिंह की रिहाई के बाद सरबजीत पर हुए हमले का सच बाहर आ जाएगा, इसलिए एक षड्यंत्र के तहत हत्या की गई है।

    शव लेने कई गुट में पहुंचा परिवार

    कृपाल सिंह का शव लेने लेने के लिए परिवार कई गुट में पहुंचा। सरबजीत की बहन दलबीर कौर के साथ भतीजा अश्विनी, बहन जागीर कौर व भाई पहुंचे तो पहली पत्नी होने का दावा करने वाली परमजीत कौर अपने बच्चों के साथ पहुंची। कृपाल की दूसरी बहन किशनो भी पार्थिव शरीर को लेने के लिए पहुंची थी।

    कब्रगाह बनी कोट लखपत जेल

    पाकिस्तान की कोट लखपत जेल कब्रगाह बन कर रह गई है। यहां पिछले तीन वर्षों में तीन भारतीयों की निर्मम हत्या हुई है। जनवरी 2013 में जम्मू कश्मीर के पुंछ निवासी चमेल सिंह की इसी जेल में कैदियों ने पीट-पीट कर हत्या की थी। सरबजीत सिंह की भी कोट लखपत जेल में हमला कर हत्या हुई थी। आशंका है कि अब कृपाल को भी जेल में पीट-पीट कर ही मारा गया है। पाकिस्तान सरकार ने चमेल सिंह की मौत का कारण हार्ट अटैक बताया था। कृपाल सिंह की मौत भी हार्ट अटैक से बताई जा रही है।

    संबंधित अन्य खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें