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    कश्मीर में बाढ़ का खतरा बरकरार, जरूरी वस्तुओं के लिए मारामारी

    By Rajesh NiranjanEdited By:
    Updated: Wed, 01 Apr 2015 08:56 AM (IST)

    कश्मीर घाटी में मंगलवार को दिन के समय मौसम में हुए आंशिक सुधार के बाद देर शाम फिर तेज बारिश शुरू हो जाने से लोगों के होश फाख्ता हो गए। मौसम विभाग ने बुधवार से शुक्रवार तक कश्मीर में भारी बारिश व बर्फबारी की चेतावनी दी है। ऐसे में बाढ़

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    श्रीनगर, जागरण ब्यूरो। कश्मीर घाटी में मंगलवार को दिन के समय मौसम में हुए आंशिक सुधार के बाद देर शाम फिर तेज बारिश शुरू हो जाने से लोगों के होश फाख्ता हो गए। मौसम विभाग ने बुधवार से शुक्रवार तक कश्मीर में भारी बारिश व बर्फबारी की चेतावनी दी है। ऐसे में बाढ़ की स्थिति से जूझ रहे घाटी के लोगों के लिए अगले तीन दिन निर्णायक साबित होंगे। वहीं, प्रशासन ने मौसम की ताजा चेतावनी के बाद वादी में सभी स्कूलों में चार अप्रैल तक सभी परीक्षाएं स्थगित कर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। इस बीच, कश्मीर पहुंची एनडीआरएफ की आठ टीमों ने भी विभिन्न क्षेत्रों में मोर्चा संभाल लिया। राहत की बात केवल इतनी है कि खतरे के निशान से ऊपर बह रही झेलम समेत अन्य नदियों के जलस्तर में डेढ़ से सात फुट तक कमी आई है।

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    बडग़ाम के लडेन क्षेत्र में भूस्खलन में दबे 10 और शव बरामद होने से मरने वालों की संख्या 16 हो गई है। वादी में अन्य जगहों पर सात मकान भूस्खलन की चपेट में आकर तबाह हो गए और एक वृद्धा समेत तीन लोग जख्मी हो गए। पुलिस ने छह परिवारों को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। वहीं, पिछले चार दिन से बंद जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग सुबह एकतरफा यातायात के लिए खोल दिया गया। इस दौरान केवल छोटे वाहनों को जम्मू से श्रीनगर के लिए रवाना किया गया।

    कश्मीर घाटी में गत शनिवार से हो रही बारिश से झेलम, रंबियार, लिद्दर, वेस्सु, फिरोजपोरा समेत सभी प्रमुख नदी-नालों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया था और कई क्षेत्रों में पानी भर जाने से पूरी वादी में बाढ़ का अलर्ट जारी कर दिया गया था। अलबत्ता, बीते 24 घंटों के दौरान मौसम में आंशिक सुधार के बीच प्रशासन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य में जुटा रहा। गुलमर्ग मार्ग पर फिरोजपोरा नाले पर क्षतिग्रस्त हुए पुल की मुरम्मत कर उसे दोबारा बहाल कर दिया है। इसके साथ अन्य पुलों का मरम्मत कार्य भी जारी रहा। बिजली-पानी व अन्य जरूरी प्रबंध सुचारू बनाने के भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण निदेशक कश्मीर जावेद जफर ने कहा कि जलस्तर में गिरावट आ रही है। अब यह खतरे के निशान से नीचे ही है। दोबारा बारिश होने पर इसमें अब ज्यादा बढ़ोत्तरी की उम्मीद कम ही है, लेकिन हम कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं।

    कश्मीर में जरूरी वस्तुओं के लिए मारामारी

    श्रीनगर। कश्मीर में मंडरा रहे बाढ़ के संकट के साथ-साथ अब जरूरी वस्तुओं की कमी होने से मारामारी की स्थिति पैदा हो गई है। दूध, ताजा सब्जियां, गोश्त और ईंधन की कमी लगातार बढऩे से इनकी कालाबाजारी भी तेज हो गई है। कश्मीर घाटी में गत शनिवार से सड़कें जलमग्न हैं और दूरदराज के क्षेत्र जिला मुख्यालयों से कटे हुए हैं। शुक्रवार से जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग भी बंद पड़ा है। इससे बाहर से आने वाली रसद श्रीनगर में नहीं पहुंच पा रही है। टमाटर, प्याज, आलू व अन्य सब्जियों के दाम भी लगभग दोगुने हो चुके हैं।

    बाढ़ की चेतावनी की अनदेखी

    श्रीनगर। वादी में फिर सितंबर जैसी विनाशकारी बाढ़ के पैदा हुए हालात पर मौजूदा राज्य सरकार ने भी पूर्ववर्ती नेकां-कांग्रेस सरकार के नक्शे कदम पर चलते हुए मौसम विभाग द्वारा 26 मार्च को कश्मीर में भारी बारिश, हिमपात और बाढ़ की जारी चेतावनी की तथाकथित तौर पर उपेक्षा की है। शुरुआती सुस्ती के बाद संबंधित प्रशासन ने हालात से निपटने के लिए पहली बैठक रविवार को कश्मीर में बाढ़ का एलान करने से चंद घंटे पहले ही की।

    सैकड़ों सैलानियों ने करवाई बुकिंग रद

    श्रीनगर। बारिश और बाढ़ के कहर ने कश्मीर में न सिर्फ सामान्य जनजीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है, बल्कि सात माह पहले हुई बरबादी से उबरने को प्रयासरत कश्मीर का पर्यटन उद्योग पटरी पर लौटने से पहले ही नीचे उतर गया है। देश-विदेश से कश्मीर घूमने की योजना बना चुके सैकड़ों की तादाद में सैलानियों ने अपनी अग्रिम बुकिंग रद कर दी है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी ट्विटर पर अपने फॉलोअर व प्रशंसकों से आग्रह करना पड़ रहा है कि वह इंतजार करें, बुकिंग रद न करें। स्थिति जल्द ही ठीक हो जाएगी।

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