Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मोदी सरकार को मिलेंगे नए साथी

    By Edited By:
    Updated: Fri, 30 May 2014 09:58 PM (IST)

    लोकसभा में भारी बहुमत के साथ बनी नरेंद्र मोदी सरकार के लिए राज्यसभा में चौंकाने वाला समर्थन भी हासिल हो सकता है। राज्यसभा में सरकार के विधेयकों को पारित कराने में जहां अन्नाद्रमुक और बीजद का समर्थन स्वाभाविक रूप से मिल सकता है। वहीं, पूरी संभावना है कि समाजवादी पार्टी भी उच्च सदन में मोदी सरकार का सहयोग करे। सूत्रों के मुताबिक, सपा कम से कम छह महीने के लिए समर्थन का संकेत दे भी चुकी है।

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। लोकसभा में भारी बहुमत के साथ बनी नरेंद्र मोदी सरकार के लिए राज्यसभा में चौंकाने वाला समर्थन भी हासिल हो सकता है। राज्यसभा में सरकार के विधेयकों को पारित कराने में जहां अन्नाद्रमुक और बीजद का समर्थन स्वाभाविक रूप से मिल सकता है। वहीं, पूरी संभावना है कि समाजवादी पार्टी भी उच्च सदन में मोदी सरकार का सहयोग करे। सूत्रों के मुताबिक, सपा कम से कम छह महीने के लिए समर्थन का संकेत दे भी चुकी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मजबूत राजग सरकार की एक ही कमजोर कड़ी है, राज्यसभा। लोकसभा में 335 सांसदों के राजग कुनबे के पास राज्यसभा में महज 64 सांसद हैं। 245 सांसदों के उच्च सदन में यह संख्या बहुत कम है। जाहिर है कि ऐसे में सरकार के लिए राज्यसभा से कोई भी विधेयक पारित कराना असंभव है, लेकिन जून के पहले हफ्ते से शुरू हो रहे संसद सत्र से पहले ही उच्च सदन में भी समर्थन का आधार बढ़ाने की कवायद शुरू हो गई है। राज्यसभा में दस सांसदों के साथ मौजूद अन्नाद्रमुक और छह सांसदों वाले बीजू जनता दल के समर्थन पर इन्कार की कोई आशंका नहीं है। बताते हैं कि अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता 3 जून को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगी। वह मुलाकात के दौरान भी समर्थन का आश्वासन देंगी। गौरतलब है कि जयललिता ने उस वक्त भी प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी की उम्मीदवारी का स्वागत किया था, जब भाजपा के अंदर ही विवाद छिड़ा हुआ था। बीजद की ओर से यह संकेत दिया जाता रहा है कि मुद्दों पर राजग को समर्थन देने में उन्हें कोई परहेज नहीं है। इस क्रम में नौ सांसदों के साथ सपा ने भी समर्थन का भरोसा दिया है।

    सूत्रों के अनुसार सपा का समर्थन शुरुआती छह महीने के लिए होगा, ताकि विधेयकों को पारित कराने में अड़चन न आए। उत्तर प्रदेश में बुरी तरह परास्त हुई सपा का यह समर्थन खासा अहम है। हालांकि 14 सांसदों वाली बसपा और चार सदस्यों के द्रमुक का रुख अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन राज्यसभा में ऐसा वक्त कम आएगा जब कोई पार्टी पूरे विधेयक का विरोध करे। कुछ संशोधनों को लेकर अलग-अलग पार्टियों की राय अलग हो सकती है, लेकिन उस पर सामंजस्य के साथ सदन में सहमति बनाई जा सकती है। दरअसल रणनीति यही है कि सरकार के पास तकरीबन 100 सांसदों के समर्थन का आधार तैयार रहे।

    राज्यसभा में सत्तापक्ष-विपक्ष

    -245 सदस्यीय राज्यसभा की मौजूदा प्रभावी संख्या 240 है। इस सदन में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के पास 64 सदस्य हैं। इसके विपरीत बुरी तरह पराजित कांग्रेस के नेतृत्व वाले संप्रग के पास 80 सदस्य हैं। अन्य दलों के सांसदों की संख्या 96 है।

    -अन्य दलों में प्रभावी सदस्य संख्या वाले दल हैं-बसपा-14, तृणमूल कांग्रेस-12, अन्नाद्रमुक-10, सपा-9, वामदल-9, जदयू-9, बीजद-6

    -चूंकि पिछली लोकसभा में लंबित 68 विधेयक लैप्स हो चुके हैं, इसलिए उन्हें फिर से पेश करना होगा। राज्यसभा में लंबित विधेयक लैप्स नहीं होते, इसलिए अगर सत्तापक्ष और विपक्ष में सहमति बने तो उन्हें पारित कराया जा सकता है। राज्यसभा में करीब 60 विधेयक लंबित हैं।

    पढ़ें: तीन सीटों पर हार से खफा जया ने हटाए मंत्री व प्रभारी

    comedy show banner
    comedy show banner