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    राहत में पत्थरबाजों का खलल

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    Updated: Fri, 12 Sep 2014 10:26 AM (IST)

    कश्मीर में बाढ़ का कहर जारी है। सेना के व्यापक अभियान के बाद भी पानी में फंसे करीब तीन लाख 90 हजार लोगों की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। जलस्तर कम होने के बाद भी श्रीनगर के निचले हिस्सों में फंसे लाखों प्रभावितों तक मदद नहीं पहुंचने से आक्रोश निरंतर बढ़ रहा है। बृहस्पतिवार को बटमालू इलाके

    जम्मू, जागरण ब्यूरो। कश्मीर में बाढ़ का कहर जारी है। सेना के व्यापक अभियान के बाद भी पानी में फंसे करीब तीन लाख 90 हजार लोगों की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। जलस्तर कम होने के बाद भी श्रीनगर के निचले हिस्सों में फंसे लाखों प्रभावितों तक मदद नहीं पहुंचने से आक्रोश निरंतर बढ़ रहा है। बृहस्पतिवार को बटमालू इलाके में राहत अभियान चला रहे वायुसेना के हेलीकॉप्टरों पर कुछ लोगों ने छतों से पत्थर बरसाए। अब तक सवा लाख के करीब लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। बचाव अभियान को तेजी देने के लिए नौसेना के मैरीन कमांडो का एक दल भी यहां पहुंच चुका है।

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    बाढ़ से पीड़ित लोग जम्मू-कश्मीर सरकार के बचाव इंतजामों से बेहद नाराज हैं। ऐसे में उनके सामने जो भी बचाव एजेंसियों के जवान आ रहे हैं, वे उन्हीं पर अपना गुस्सा जता रहे हैं। कई स्थानों पर एकत्र लोग राहत न मिलने के कारण प्रदर्शन कर रहे हैं। श्रीनगर राजभवन के बाहर और एयरपोर्ट में दस हजार से अधिक लोग एकत्र हैं। राजभवन के बाहर प्रदर्शन करने वालों पर लाठीचार्ज भी हुआ। इसी बीच बाढ़ से उपजे हालात में बीमार होने वालों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए कश्मीर के अस्पतालों में आपातकाल स्थिति की घोषणा कर दी गई है। गंभीर रूप से बीमार कुछ लोगों को निकालने के लिए एयर एंबुलेंस भी बुलाई गई है। राहत अभियान में जुटे आर्मी एविएशन के कर्नल गुरदीप सिंह ने बताया कि बटमालू इलाके से गुजरते समय उनके हेलीकॉप्टर पर पत्थर फैंके गए। ऐसे में हेलीकॉप्टरों के साथ उन इलाकों में न जाने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। हम उन इलाकों में जा रहे जहां लोग शांत हैं।

    विमानों की संख्या 84

    राहत व बचाव कार्यो में लगे वायुसेना के विमानों की संख्या बढ़ाकर 84 कर दी गई है। तीस हजार से ज्यादा सेना के जवान बचाव कार्यो में जुटे हैं। इनमें से 21 हजार कश्मीर और नौ हजार जम्मू में हैं। सेना के 224 और एनडीआरएफ के 148 नौकाएं भी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं।

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