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    दिल्ली में मुफ्त पानी पर जेटली ने उठाया सवाल

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    Updated: Wed, 01 Jan 2014 10:11 PM (IST)

    पानी और बिजली के मुद्दे पर दिल्ली की सत्ता में आई केजरीवाल सरकार का 'पानी सब्सिडी' किसी दल को रास नहीं आ रही है। कांग्रेस और भाजपा का कहना है कि कुछ लोगों को मुफ्त पानी देने से पहले सबको पानी मुहैया कराने की कोशिश होनी चाहिए थी। भाजपा नेता अरुण जेटली ने लगे हाथों यह भी याद दिला दिया कि यह तभी संभव

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पानी और बिजली के मुद्दे पर दिल्ली की सत्ता में आई केजरीवाल सरकार का 'पानी सब्सिडी' किसी दल को रास नहीं आ रही है। कांग्रेस और भाजपा का कहना है कि कुछ लोगों को मुफ्त पानी देने से पहले सबको पानी मुहैया कराने की कोशिश होनी चाहिए थी। भाजपा नेता अरुण जेटली ने लगे हाथों यह भी याद दिला दिया कि यह तभी संभव है जब सब्सिडी जैसे लोकलुभावन फैसलों की बजाय संस्था आर्थिक रूप से दुरुस्त रहे।

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    दिल्ली सरकार ने पहला फैसला पानी पर ही लिया था। मीटर वाले घरों में हर माह 20 हजार लीटर पानी मुफ्त देने का निर्णय लिया था। तत्काल इस पर सवाल भी उठने शुरू हो गए। केजरीवाल सरकार को समर्थन दे रही कांग्रेस भी परोक्ष आलोचना से नहीं चूकी थी। कांग्रेस प्रवक्ता और दिल्ली के सांसद संदीप दीक्षित ने कहा था -'सरकार को पहले उन तक पानी पहुंचाने के बारे में सोचना चाहिए था, जिन्हें पानी मिल ही नहीं रहा है।' बुधवार को जेटली ने विस्तार से पूरे फैसले पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि इस फैसले ने दिल्ली की आबादी को चार भागों में बांट दिया है। तीन हिस्से को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है। चूंकि मुफ्त पानी सिर्फ मीटर वाले घरों के लिए है लिहाजा एक बड़ी आबादी जहां पानी का पाइप ही नहीं है, वह इस योजना से बाहर है। जिसके घर पाइप तो है लेकिन मीटर खराब है उन्हें लाभ नहीं मिलेगा। जो 20 हजार लीटर से ज्यादा पानी खर्च करते हैं, उन्हें भी दस फीसद बढ़ोतरी के साथ पानी का बिल चुकाना पड़ेगा। जाहिर है कि मुफ्त पानी का तोहफा एक छोटे वर्ग के लिए है। उसका खामियाजा बाकी के लोगों को भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सब्सिडी का बोझ अंतत: जनता के ही सिर जाता है। सरकार टैक्स के माध्यम से जनता से ही धन वसूलती है। यह तथ्य है कि जो संस्था आर्थिक रूप से मजबूत होती है वही विस्तार का काम कर सकती है।

    पढ़ें: गले नहीं उतर रहा मुफ्त पानी का फैसला

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