गले नहीं उतर रहा मुफ्त पानी का फैसला
आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा दिल्ली में हर महीने 20 हजार लीटर पानी मुफ्त देने की घोषणा के बाद एक नई बहस शुरू हो गई है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि पानी मुफ्त नहीं दिया जाना चाहिए, इससे पानी की बर्बादी होगी। कुछ का कहना है कि पानी जनता का अधिकार है और एक निश्चित सीमा तक पानी मुफ्त देने का फैसला
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा दिल्ली में हर महीने 20 हजार लीटर पानी मुफ्त देने की घोषणा के बाद एक नई बहस शुरू हो गई है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि पानी मुफ्त नहीं दिया जाना चाहिए, इससे पानी की बर्बादी होगी। कुछ का कहना है कि पानी जनता का अधिकार है और एक निश्चित सीमा तक पानी मुफ्त देने का फैसला स्वागत योग्य है।
वहीं पानी के अधिकार को लेकर दिल्ली विधानसभा में अभियान चला चुके संगठन सिटिजंस फ्रंट फार वाटर डेमोक्रेसी (सीएफडब्ल्यूडी) और नेशनल प्लेटफार्म अगेंस्ट वाटर प्राइवेटाइजेशन (एनपीएडब्ल्यूपी) ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह एक अभूतपूर्व फैसला है और दुनिया के किसी भी हिस्से में ऐसा देखने को कहीं नहीं मिलता है। सीएफडब्ल्यूडी के संयोजक एसए नकवी कहते हैं कि इसके साथ सरकार को उन निजी परियोजनाओं को रद करना चाहिए, जिनमें भ्रष्टाचार की वैध शिकायतें हैं और केंद्रीय जांच ब्यूरो जांच कर रहा है। नकवी के अनुसार यदि ऐसा नहीं किया गया तो पानी मुफ्त देने के फैसले से इन कंपनियों को भारी फायदा होगा, क्योंकि जल बोर्ड का इन कंपनियों से करार है कि बोर्ड इन कंपनियों को आपरेशन एंड मेंटिनेंस चार्ज के रूप में प्रति किलोलीटर का भुगतान करेगा, इससे बोर्ड का करोड़ों रुपया इनकी जेब में चला जाएगा।
उधर, यमुना जिये अभियान केजरीवाल सरकार के इस फैसले से सख्त नाराज है। अभियान के संयोजक मनोज मिश्र का कहना है कि पानी मुफ्त नहीं दिया जाना चाहिए। जिन लोगों या परिवार की जरूरत 20 किलोलीटर नहीं है, वे इसका अधिक इस्तेमाल करेंगे, जिससे पानी की फिजूलखर्ची बढ़ जाएगी। मिश्र 20 किलोलीटर पानी देने के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि एक परिवार की रोजाना की जरूरत 500 लीटर से अधिक है ही नहीं, उसे 665 लीटर पानी क्यों दिया जाए? फ्लश और फर्श धोने के लिए रीसाइकिल वाटर का इस्तेमाल होना चाहिए, ना कि जल बोर्ड द्वारा आपूर्ति किए जा रहे पीने के पानी का।
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इसी तरह जल संरक्षण पर काम कर रही संस्था फोर्स की संयोजक ज्योति शर्मा कहती हैं कि पानी का अधिकार दिया जाना तो सही है, लेकिन अभी पानी के सही मीटर वाले उपभोक्ताओं को यह फायदा होगा, जबकि ऐसे उपभोक्ताओं की आर्थिक स्थिति ऐसी है कि वे भुगतान कर सकते हैं। गरीबों को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि 20 हजार लीटर की बात करके सरकार ने ऐसा फैसला लिया है कि अधिक खर्च करने वाले लोग भी पानी कम खर्च करेंगे।
भाजपा ने 10 फीसद वृद्धि वापस लेने की मांग की
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विजय गोयल ने कहा कि आप सरकार ने दिल्ली के अधिकांश जल उपभोक्ताओं के लिए पानी की दरों में 10 प्रतिशत की वृद्धि करके ठीक नहीं किया है। इससे आठ लाख से अधिक परिवार प्रभावित होंगे और उन्हें 500 से 700 रुपये प्रतिमाह का अतिरिक्त भार उठाना पड़ेगा। गोयल ने इस वृद्धि को तुरंत वापस लेने की मांग की।
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