Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वाह रे पाकिस्‍तान! हिजबुल को आतंकी संगठन कहने पर जता रहा दुख

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Thu, 17 Aug 2017 08:15 PM (IST)

    हिजबुल पर प्रतिबंध के बाद पाकिस्‍तान इसका अफसोस मना रहा है। वहीं अमेरिका के फैसले को जम्‍मू कश्‍मीर के पूर्व डीजीपी ने सराहनीय कदम बताया है। ...और पढ़ें

    Hero Image
    वाह रे पाकिस्‍तान! हिजबुल को आतंकी संगठन कहने पर जता रहा दुख

    नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। अमेरिका द्वारा पाकिस्‍तान स्थित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही पाकिस्‍तान इसको लेकर अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर एक बार फिर से बेनकाब हो गया है। अमेरिका के इस फैसले के बाद हिजबुल के कई खातों को सीज करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। जम्‍मू कश्‍मीर के पूर्व डीजीपी एमएम खजूरिया ने अमेरिका के इस कदम को बेहद सराहनीय कदम बताया है। उनका कहना है कि इस फैसले के बाद पाकिस्‍तान के काले कारनामे और इस संगठन को लेकर फैलाया जाने वाला सफेद झूठ सभी के सामने आ गया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    खजूरिया ने कहा कि इस फैसले के बाद पाकिस्‍तान अपने यहां पर इस तरह के आतंकी संगठन और इससे जुड़े आतंकियों के न होने की बात नहीं कह सकेगा, जैसा वह अब तक करता आया है। हालांकि उन्‍होंने इस संभावना से भी इंकार नहीं किया कि अब यह आतंकी सगठन अपना नाम बदलकर अपने कामों को अंजाम देगा। उनका कहना था कि यदि ऐसा होता भी है, तो फिर उसको भी प्रतिबंधित किया जाएगा। बातचीत के दौरान उन्‍होंने यह भी कहा कि इस तरह की चीजें लगातार चलती रहेंगी और आगे भी प्रतिबंध लगते रहेंगे। लेकिन फिलहाल के लिए अमेरिका द्वारा की गई घोषणा पाकिस्‍तान के लिए बड़ा झटका है।

    पूर्व डीजीपी का यह बयान काफी अहम इसलिए भी है, क्‍योंकि पाकिस्‍तान की सरकार ने अमेरिका के इस फैसले पर गहरा अफसोस जताया है। पाकिस्‍तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता नफीस जकारिया ने इस फैसले पर अफसोस जताते हुए एक बार फिर इसको कश्‍मीर की आजादी की लड़ाई बताया है। उनका कहना है कि पिछले 70 वर्षों से कश्‍मीर के लोग अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्‍होंने भारत पर कश्‍मीर में सेना के दम पर अधिकार जमाने का भी आरोप लगाया है।

     

    उनका कहना है कि कश्‍मीर में बल प्रयोग कर भारतीय सेना वहां के लोगों के साथ ज्‍यादती कर रही है। मीडिया को अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जकारिया सिर्फ यहीं पर नहीं रुके, बल्कि उन्‍होंने यह भी कहा कि अमेरिका ने हमेशा से ही आतं‍कवाद के खिलाफ छिड़ी लड़ाई में पाकिस्‍तान द्वारा उठाए गए कदमों की तारीफ की है।

    यह भी पढें: नवाज शरीफ को नहीं रहा अपने भाई शाहबाज पर भरोसा, या है कुछ और बात

    गौरतलब है कि हिजबुल मुजाहिद्दीन का गठन 1989 में हुआ था। इसका हैडक्‍वार्टर पीओके के मुजफ्फराबाद में है। इस संगठन के सैयद सलाहउद्दीन को अमेरिका पहले ही ग्‍लोबल टेररिस्‍ट घोषित किया जा चुका है। हालांकि इस घोषणा का उस पर या फिर पाकिस्‍तान की सरकार पर कोई असर होता दिखाई नहीं दिया है। इसकी वजह है कि वह पाकिस्‍तान में खुलेआम घूमता है और भारत के खिलाफ तकरीर देता है। इतना ही नहीं वह पा‍क अधिकृत कश्‍मीर में अपने आतंकियों को ट्रेनिंग के लिए कैंप भी चलाता है। उसको न सिर्फ वहां की सरकार बल्कि पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का पूरा समर्थन मिला हुआ है। पिछले साल संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कश्मीर में मारे गए हिजबुल कमांडर बुरहान वानी को स्वतंत्रता सेनानी बताकर महिमामंडित करने की कोशिश की थी। जबकि बुरहान वानी पर घाटी में कई आतंकी वारदातों को अंजाम देने का आरोप था।

    अमेरिका के इस फैसले के बाद यह जग जाहिर है कि अब अमेरिका ने यह मान लिया है कि कश्मीर में आजादी की जंग के नाम पर हो रहीं हिंसक घटनाएं कुछ और नहीं बल्कि आतंकी वारदात हैं। भारत लंबे समय से इसका जिक्र अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर भी करता रहा है। इतना ही नहीं पाकिस्तान दुनिया के सामने इसे कश्मीर के स्थानीय युवाओं की आजादी के लिए संघर्ष के रूप में पेश करने की कोशिश करता रहा है। हिजबुल मुजाहिदीन के अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन घोषित होने के साथ ही पाकिस्तानी की साजिश ध्वस्त हो गई है। इसके बाद पाकिस्तान कश्मीर में सक्रिय किसी भी आतंकी को स्वतंत्रता सेनानी बताने की स्थिति में नहीं होगा। घाटी में सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद पहले से अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों की सूची में शामिल हैं। अब उसमें हिजबुल मुजाहिदीन का नाम भी आ गया है।

    यह भी पढ़ें: वाह रे इमरान खान, 64 वर्ष की उम्र में भी इनसे संजोए हैं शादी के सपने!  

    हरकत उल अंसार पर प्रतिबंध लगने के बाद इस संगठन ने अपना नाम बदलकर हरकत उल मुजाहिद्दीन रख लिया था। जैश ए मोहम्‍मद ने अपना नाम बदलकर मुजाहिद्दीन ए तंजीम रख लिया था। सिमी ने भी प्रतिबंध के बाद अपना नाम इंडियन मुजाहिद्दीन रख लिया था।

    यह भी पढ़ें: दुनिया पर मंडरा रहा है 'थर्ड वर्ल्‍ड वार' का खतरा, क्‍या भारत रोक पाएगा ये 'महाविनाश'   

    - अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने के बाद उनके खिलाफ भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई पर मानवाधिकार संगठन उंगली नहीं उठा पाएंगे।

    - कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ छेड़े अभियान ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ को बल मिलेगा।

    - हिजबुल मुजाहिदीन के लिए फंडिंग हासिल करना भी संभव नहीं होगा।

    - विदेशों में उसके ऑफिस और खाते सील किए जा सकेंगे।

    - हिजबुल मुजाहिद्दीन और उन्हें मदद करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकेगी।

    - पाकिस्तान के लिए आतंकी फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए बनी संस्था एफएटीएफ के सामने अपना बचाव करना भी आसान नहीं होगा।

    - एफएटीएफ के सामने पाकिस्तान को यह बताना होगा कि उसने हिजबुल मुजाहिदीन की फंडिंग रोकने और उसकी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए हैं। ऐसा नहीं करने की स्थिति में पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ सकता है।

    यह भी पढ़ें: जानें आखिर अमेरिका क्‍यों मानता है चीन को भविष्‍य का सबसे बड़ा खतरा