एक ही दिन में बहाली और रिटायरमेंट की कहानी, DGP पर लगे थे संगीन आरोप
कर्नाटक सरकार ने डीजीपी फायर सर्विस सत्यनारायण राव को दिन में बहाली देने के साथ ही शाम को रिटायर कर दिया।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । सामान्य तौर पर हर वो शख्स जो नौकरी में होता है, सेवाकाल की समाप्ति के बाद रिटायर होता है। लेकिन जो हम आपको बताने जा रहे हैं, वो मामला थोड़ा सा अलग है। बहाली और रिटायरमेंट की कहानी के कई किरदार हैं। एक राजनेता है जो भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बंद है। लेकिन उसे जेल में सुख-सुविधाओं की जरूरत है। देश की सर्वोच्च अदालत की तरफ से साफ निर्देश है कि उसे सामान्य कैदियों की ही तरह रखा जाए। लेकिन बेंगलुरु के परपनाग्रहारा सेंट्रल जेल में कुछ और स्क्रिप्ट लिखी जा रही होती है। एक अधीनस्थ पुलिस अधिकारी अपने बॉस पर आरोप लगाती है कि वो उस कद्दावर राजनेता को सुख-सुविधा मुहैय्या कराने के लिए सुविधा शुल्क की मांग कर रहा है। अधीनस्थ पुलिस अधिकारी को ये सब नागवार लगता है और वो अपनी शिकायत दर्ज कराती है। लेकिन नतीजा ये होता है कि उस पुलिस अधिकारी का तबादला किया जाता है। मामला और आगे बढ़ता है तो आरोपों के घेरे में आए वरीष्ठ अधिकारी का भी तबादला कर दिया जाता है। अब आप को बताते हैं कि वो कौन लोग हैं जिनकी वजह से न केवल सिर्फ पुलिस अधिकारी बल्कि परपनाग्रहारा सेंट्रल जेल सुर्खियों में आ गया।
डीआइजी डी रूपा (बेंगलुरु सेंट्रल जेल की तत्कालीन डीआइजी)
सत्यनारायण राव ( डीजीपी प्रिजन)
शशिकला (भ्रष्टाचार के मामले में सजायाफ्ता, बेंगलुरु सेंट्रल जेल में बंद)
डीआइजी के आरोप का असर
कर्नाटक के डीजीपी फायर सर्विस सत्यनारायण राव सोमवार की सुबह बहाल हुए और उसी दिन शाम को रिटायर हो गए। लेकिन उनकी बहाली और रिटायर होने की कहानी रोचक है। सत्यनारायण राव को 32 वर्ष की शानदार सेवा (कुछ धब्बों के साथ) को देखते हुए उन्हें विदायी दी गई। दरअसल सत्यनारायण राव उस वक्त सुर्खियों में आए जब बेंगलुरु सेंट्रल जेल की डीआइजी डी रूपा ने उन पर गंभीर आरोप लगाए थे।
2 करोड़ की रिश्वत का आरोप
डी रूपा ने डीजीपी कर्नाटक पुलिस को शिकायत की थी कि सत्यनारायण राव ने एआइएडीएमके नेता शशिकला को विशेष सुविधा देने के लिए 2 करोड़ की रिश्वत ली थी। हालांकि सत्यनारायण राव ने डी रूपा के आरोपों को आधारहीन बताया था। मीडिया में मामला सामने आने के बाद कर्नाटक सरकार ने डीआइजी डी रूपा और उस समय डीजी जेल रहे सत्यनारायण राव को हटा दिया था। इसके अलावा सरकार ने सत्यनारायण राव को छुट्टी पर भेज दिया था। हालांकि बेंगलुरु सेंट्रल जेल की तत्कालीन डीआइजी अपने आरोपों पर कायम रहीं थीं।
सत्यनारायण राव का नाम सिर्फ शशिकला के मुद्दे में ही नहीं उछला था। बल्कि स्टैंप केस में आरोपी रहे अब्दुल करीम तेलगी को विशेष सुविधा देने के मामले में उनका नाम सामने आया था। डीआइजी डी रूपा द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद सत्यनारायण राव ने उन्हें नोटिस भेजकर अपने आरोपों को वापस लेने को कहा था। उन्होंने कहा था कि अगर डी रूपा अपने आरोपों को वापस नहीं लेंगी तो वो 50 करोड़ रुपये के मानहानि का केस दायर करेंगे।
विवाद तब उठ खड़ा हुआ था जब एक आरटीआई कार्यकर्ता ने आरोप लगाया था कि एक महीने में शशिकला से 14 मौक़ों पर 28 लोगों ने बेंगलुरु सेंट्रल जेल में मुलाक़ात की। आरटीआई कार्यकर्ता नरसिम्हा मूर्ति ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे जेल मैनुअल का उल्लंघन बताया था। आरटीआई कर्यकर्ता के विरोध के बाद परपनाग्रहारा यानी बेंगलुरु सेंट्रल जेल प्रशासन ने सफाई दी थी।
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