Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    'तुम्हारा स्कूल यौन हिंसा का चिड़ियाघर और मैं उसकी पहली शिकार'

    By Lalit RaiEdited By:
    Updated: Thu, 13 Jul 2017 11:28 AM (IST)

    देश के प्रतिष्ठित सत्यजीत रॉय फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया है।

    'तुम्हारा स्कूल यौन हिंसा का चिड़ियाघर और मैं उसकी पहली शिकार'

    नई दिल्ली[स्पेशल डेस्क] ।  शिक्षण संस्थानों में यौन उत्पीड़न के मामले अक्सर सुनने को मिलते रहते हैं। लेकिन जब देश के नामचीन संस्थानों से इस तरह की खबरें आती हैं तो संस्थानों से भरोसा उठने लगता है। कुछ ऐसा ही मामला कोलकाता स्थित सत्यजीत रॉय फिल्म टेलीविजन इंस्टीट्यूट से जुड़ा हुआ है। संस्थान से डिप्लोमा करने वाली छात्रा अपने प्रोफेसरों से इस कदर परेशान हुई कि उसने दो बार खुदकुशी करने की कोशिश की। उसने अपने पत्र में लिखा कि तुम्हारा फिल्म स्कूल सेक्सुअल वायलेंस का चिड़ियाघर है और वो उसकी पहली शिकार है। आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

     जब टूट जाते हैं सपने

    जब हम किसी संस्थान में दाखिला लेते हैं तो उससे हमारी न जानें कितनी उम्मीदें जुड़ी होती हैं। लेकिन फर्ज करें कि अगर किसी संस्थान के शिक्षक अपनी मर्यादा को लांघ जाएं तो यह किसी छात्र या छात्रा के लिए सदमे से कम नहीं होगा। एसआरएफटीआइ की एक छात्रा अपने प्रोफेसरों और कुछ छात्रों से इस कदर तंग हुई कि उसने दो बार खुदकुशी करने की कोशिश की, लेकिन वो बच गई। पीड़ित छात्रा का कहना है कि वो मानसिक और यौन उत्पीड़न से इस कदर तंग आ गई थी, उसके सामने खुदकुशी के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।

    'ये मत कहो कि लड़ी नहीं'

    पीड़ित छात्रा ने अपने नोट में लिखा है कि ये मत कहो कि वो नहीं लड़ी, ये मत बताओ कि उसने कोशिश नहीं की। उसने सबकुछ करने की कोशिश की, हर लड़ाई लड़ी... लेकिन हौसला पस्त हो चुका था और उसके सामने जिंदगी समाप्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। अगर आप एसआरएफटीआइ के छात्र हों, आपका यौन उत्पीड़न होता हो, बलात्कार की कोशिश होती हो तो आपके सामने जिंदगी जीने के लिए कोई रास्ता नहीं हो सकता। एसआरएफटीआइ की वजह से उसने मौत को गले से लगाने की कोशिश की थी। लेकिन भगवान को कुछ और मंजूर था। संस्थान के खिलाफ लिखते हुए उसने लिखा कि अपनी आत्मा की संतुष्टि के लिए मुझे खा जाओ।

    जानकार की राय

    Jagran.com से खास बातचीत में मनोचिकित्सक डॉ परिनीता गौर ने कहा कि छात्र अपने शिक्षकों को भगवान की तरह देखते हैं। शिक्षकों से उच्च आदर्शों और बेहतर चरित्र की उम्मीद की जाती है। कोई छात्र खासतौर से छात्रा जब देखती है कि उसके शिक्षक का व्यवहार अमर्यादित है तो वो टूटने लगती है। इस संबंध में जब उसकी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो उसके दिल-दिमाग में नकारात्मक विचार आते हैं और वो खुदकुशी का कदम उठा लेती है। 

    शिकायत नहीं थी झूठी

    दिसंबर 2015 में पीड़ित छात्रा ने संस्थान के यौन उत्पीड़न मामलों की जांच के लिए बनी आतंरिक शिकायत समिति (ICC-SH) के सामने शिकायत दर्ज की। पीड़ित छात्रा ने बताया कि उसके अलावा 6 और लड़कियों ने तीन प्रोफेसरों और चार छात्रों के खिलाफ शिकायत की थी। संस्थान की जांच में तीनों प्रोफेसर दोषी पाए गए। संस्थान ने कार्रवाई करते हुए सभी आरोपियों को निलंबित कर दिया। लेकिन इंटरनल कमेटी के फैसले को दोषी प्रोफेसरों ने कोलकाता हाइकोर्ट में चुनौती दी, जिस पर कार्रवाई जारी है। पीड़ित छात्रा का कहना है कि इंटरनल कमेटी के फैसले के बाद पूरा संस्थान उसका विरोधी हो गया। यहां तक कि बिना उसकी मर्जी के रेप वाली शिकायत पुलिस को दे दी गई। हालांकि उसकी मदद के लिए एनजीओ से जुड़े कुछ लोग सामने आए।

    डॉयरेक्टर पर संगीन आरोप

    पीड़ित छात्रा का कहना है कि संस्थान की वर्तमान डायरेक्टर देबमित्र मित्रा के कार्यभार संभालने के बाद आइसीसी को इस आधार पर भंग कर दिया गया कि वो पुरुष विरोधी है। गौरतलब है कि आइसीसी ने तीन प्रोफेसरों और चार छात्रों को यौन उत्पीड़न, मानसिक प्रताड़ना का दोषी पाया था। लेकिन संस्थान की कार्यवाहक चेयरपर्सन अमाला अकेन्नी ने डायरेक्टर देबमित्र मित्रा द्वारा आइसीसी को भंग करने के फैसले को खारिज कर दिया। छात्रों के खिलाफ शिकायत की जांच के लिए दूसरी आइसीसी गठित की गई। लेकिन उस समिति ने साक्ष्यों के अभाव में पीड़ित छात्रा की शिकायत को खारिज कर दिया। 

    जब भरोसे को मिला धोखा

    पीड़ित छात्रा का कहना है कि संस्थान के एक्टिंग चेयरपर्सन ने मदद देने का भरोसा दिया। उन्होंने बताया कि उसके मुद्दे पर संस्थान की निदेशक देबमित्र मित्रा से बात भी हुई है। इस पूरे वाक्ये के दौरान वो मुंबई में थी और अपनी मां को एसआरएफटीआइ जाने के लिए कहा। लेकिन उसकी मां के साथ देबमित्र मित्रा ने बदसलूकी की। संस्थान की तरफ से लगातार ईमेल्स भेजकर छात्रावास को खाली करने का दबाव बनाया गया। लेकिन उसका कोर्स अभी खत्म नहीं हुआ था। जब वो अपना सामान वापस लेने के लिए संस्थान में दाखिल हुई तो उसके साथ भी बदतमीजी की गई।

    संस्थान की निदेशक के खिलाफ पीड़ित छात्रा ने शिकायत दर्ज की, लेकिन कार्रवाई नहीं होने पर उसने खुदकुशी की कोशिश की। एसआरएफटीआइ की निदेशक देवमित्र मित्रा ने कहा कि उन्हें ये नहीं पता है कि छात्रा ने खुदकुशी की कोशिश की थी। वो हॉस्टल खाली करने के लिए आई थी और उसे समय दिया गया था। उसने मेरे बारे में सोशल मीडिया पर गलत जानकारी दी है। मित्रा ने कहा कि छात्रा की डिप्लोमा डिग्री को रोका नहीं जाएगा। वो संस्थान की छात्रा है और उसे डिग्री दी जाएगी।