Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अब नेत्रहीन भी देख पाएंगे 'खूबसूरत' दुनिया, वैज्ञानिकों ने खोज निकाला इलाज

    By Digpal SinghEdited By:
    Updated: Mon, 13 Nov 2017 06:12 PM (IST)

    एलसीए एक दुर्लभ बीमारी है, जो 80 हजार लोगों में से किसी एक को होती है। इस बीमारी का कारण एक या 19 अलग जींस हो सकते हैं।

    अब नेत्रहीन भी देख पाएंगे 'खूबसूरत' दुनिया, वैज्ञानिकों ने खोज निकाला इलाज

    नई दिल्ली, [नेशनल डेस्क]। नई जीन थेरेपी की मदद से वंशागत दृष्टि बाधिता से पीड़ित लोगों की आंखों की रोशनी वापस लाई जा सकती है। अमेरिकी वैज्ञानिकों की इस खोज के बाद नेत्रहीन भी दुनिया देख सकेंगे। वैज्ञानिकों ने लेबेर कॉग्निटल अमाउरोसिस (एलसीए) से पीड़ित मरीजों पर अध्ययन किया। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को बचपन से दिखाई देना कम होने लगता है और कुछ समय के बाद वह अंधेपन से पीड़ित हो जाता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

     

    अपनी तरह की पहली थेरेपी

    शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह अपनी तरह की पहली जीन थेरेपी है, जो इस समय अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन को समीक्षा के लिए भेजी गई है। उम्मीद है कि इलाज की इस विधि को इस वर्ष स्वीकृति मिल जाएगी। वर्तमान में इस बीमारी का कोई इलाज नहीं शोधकर्ताओं के मुताबिक, अभी तक वंशागत दृष्टि बाधिता का कोई इलाज मौजूद नहीं है। इस नजरिए से यह एक महत्वपूर्ण खोज मानी जा रही है। आइओवा विश्व विद्यालय के वैज्ञानिकों ने इलाज की इस विधि से 29 मरीजों का इलाज किया। इनमें से 27 मरीजों के इलाज में उन्हें सफलता मिली। उनकी दृश्यता में पर्याप्त सुधार देखा गया। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस इलाज को स्वीकृति मिलने से और भी कई जीन थेरेपी के रास्ते खुल जाएंगे।


    इस तरह किया जाता है इलाज

    शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस विधि को वोरेटिजीन नेपारवोवेक कहा गया है, जिसमें आनुवांशिक रूप से संशोधित वाइरस को रेटिना में प्रवेश कराया जाता है। इलाज के बाद मरीज आकार और प्रकाश देखने में सक्षम हो जाते हैं। इलाज का असर करीब दो साल तक रहता है। वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि जीन थेरेपी से भविष्य में अंधेपन के लिए जिम्मेदार 225 जेनेटिक म्यूटेशन (डीएनए की संरचना में स्थायी बदलाव) का इलाज संभव हो जाएगा।


    क्या है एलसीए

     

    एलसीए एक दुर्लभ बीमारी है, जो 80 हजार लोगों में से किसी एक को होती है। इस बीमारी का कारण एक या 19 अलग जींस हो सकते हैं। अब वैज्ञानिकों ने इस बीमारी के इलाज के लिए जिस थेरेपी की खोज की है उस पर विभाग द्वारा अगले वर्ष जनवरी में फैसला लिया जाना है। यदि इसे स्वीकृति मिल जाती है तो ये स्वास्थ्य क्षेत्र में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। 

     

    11 दिन तक संरक्षित रह सकती है कॉर्निया

    कॉर्निया को सर्जरी के जरिए प्रत्यारोपित करने से पहले 11 दिन तक संरक्षित रखा जा सकता है। यह बात एक अध्ययन में सामने आई है। वर्तमान में कॉर्निया को केवल सात दिन तक ही संरक्षित रखा जाता है। इसके बाद उस कॉर्निया का प्रयोग नहीं किया जाता। अमेरिका स्थित केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा मरीजों को इलाज के लिए दो समूहों में बांटा गया। एक को सात दिन तक संरक्षित रखी गई कॉर्निया लगाई गई और दूसरे समूह को आठ से 14 दिन वाली कॉर्निया। इसके लिए अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने 14 दिन तक सॉल्यूशंस में रखी कॉर्निया के इस्तेमाल की अनुमति दी।

     

    यह रही सफलता की दर

    तीन वर्ष बाद शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया तो सामने आया कि आठ से 14 दिन तक संरक्षित रखी कॉर्निया की सफलता की दर 92.1 फीसद थी, जबकि सात दिन तक संरक्षित कॉर्निया 95.3 फीसद सही रही। इसके बाद आठ से 14 तक अलग-अलग दिन तक संरक्षित रखी कॉर्निया की सफलता दर जांची। इसमें सामने आया कि 11 दिन तक संरक्षित कॉर्निया का प्रयोग किया जा सकता है।

     

    यह भी पढ़ें: ऐसे कैसे होगी बिहार के किसानों की आमदनी दोगुनी

     

    यह भी पढ़ें: प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए करने होंगे ठोस उपाय